ETV Bharat / bharat

विशेष : भारत की भीड़-भाड़ वाली जेलों में कोरोना बन सकता है खतरनाक - भीड़ भाड़ वाली जेलों में

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी भारतीय जेल सांख्यिकी (पीएसआई) 2018 के अनुसार वर्ष 2018 में भारत की जेलों की क्षमता 3,96,223 कैदियों की थी जबकि वास्तविक अधिभोग 4,66,084 था. यह जेलों में कैदियों की संख्या से 17.6% अधिक है. ऐसे में कैदियों में कोरोना संक्रमण के बहुत तेजी से फैलने का खतरा बढ़ जाता है.पढ़ें विस्तार से...

PHOTO
फोटो
author img

By

Published : Jun 1, 2020, 8:10 PM IST

Updated : Jun 1, 2020, 8:30 PM IST

हैदराबाद : राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी भारतीय जेल सांख्यिकी (पीएसआई) 2018 के अनुसार वर्ष 2018 में भारत की जेलों की क्षमता 3,96,223 कैदियों की थी जबकि वास्तविक अधिभोग 4,66,084 था. यह जेलों में कैदियों की संख्या से 17.6% अधिक है.

साल 2018 के नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक किसी को जेल में रखने का खर्च छोटा नहीं है. भारत की 1,339 जेलों में 4,60,916 से अधिक कैदी हैं, जो 60,000 से अधिक जेल अधिकारियों को रोजगार देते हैं और इनपर सरकार के 60,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होते हैं. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और पंजाब से 2018 में भारत में कुल 57.1% कैदी शामिल थे.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि अगर तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो दुनियाभर की जेलों में COVID-19 से बड़ी मृत्यु दर की आशंका है. कोरोना वायरस के डर ने भारतीय अधिकारियों को विभिन्न राज्यों में पैरोल पर हजारों कैदियों को, जिन पर मुकदमा चल रहा है, रिहा करने के लिए मजबूर किया है क्योंकि महामारी विज्ञानियों ने चेतावनी दी है कि अगर वायरस इन जेलों के अंदर फैलना शुरू हुआ तो हालात नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे.

जेलों में भीड़-भाड़
कुछ जिले और केंद्रशाशित प्रदेश जेल में कैदियों की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं. 31 दिसंबर 2019 तक जारी आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में कैदियों की संख्या जेल की क्षमता से 76.5 प्रतिशत अधिक है. वहीं दिल्ली के तिहाड़ जेल की कैदी क्षमता 5200 है जबकि उसमें 12,106 कैदियों को रखा गया था.

समस्याएं घटिया या खराब स्वच्छता सुविधाओं और साझा स्थानों तक फैली हुई हैं, जो बहुत भीड़-भाड़ वाली हैं. भीड़-भाड़ वाली जेल से कैदियों के बीच संक्रमण के तेजी से फैलने की संभावना बढ़ जाती है. कम कैदियों वाली जेलों में ऐसे कैदियों को स्थानांतरित कर स्थिति को थोड़ा काबू में किया जा सकता है. लेकिन कैदियों की हस्तांतरण प्रक्रिया में संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है.

भारतीय जेलों में चिकित्सा देखभाल
जेलों में सेवारत डॉक्टरों की कमी है और अन्य संबंधित कर्मचारियों में से अधिकतर को कम प्रशिक्षित किया जाता है. 2018 के अंत में 3,220 की स्वीकृत संख्या के मुकाबले भारतीय जेलों में 1,914 चिकित्साकर्मी तैनात थे, जो 40% से अधिक कम है. प्रिजन स्टैटिस्टिक्स ऑफ इंडिया डेटा से पता चलता है कि भारत की जेलों 243 कैदियों पर एक चिकित्साकर्मी है. झारखंड के हालत सबसे बदतर है, जहां 1375 कैदियों पर एक डॉक्टर है. इसके बाद पश्चिम बंगाल में 923 और उत्तर प्रदेश में 737 कैदियों पर एक चिकित्सक है.

सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में भीड़ कम करने के लिए दिया कैदियों की रिहाई का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों से 20 मार्च तक जवाब मांगा था कि वे जेलों में भीड़ कम करने के लिए कौन से कदम उठा कहे हैं.

