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सुनंदा पुष्कर मौत: 20 अगस्त से आरोपों पर दलीलों की सुनवाई करेगा कोर्ट - शशि थरुर

देश के लंबे समय तक चर्चाओं में चलने वाले केस की सुनंदा पुष्कर मौत की सुनवाई 20 अगस्त को होगी. इस केस के मुख्य आरोपी शशि थरुर है. इससे पहले शशि थरुर ने कोर्ट से अभियोजन और दिल्ली पुलिस को यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि वे आरोप पत्र और इस मामले संबंधी कोई अन्य दस्तावेज ऐसे किसी व्यक्ति से साझा नहीं करें. जानें पूरा विवरण

शशि थरुर( फाइल फोटो)
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Published : Jul 19, 2019, 10:47 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट सुनंदा पुष्कर की मौत के आरोपी शशि थरुर के खिलाफ मामले में 20 और 22 अगस्त को सुनवाई करेगा. स्पेशल जज अरुण भारद्वाज ने अभियोजन पक्ष को विशेषज्ञों से दिशानिर्देश लेने के लिए दस्तावेज साझा करने की अनुमति दे दी. कोर्ट ने अभियोजन पक्ष को किसी तीसरे पक्ष से दस्तावेज साझा करने से मना किया है.

कोर्ट ने कहा है कि अभियोजन पक्ष जिन विशेषज्ञों से दस्तावेज साझा करेगा. वे किसी दूसरे से दस्तावेज साझा नहीं करेंगे. कोर्ट ने अभियोजन पक्ष को निर्देश दिया है, कि वो विशेषज्ञों से राय लेने के लिए दस्तावेज साझा करने से पहले कोर्ट के आदेश की प्रति उपलब्ध कराएं. अभियोजन पक्ष उन विशेषज्ञों का रिकॉर्ड भी बनाकर रखेगा. जिनकी वो मदद लेना चाहते है.

इससे पहले थरूर ने एक याचिका दायर करके अदालत से अभियोजन और दिल्ली पुलिस को यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि वे आरोप पत्र और इस मामले संबंधी कोई अन्य दस्तावेज ऐसे किसी व्यक्ति से साझा नहीं करें जिसका इस मामले से लेना-देना नहीं है.

अदालत ने कहा कि कानून में पहले ही ऐसे प्रावधान हैं जिनके तहत अभियोजन और दिल्ली पुलिस किसी भी ऐसे व्यक्ति के साथ आधिकारिक दस्तावेज या खुफिया जानकारी साझा नहीं कर सकते जिनसे यह दस्तावेज साझा करने के लिए उसके पास अधिकार नहीं है.

बता दें कि पिछले 4 फरवरी को एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने सुब्रमण्यम स्वामी की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने खुद को अभियोजन को मदद करने की मांग की थी.

हालांकि कोर्ट ने इस मामले की विजिलेंस रिपोर्ट को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था. इससे यह भविष्य में जरुरत पड़ने पर काम आ सकेगा. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल की कोर्ट ने 4 फरवरी को इस मामले को ट्रायल के लिए सेशंस कोर्ट में भेज दिया था.

अदालत ने कहा, 'किसी तीसरे व्यक्ति या अजनबी से इस मामले संबंधी दस्तावेज और आरोप पत्र साझा करने से उन्हें रोकने के लिए किसी अन्य आदेश को पारित करने की आवश्यकता नहीं है.'

उसने साथ ही कहा कि अभियोजन के पास छूट है कि वह आरोप पर दलीलें तैयार करने या उनका जवाब देने के मकसद से स्वयं को तैयार करने के लिए किसी विशेषज्ञ की सलाह ले सकता है.

पढ़ें- मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक पर विपक्ष का विरोध, बिल में बताई कई खामियां

अदालत ने कहा, 'अभियोजन उन विशेषज्ञों का रिकॉर्ड रखेगा जिनसे वह सलाह लेगा और जिनके साथ वह मामले के दस्तावेज साझा करेगा और यदि आदेश किया जाता है तो वह अदालत के सामने उन्हें पेश करेगा.'

