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हाथरस पीड़िता की तस्वीर छापने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मीडिया द्वारा हाथरस पीड़िता की तस्वीर के प्रकाशन पर सवाल उठाने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि इस पर कानून नहीं बना सकते हैं और याचिकाकर्ता सरकार के पास जा सकता है.

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Published : Dec 2, 2020, 4:58 PM IST

Supreme court
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मीडिया में हाथरस पीड़िता की तस्वीर प्रकाशित किए जाने को लेकर, सवाल उठाने वाली एक याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर इनकार किया कि अदालत इस पर कानून नहीं बना सकती है और याचिकाकर्ता मामले पर सरकार से निवेदन कर सकता है.

हाथरस में 14 सितंबर को 19 वर्षीय एक दलित लड़की से चार लोगों ने कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म किया था. दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उपचार के दौरान 29 सितंबर को लड़की की मौत हो गयी थी. प्रशासन ने लड़की के अभिभावकों की सहमति के बिना ही रात में उसका अंतिम संस्कार कर दिया था, जिसकी काफी आलोचना हुई थी.

'इन मामलों का कानून से कोई लेना देना नहीं'
याचिका में यौन उत्पीड़न के मामलों में सुनवाई में होने वाली देरी के मुद्दे भी उठाए गए. याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति एन वी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने की. पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस भी शामिल थे. पीठ ने कहा, इन मामलों का कानून से कोई लेना देना नहीं है. यहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है. इसके लिए समुचित कानून हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसी घटनाएं होती हैं.

पढ़ें: हाथरस मामला : केरल के पत्रकार की गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

कोर्ट ने इन तौर तरीकों पर की थी चिंता व्यक्त
सर्वोच्च अदालत ने आगे कहा, हम कानून पर कानून नहीं बना सकते. याचिकाकर्ता इस संबंध में सरकार से निवेदन कर सकता है. सर्वोच्च अदालत ने 27 अक्टूबर को कहा था कि हाथरस मामले में सीबीआई जांच की निगरानी इलाहाबाद उच्च न्यायालय करेगा और सीआरपीएफ पीड़िता के परिवार और गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराएगा. न्यायालय ने अक्टूबर में कुछ याचिकाओं पर फैसला सुनाया था, जिसमें घटना और अंतिम संस्कार के तौर तरीकों को लेकर चिंता व्यक्त की गई थी.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मीडिया में हाथरस पीड़िता की तस्वीर प्रकाशित किए जाने को लेकर, सवाल उठाने वाली एक याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर इनकार किया कि अदालत इस पर कानून नहीं बना सकती है और याचिकाकर्ता मामले पर सरकार से निवेदन कर सकता है.

हाथरस में 14 सितंबर को 19 वर्षीय एक दलित लड़की से चार लोगों ने कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म किया था. दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उपचार के दौरान 29 सितंबर को लड़की की मौत हो गयी थी. प्रशासन ने लड़की के अभिभावकों की सहमति के बिना ही रात में उसका अंतिम संस्कार कर दिया था, जिसकी काफी आलोचना हुई थी.

'इन मामलों का कानून से कोई लेना देना नहीं'
याचिका में यौन उत्पीड़न के मामलों में सुनवाई में होने वाली देरी के मुद्दे भी उठाए गए. याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति एन वी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने की. पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस भी शामिल थे. पीठ ने कहा, इन मामलों का कानून से कोई लेना देना नहीं है. यहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है. इसके लिए समुचित कानून हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसी घटनाएं होती हैं.

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कोर्ट ने इन तौर तरीकों पर की थी चिंता व्यक्त
सर्वोच्च अदालत ने आगे कहा, हम कानून पर कानून नहीं बना सकते. याचिकाकर्ता इस संबंध में सरकार से निवेदन कर सकता है. सर्वोच्च अदालत ने 27 अक्टूबर को कहा था कि हाथरस मामले में सीबीआई जांच की निगरानी इलाहाबाद उच्च न्यायालय करेगा और सीआरपीएफ पीड़िता के परिवार और गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराएगा. न्यायालय ने अक्टूबर में कुछ याचिकाओं पर फैसला सुनाया था, जिसमें घटना और अंतिम संस्कार के तौर तरीकों को लेकर चिंता व्यक्त की गई थी.

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