हैदराबाद : विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूएनएड्स द्वारा बुलाए गए एक मॉडलिंग समूह ने अनुमान लगाया है कि अगर कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं और आपूर्ति में रुकावट को कम करने के लिए प्रयास नहीं किए जाते हैं, तो एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी के छह महीने तक बधित होने से एड्स से संबंधित बीमारियों से 5,00,000 से अधिक मौतें हो सकती हैं.
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ टेड्रोस एडनोम गेब्रेयेसस ने कहा कि अफ्रीका में एड्स से संबंधित बीमारियों से मरने वाले लोगों की संख्या पांच लाख से अधिक हो सकती है. यह इतिहास में वापस आने जैसा होगा.
उन्होंने आगे कहा कि सभी देशों को महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं को बनाए रखने की जरूरत है. एचआईवी के लिए कुछ देश पहले से ही महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं. उदाहरण के लिए सभी देश यह सुनिश्चित करें कि लोग उपचार के स्व परीक्षण किट सहित अन्य आवश्यक वस्तुओं को ड्रॉप-ऑफ पॉइंट से एकत्र कर सकें, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं और स्वास्थ्य कर्माचारियों को राहत मिले.
डब्ल्यूएचओ प्रमुख गेब्रेयेसस ने कहा कि 'हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि परीक्षण और उपचार की वैश्विक आपूर्ति उन देशों में जारी रहे हैं, जहां उनकी आवश्यकता है.
गेब्रेयेसस ने कहा बताया कि उप सहारा अफ्रीका में करीब 25.7 मिलयन लोग एड्स से पीड़ित हैं. 2018 में इसमें से 16.4 मिलियन (64%) लोग एंटीरेट्रोवायरल थेरपी करा रहे थे.
पढ़ें : कोरोना महामारी : एंटीवायरल दवाएं बनाना इतना जटिल क्यों है?
कोरोना वायरस के दौरान एचआईवी सेवाएं बंद हैं या फिर ऑपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के एंटीरेट्रोवायरल थेरपी नहीं हो पा रही है. इससे इन लोगों का इलाज बधित हैं. इससे खतरा बढ़ सकता है. बाधित सेवाएं एचआईवी के मातृ-शिशु संचरण को रोकने में प्राप्त सफलता को पलट सकती हैं.
उप-सहारा अफ्रीका क्षेत्र में 2010 के बाद एचआईवी से संक्रमित होने वाले बच्चों में 43 फीसद की कमी आई है.
कोरोना वायरस की वजह से छह महीने के लिए इन सेवाओं के बंद होने से नए बच्चे एचआईवी संक्रमण में काफी वृद्धि देखी जा सकती है, मोजाम्बिक में 37%, मलावी में 78%, जिम्बाब्वे में 78% और युगांडा में 104% तक वृद्धी हो सकती है.