अदालत ने याचिका के निपटारे के बाद कहा, 'आरोप पर दलीलों के लिए मामले को 20 अगस्त के लिए सूचीबद्ध किया जाता है.'

पूर्व केंद्रीय मंत्री इस समय इस मामले में जमानत पर रिहा हैं. उनके खिलाफ दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं 498-ए (पति या किसी संबंधी द्वारा महिला के खिलाफ अत्याचार करना) और 306 के तहत आरोप लगाया था लेकिन उन्हें इस मामले में गिरफ्तार नहीं किया गया.

बता दें कि,14 मई 2018 को दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया था. एफआईआर में सुनंदा पुष्कर के पति और कांग्रेस नेता शशि थरूर को आरोपी बनाया गया है. शशि थरूर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा498 ए और 306 लगाया गया था.

एफआईआर में कहा गया है कि सुनंदा पुष्कर की मौत शशि थरूर से शादी के 3 सालके बाद हो गई थी. दोनों की शादी 22 अगस्त 2010 को हुई थी.

नई दिल्लीः दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट सुनंदा पुष्कर की मौत के आरोपी शशि थरुर के खिलाफ मामले में 20 और 22 अगस्त को सुनवाई करेगा. स्पेशल जज अरुण भारद्वाज ने अभियोजन पक्ष को विशेषज्ञों से दिशानिर्देश लेने के लिए दस्तावेज साझा करने की अनुमति दे दी. कोर्ट ने अभियोजन पक्ष को किसी तीसरे पक्ष से दस्तावेज साझा करने से मना किया है.

कोर्ट ने कहा है कि अभियोजन पक्ष जिन विशेषज्ञों से दस्तावेज साझा करेगा. वे किसी दूसरे से दस्तावेज साझा नहीं करेंगे. कोर्ट ने अभियोजन पक्ष को निर्देश दिया है, कि वो विशेषज्ञों से राय लेने के लिए दस्तावेज साझा करने से पहले कोर्ट के आदेश की प्रति उपलब्ध कराएं. अभियोजन पक्ष उन विशेषज्ञों का रिकॉर्ड भी बनाकर रखेगा. जिनकी वो मदद लेना चाहते है.

इससे पहले थरूर ने एक याचिका दायर करके अदालत से अभियोजन और दिल्ली पुलिस को यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि वे आरोप पत्र और इस मामले संबंधी कोई अन्य दस्तावेज ऐसे किसी व्यक्ति से साझा नहीं करें जिसका इस मामले से लेना-देना नहीं है.

अदालत ने कहा कि कानून में पहले ही ऐसे प्रावधान हैं जिनके तहत अभियोजन और दिल्ली पुलिस किसी भी ऐसे व्यक्ति के साथ आधिकारिक दस्तावेज या खुफिया जानकारी साझा नहीं कर सकते जिनसे यह दस्तावेज साझा करने के लिए उसके पास अधिकार नहीं है.

बता दें कि पिछले 4 फरवरी को एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने सुब्रमण्यम स्वामी की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने खुद को अभियोजन को मदद करने की मांग की थी.

हालांकि कोर्ट ने इस मामले की विजिलेंस रिपोर्ट को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था. इससे यह भविष्य में जरुरत पड़ने पर काम आ सकेगा. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल की कोर्ट ने 4 फरवरी को इस मामले को ट्रायल के लिए सेशंस कोर्ट में भेज दिया था.

अदालत ने कहा, 'किसी तीसरे व्यक्ति या अजनबी से इस मामले संबंधी दस्तावेज और आरोप पत्र साझा करने से उन्हें रोकने के लिए किसी अन्य आदेश को पारित करने की आवश्यकता नहीं है.'

उसने साथ ही कहा कि अभियोजन के पास छूट है कि वह आरोप पर दलीलें तैयार करने या उनका जवाब देने के मकसद से स्वयं को तैयार करने के लिए किसी विशेषज्ञ की सलाह ले सकता है.

