अहमदाबाद : गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य में कोविड-19 की स्थिति को 'काफी भयावह' बताते हुए मुख्य सचिव को पांच वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की एक समिति गठित करने का निर्देश दिया है. समिति उन सभी सिविल और सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था के संबंध में एक रिपोर्ट तैयार करेगी, जहां इस बीमारी के मरीजों का इलाज किया जा रहा है.
मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जेबी परदीवाला की खंडपीठ ने एक आदेश में कहा कि समिति सभी सरकारी व सिविल अस्पतालों में कमियों को देखते हुए (यदि कोई हो) ऐसे अस्पतालों की मौजूदा स्थिति के बारे में एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करेगी ताकि उन्हें (कमियों को) ठीक किया जा सके.
पीठ ने कहा, 'गुजरात राज्य में आज की तारीख में स्थितियों के संबंध में जो तस्वीर उभरती है, वह काफी भयावह है.'
पीठ ने 17 अगस्त के अपने आदेश में कहा 'हालांकि कोविड-19 महामारी की स्थिति से निपटने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं, फिर भी मशीनरी को दुरूस्त करने की जरूरत है और राज्य को सबसे खराब स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए.' अदालत का यह आदेश सोमवार को उपलब्ध कराया गया.
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अदालत का यह आदेश उस जनहित याचिका पर आया है जिसमें राज्य में कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए गुजरात सरकार की तैयारियों का विवरण दिए जाने का अनुरोध किया गया है.
अदालत ने गुजरात के सभी सिविल अस्पतालों, विशेष रूप से वड़ोदरा, राजकोट, भावनगर और गांधीनगर के, की स्थिति के बारे में जानकारी देने को कहा.
पीठ ने मुख्य सचिव को पांच वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की टीम गठित करने का निर्देश दिया जो संयुक्त, अतिरिक्त सचिव स्तर से नीचे के नहीं होंगे. समिति पूरे गुजरात का दौरा कर सभी सरकारी अस्पतालों में मौजूदा स्थिति का जायजा लेगी.