न्यायालय ने रिहाई पर विचार के लिए कई सुझाव भी दिए.

CHRI राज्यों में सिर्फ हिमाचल प्रदेश एचपीसी द्वारा जारी आदेशों, रिहाई के लिए पहचाने गए कैदियों की श्रेणियों और देशभर में विज्ञप्ति की अनुमानित बनाम वास्तविक संख्या पर नजर रख रहा है. 27 मई, 2020 से उसने भारतीय जेलों में सकारात्मक मामलों की संख्या पर भी नजर रखना शुरू कर दिया है.

पढ़ें-मोदी कैबिनेट के अहम फैसले : सुक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग को 20 हजार करोड़ का राहत पैकेज

जेलों में एहतियाती उपाय
आर्थर रोड की जेल में एक अस्थायी संगरोध क्षेत्र स्थापित किया गया था. प्रशासन के एक सदस्य ने बताया कि एक मेडिकल टीम रोजाना इस जगह का दौरा कर रही थी.

दिल्ली उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति ने भीड़ कम करने के लिए रोहिणी जेल से 200 और तिहाड़ जेल से 50 कैदियों को मंडोली जेल में स्थानांतरित करने का फैसला किया.

जेल अधिकारियों ने निर्दिष्ट किया कि इस्तेमाल की जाने वाली बसों को उनकी क्षमता के आधे या एक चौथाई से अधिक नहीं भरा जाना चाहिए. उच्चतम न्यायालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से अनुरोध किया कि वे भारतीय जेलों के भीतर कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए उपायों का संचार करें.

अदालत इस बात को लेकर चिंतित है कि भीड़-भाड़ से सोशल डिस्टेंसिंग लागू करने में मुश्किल हो सकती है, जो खतनाक है.

देश में ऑक्यूपेंसी रेट (कैदी दर) औसतन 117.6% और उत्तर प्रदेश में यह 176.5% तक है. केरल और दिल्ली के अधिकारियों ने आइसोलेशन सेल स्थापित करने का फैसला किया, जिसमें बुखार के लक्षण वाले सभी कैदियों को रखा जाता है .

सभी नए कैदियों को छह दिनों की अवधि के लिए क्वारंटाइन में रखा जाता है. केरल सरकार ने उत्पादन मास्क और हाइड्रोअल्कोहलिक जेल के लिए कैदियों की मांग की घोषणा की है.

हैदराबाद : राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी भारतीय जेल सांख्यिकी (पीएसआई) 2018 के अनुसार वर्ष 2018 में भारत की जेलों की क्षमता 3,96,223 कैदियों की थी जबकि वास्तविक अधिभोग 4,66,084 था. यह जेलों में कैदियों की संख्या से 17.6% अधिक है.

साल 2018 के नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक किसी को जेल में रखने का खर्च छोटा नहीं है. भारत की 1,339 जेलों में 4,60,916 से अधिक कैदी हैं, जो 60,000 से अधिक जेल अधिकारियों को रोजगार देते हैं और इनपर सरकार के 60,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होते हैं. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और पंजाब से 2018 में भारत में कुल 57.1% कैदी शामिल थे.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि अगर तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो दुनियाभर की जेलों में COVID-19 से बड़ी मृत्यु दर की आशंका है. कोरोना वायरस के डर ने भारतीय अधिकारियों को विभिन्न राज्यों में पैरोल पर हजारों कैदियों को, जिन पर मुकदमा चल रहा है, रिहा करने के लिए मजबूर किया है क्योंकि महामारी विज्ञानियों ने चेतावनी दी है कि अगर वायरस इन जेलों के अंदर फैलना शुरू हुआ तो हालात नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे.

जेलों में भीड़-भाड़
कुछ जिले और केंद्रशाशित प्रदेश जेल में कैदियों की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं. 31 दिसंबर 2019 तक जारी आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में कैदियों की संख्या जेल की क्षमता से 76.5 प्रतिशत अधिक है. वहीं दिल्ली के तिहाड़ जेल की कैदी क्षमता 5200 है जबकि उसमें 12,106 कैदियों को रखा गया था.

समस्याएं घटिया या खराब स्वच्छता सुविधाओं और साझा स्थानों तक फैली हुई हैं, जो बहुत भीड़-भाड़ वाली हैं. भीड़-भाड़ वाली जेल से कैदियों के बीच संक्रमण के तेजी से फैलने की संभावना बढ़ जाती है. कम कैदियों वाली जेलों में ऐसे कैदियों को स्थानांतरित कर स्थिति को थोड़ा काबू में किया जा सकता है. लेकिन कैदियों की हस्तांतरण प्रक्रिया में संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है.

भारतीय जेलों में चिकित्सा देखभाल
जेलों में सेवारत डॉक्टरों की कमी है और अन्य संबंधित कर्मचारियों में से अधिकतर को कम प्रशिक्षित किया जाता है. 2018 के अंत में 3,220 की स्वीकृत संख्या के मुकाबले भारतीय जेलों में 1,914 चिकित्साकर्मी तैनात थे, जो 40% से अधिक कम है. प्रिजन स्टैटिस्टिक्स ऑफ इंडिया डेटा से पता चलता है कि भारत की जेलों 243 कैदियों पर एक चिकित्साकर्मी है. झारखंड के हालत सबसे बदतर है, जहां 1375 कैदियों पर एक डॉक्टर है. इसके बाद पश्चिम बंगाल में 923 और उत्तर प्रदेश में 737 कैदियों पर एक चिकित्सक है.

सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में भीड़ कम करने के लिए दिया कैदियों की रिहाई का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों से 20 मार्च तक जवाब मांगा था कि वे जेलों में भीड़ कम करने के लिए कौन से कदम उठा कहे हैं.

न्यायालय ने रिहाई पर विचार के लिए कई सुझाव भी दिए.

CHRI राज्यों में सिर्फ हिमाचल प्रदेश एचपीसी द्वारा जारी आदेशों, रिहाई के लिए पहचाने गए कैदियों की श्रेणियों और देशभर में विज्ञप्ति की अनुमानित बनाम वास्तविक संख्या पर नजर रख रहा है. 27 मई, 2020 से उसने भारतीय जेलों में सकारात्मक मामलों की संख्या पर भी नजर रखना शुरू कर दिया है.

पढ़ें-मोदी कैबिनेट के अहम फैसले : सुक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग को 20 हजार करोड़ का राहत पैकेज

जेलों में एहतियाती उपाय
आर्थर रोड की जेल में एक अस्थायी संगरोध क्षेत्र स्थापित किया गया था. प्रशासन के एक सदस्य ने बताया कि एक मेडिकल टीम रोजाना इस जगह का दौरा कर रही थी.

दिल्ली उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति ने भीड़ कम करने के लिए रोहिणी जेल से 200 और तिहाड़ जेल से 50 कैदियों को मंडोली जेल में स्थानांतरित करने का फैसला किया.

जेल अधिकारियों ने निर्दिष्ट किया कि इस्तेमाल की जाने वाली बसों को उनकी क्षमता के आधे या एक चौथाई से अधिक नहीं भरा जाना चाहिए. उच्चतम न्यायालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से अनुरोध किया कि वे भारतीय जेलों के भीतर कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए उपायों का संचार करें.

अदालत इस बात को लेकर चिंतित है कि भीड़-भाड़ से सोशल डिस्टेंसिंग लागू करने में मुश्किल हो सकती है, जो खतनाक है.

देश में ऑक्यूपेंसी रेट (कैदी दर) औसतन 117.6% और उत्तर प्रदेश में यह 176.5% तक है. केरल और दिल्ली के अधिकारियों ने आइसोलेशन सेल स्थापित करने का फैसला किया, जिसमें बुखार के लक्षण वाले सभी कैदियों को रखा जाता है .

सभी नए कैदियों को छह दिनों की अवधि के लिए क्वारंटाइन में रखा जाता है. केरल सरकार ने उत्पादन मास्क और हाइड्रोअल्कोहलिक जेल के लिए कैदियों की मांग की घोषणा की है.

Last Updated : Jun 1, 2020, 8:30 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.