नई दिल्ली: उन्नाव रेप कांड में पीड़िता के पिता की हत्या के दोषी कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने पीड़िता के पिता के मौत मामले में सेंगर और उसके भाई अतुल सेंगर पर 10-10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. जुर्माने की रकम पीड़िता के परिवार को मुआवजे के रूप में दी जाएगी. कोर्ट ने सेंगर समेत सभी 7 दोषियों को भी दस-दस साल की कैद और दस-दस लाख के जुर्माने की सजा सुनाई है.
तीस हजारी कोर्ट ने इससे पूर्व उन्नाव रेप पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में दोषियों की सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज धर्मेश शर्मा ने इस पर 13 मार्च यानी की आजो फैसला सुनाने का आदेश दिया है.
सेंगर समेत 7 लोग दोषी करार
सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कोर्ट से कुलदीप सिंह सेंगर समेत सात दोषियों को उम्रकैद की सजा देने की मांग की. पिछले 4 मार्च को कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर समेत 7 लोगों को दोषी करार दिया था. डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज धर्मेश शर्मा ने इस मामले के चार आरोपियों को बरी कर दिया था. रेप पीड़िता के पिता की न्यायिक हिरासत में 9 अप्रैल 2018 को मौत हो गई थी.
4 जून 2017 को रेप पीड़िता ने जब कुलदीप सिंह सेंगर पर रेप का आरोप लगाया, उसके बाद कुलदीप सिंह सेंगर के भाई अतुल सिंह और उसके साथियों ने पीड़िता के पिता को बुरी तरह पीटने के बाद पुलिस को सौंप दिया था. रेप पीड़िता के पिता को जेल में शिफ्ट करने के कुछ ही घंटों बाद जिला अस्पताल में लड़की के पिता की मौत हो गई थी.
रेप मामले में सेंगर को उम्रकैद की सजा
तीस हजारी कोर्ट ने 20 दिसंबर 2019 को कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने उम्रकैद के अलावा 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. जुर्माने की इस रकम में से 10 लाख रुपये पीड़िता को देने का आदेश दिया था. तीस हजारी कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ कुलदीप सिंह सेंगर ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.
बता दें कि भाजपा के निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने बृहस्पतिवार को दिल्ली की एक अदालत में जिरह के दौरान कहा कि अगर उन्होंने कुछ गलत किया है तो उन्हें फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए और उनकी आंखों में तेजाब डाल दिया जाना चाहिए.
सीबीआई के वकील ने अदालत से कहा कि ये पुलिस अधिकारी षड्यंत्र में शामिल थे और उन्हें कड़ा दंड मिलना चाहिए. सजा की अवधि पर सुनवाई शुक्रवार को भी जारी रहेगी.
अदालत ने गैर इरादतन हत्या के मामले में चार मार्च को सेंगर और सात अन्य को दोषी ठहराया था और कहा था कि उनका पीड़िता के पिता की हत्या करने का इरादा नहीं था.
अदालत ने सेंगर, भदौरिया और सिंह के साथ विनीत मिश्रा, बीरेन्द्र सिंह, शशि प्रताप सिंह, सुमन सिंह और अतुल (सेंगर के भाई) को भादंसं की धारा 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत दोषी पाया था.
इसके अलावा उन्हें भादंसं की धारा 341 (गलत तरीके से बंधक बनाना), 304 (गैर इरादतन हत्या) सहित कई अन्य धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया था.
बहरहाल अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए कांस्टेबल आमिर खान, शैलेन्द्र सिंह, रामशरण सिंह और शारदावीर सिंह को बरी कर दिया था.
सीबीआई ने मामले के पक्ष में 55 गवाहों को पेश किया था और बचाव पक्ष ने नौ गवाहों से जिरह की थी. अदालत ने पीड़िता के चाचा, मां, बहन और उसके पिता के एक सहकर्मी का बयान दर्ज किया था जिन्होंने घटना में प्रत्यक्षदर्शी होने का दावा किया था.
सीबीआई के मुताबिक तीन अप्रैल 2018 को बलात्कार पीड़िता के पिता और शशि प्रताप सिंह के बीच विवाद हुआ था. 13 जुलाई 2018 को दायर आरोपपत्र के मुताबिक पीड़िता के पिता और उनके सहकर्मी अपने गांव माखी लौट रहे थे जब उन्होंने शशि से लिफ्ट मांगी थी.
सीबीआई ने आरोप लगाए कि शशि ने उन्हें लिफ्ट देने से मना कर दिया जिसके बाद उनके बीच विवाद हो गया. इसने कहा कि इसके बाद शशि ने अपने सहयोगियों को बुलाया जिस पर कुलदीप का भाई अतुल सिंह सेंगर वहां अन्य के साथ पहुंचा और महिला के पिता और सहकर्मी की पिटाई कर दी.
इसके बाद महिला के पिता को वे थाने ले गए जहां उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर पिछले वर्ष एक अगस्त को उत्तरप्रदेश की निचली अदालत से मामले को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया.