बेतिया: बिहार के बेतिया जिले की रहने वाली 3 साल की श्रेया अब यूरोप जाएगी. उसे अब नया परिवार नए माता-पिता मिल गए हैं. यूरोप के लक्जमबर्ग से बच्चा पाने की चाहत लिए भारत आए एक दंपति की मुराद सोमवार को पूरी हो गई. उन्होंने श्रेया को गोद ले लिया है. अब श्रेया विदेश में रहेगी. जहां उसका अपना एक अलग नाम, एक अलग पहचान होगी.
डीएम डॉ. नीलेश रामचंद्र देवरे की उपस्थिति में लक्जमबर्ग से आए जीन मार्टिन स्टोफेल और उनकी पत्नी शहरा गजाला हेलने लोबो ने बच्ची को गोद लिया. इस आयोजन को संस्था में उत्सव की तरह मनाया गया. जहां नन्हें मासूमों ने, 'नन्हें-नन्हें बालक, हमें ममता लगे प्यारी, माता-पिता ना बिछड़ें, चाहे बिछड़े दुनिया सारी' गाने पर डांस किया.
जन्मदिन मनाकर किया गया विदा
सोमवार को श्रेया का जन्मदिन था. इस दिन को संस्था ने केक काटकर सेलिब्रेट किया, फिर जिलाधिकारी डॉ. नीलेश रामचंद देवरे ने बच्ची को तिलक लगाकर दंपति को सौंप दिया. गोद में बच्ची को लेकर जीन मार्टिन स्टोफेल और उनकी पत्नी शहरा गजाला के चेहरे खिल उठे.
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'अच्छे अभिभावक बनने की पूरी कोशिश करेंगे'
बच्ची को गोद लेकर दंपति ने कहा कि वे एक अच्छे अभिभावक बनकर इस बच्ची का पालन पोषण करेंगे. उन्होंने अपने आप को सौभाग्यशाली बताया. वहीं, डीएम ने कहा कि विशिष्ट दत्तक संस्था में बच्चों का पालन बेहतर तरीके से हो रहा है. यह खुशी की बात है कि गोद लेने वाले अभिभावकों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है.
यह है पूरी प्रक्रिया:
- दिल्ली स्थित सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी को ऑनलाइन आवेदन देने के बाद दंपति गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया की शुरुआत करते हैं.
- इसमें नंबर के अनुसार उन्हें देश के विभिन्न भागों में स्थित दत्तक ग्रहण संस्थान के बच्चों की तस्वीर दिखाकर चयन का ऑफर दिया जाता है.
- फिर संबंधित जिले के परिवार न्यायालय के माध्यम से कानूनी प्रक्रिया पूरी करवाई जाती है.
- तब जाकर बच्चे या बच्ची को दंपति को सौंपा जाता है.
- हर 3 महीने बाद दंपति को कोर्ट जाकर बच्चे का हाल बताना पड़ता है.
गौरतलब है कि 2018 से शुरू हुई विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्था से 7 बच्चों के माता-पिता अब तक मिल चुके हैं. अभी 11 बच्चे-बच्चियां हैं. जिनमें से 5 का चयन विदेशी दंपति कर चुके हैं.