पढ़ें- मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक पर विपक्ष का विरोध, बिल में बताई कई खामियां

अदालत ने कहा, 'अभियोजन उन विशेषज्ञों का रिकॉर्ड रखेगा जिनसे वह सलाह लेगा और जिनके साथ वह मामले के दस्तावेज साझा करेगा और यदि आदेश किया जाता है तो वह अदालत के सामने उन्हें पेश करेगा.'

अदालत ने याचिका के निपटारे के बाद कहा, 'आरोप पर दलीलों के लिए मामले को 20 अगस्त के लिए सूचीबद्ध किया जाता है.'

पूर्व केंद्रीय मंत्री इस समय इस मामले में जमानत पर रिहा हैं. उनके खिलाफ दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं 498-ए (पति या किसी संबंधी द्वारा महिला के खिलाफ अत्याचार करना) और 306 के तहत आरोप लगाया था लेकिन उन्हें इस मामले में गिरफ्तार नहीं किया गया.

बता दें कि,14 मई 2018 को दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया था. एफआईआर में सुनंदा पुष्कर के पति और कांग्रेस नेता शशि थरूर को आरोपी बनाया गया है. शशि थरूर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा498 ए और 306 लगाया गया था.

एफआईआर में कहा गया है कि सुनंदा पुष्कर की मौत शशि थरूर से शादी के 3 सालके बाद हो गई थी. दोनों की शादी 22 अगस्त 2010 को हुई थी.

Intro:नई दिल्ली। दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में आरोपी शशि थरुर के खिलाफ आरोप तय करने के मामले में 20 और 22 अगस्त को दलीलें सुनेगा। स्पेशल जज अरुण भारद्वाज ने अभियोजन पक्ष को विशेषज्ञों से दिशानिर्देश लेने के लिए दस्तावेज साझा करने की अनुमति दे दी। कोर्ट ने अभियोजन पक्ष को किसी तीसरे पक्ष से दस्तावेज साझा करने से मना किया है।



Body:कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष जिन विशेषज्ञों से दस्तावेज साझा करेगा वे किसी दूसरे से इसे साझा नहीं करेंगे। कोर्ट ने अभियोजन पक्ष को निर्देश दिया कि वो विशेषज्ञों से राय लेने के लिए दस्तावेज साझा करने से पहले कोर्ट के आदेश की प्रति उपलब्ध कराएं। अभियोजन पक्ष उन विशेषज्ञों का रिकॉर्ड भी बनाकर रखेगा जिनकी वो मदद लेने की योजना बना रहा हो।
पिछले 24 मई को कोर्ट ने बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी को पब्लिक प्रोसिक्यूटर का सहयोग करने की अनुमति देने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने स्वामी की उस मांग को भी खारिज कर दिया था कि साक्ष्यों को नष्ट करने पर दिल्ली पुलिस की विजिलेंस रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश की जाए।
पिछले 4 फरवरी को एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने सुब्रमण्यम स्वामी की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने खुद को अभियोजन को मदद करने की मांग की थी। हालांकि कोर्ट ने इस मामले की विजिलेंस रिपोर्ट सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था ताकि भविष्य में जरुरत पड़ने पर काम आ सके। एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल की कोर्ट ने 4 फरवरी को इस मामले को ट्रायल के लिए सेशंस कोर्ट में भेज दिया था। 
14 मई 2018 को दिल्ली पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया था। आरोप पत्र में सुनंदा पुष्कर के पति और कांग्रेस नेता शशि थरूर को आरोपी बनाया गया है। शशि थरूर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा498 ए और 306 के तहत आरोपी बनाया गया है।



Conclusion:आरोप पत्र में कहा गया है कि सुनंदा पुष्कर की मौत शशि थरूर से शादी के 3 साल , 3 महीने और 15 दिनों में हो गई थी। दोनों की शादी 22 अगस्त 2010 को हुई थी। 1 जनवरी 2015 को दिल्ली पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत एफआईआर दर्ज की थी।
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