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विश्व को महामारी से बचाने के लिए कोरोना वैक्सीन का अविष्कार जरूरी

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Published : May 13, 2020, 4:54 PM IST

पूरे विश्व को कोरोना वायरस-2 से बचाने के लिए भारी संख्या में लोगों का टीकाकरण करने की आवश्यकता है. कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए कई प्रभावी टीके बनाने और उसे वितरित करना अब ज्यादा जरूरी हो गया है. इसके लिए समन्वित रणनीति की आवश्यकता है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

हैदराबाद : कोरोना से अब तक लाखों लोग मारे जा चुके हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि अब जितनी जल्दी हो सके वायरस के खिलाफ एक से अधिक टीकों का अविष्कार होना चाहिए. कोरोना महामारी को रोकने के लिए खोजे जाने वाले टीके के नैदानिक ​​परीक्षण और वितरण के लिए दुनिया के सभी देशों के बीच आपस में सहयोगी दृष्टिकोण का होना आवश्यक है. इन विषयों को समझने वाले वैज्ञानिक, लेखकों ने इस संदर्भ में एक लेख प्रकाशित कर इस बात की जानकारी दी.

बता दें कि एक तरफ अमेरिका चीन की वुहान लैब पर दुनिया को मौत का वायरस देने का आरोप लगा रहा है. वहीं दूसरी तरफ दुनिया के तकरीबन कई देशों की लैब में जिंदगी बचाने के लिए टीका बनाने की होड़ मची हुई है. इटली से पहले ब्रिटेन, जर्मनी जैसे देश भी कोरोना का टीका बनाने का दावा कर चुके हैं.

कोरोना (COVID-19) महामारी से विश्व की जनता, सरकार सब त्रस्त हैं. दूसरी तरफ सरकार, उद्योग जगत और शिक्षाविदों ने विभिन्न प्रकार के टीका बनाने के प्रयासों में जुटे हुए हैं. लेखकों ने उल्लेख किया कि कोरोना ( SARS-CoV-2, COVID -19) का कारण बनने वाले वायरस से वैश्विक समुदाय को सफलतापूर्वक बचाने के लिए एक से अधिक प्रभावी वैक्सीन दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी. उन्होंने अनुसंधान और विकास के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण का वर्णन किया, जो समानांतर में इससे जुड़े कई टीकों के लिए आवश्यक डेटा उत्पन्न करेगा.

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के निदेशक फ्रांसिस एस कोलिन्स, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज (एनआईएआईडी) के निदेशक एंथनी एस फौसी, लॉरेंस कोरी, सिएटल में फ्रेड डिचींसन कैंसर रिसर्च सेंटर में वैक्सीन और संक्रामक रोग प्रभाग में प्रोफेसर और जॉन आर मासकोला, जो कि NIAID के वैक्सीन रिसर्च सेंटर के निदेशक लेख के सह-लेखक हैं.

इन सब लेखकों ने वैश्विक समुदाय को कोरोना महामारी से बचाने के लिए जल्द से जल्द वैक्सीन की खोज पर जोर दिया है. क्योंकि इस महामारी की वजह से अब तक लाखों लोगों की मौत हो चुकी है और यह सिलसिला जारी है. अब जल्द से जल्द दुनिया को कोरोना से बचने के लिए टीके की ढाल मिलना जरूरी हो गया है.

लेखकों ने जोर देकर कहा कि शोधकर्ताओं को कोरोना के खिलाफ एक टिकाऊ सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा योजना का गठन करने के बारे में अधिक जानने और समझने की जरूरत है. उन्होंने (लेखकों) इस दौरान वैक्सीन प्रभावकारिता परीक्षणों के लिए विचारों की समीक्षा की, जिसमें बताया गया है कि आवश्यक सुरक्षा और प्रभावकारिता डेटा उत्पन्न करने के लिए और COVID-19 टीकों के लाइसेंस और वितरण में तेजी लाने के लिए कई अलग-अलग टीकों के परीक्षण कैसे किए जा सकते हैं.

लेखकों ने कई टीके उत्पादों के नैदानिक ​​परीक्षण के मेल के लिए विशिष्ट दृष्टिकोणों का प्रस्ताव किया, जिसमें सामान्य नैदानिक ​​परीक्षण डिजाइन, नैदानिक ​​समापन बिंदु, मानकीकृत प्रतिरक्षा परख और एक आम डेटा सुरक्षा और निगरानी बोर्ड को साथ में लाना शामिल है.

लेखकों ने जोर दिया कि COVID-19 टीकों को विकसित करने के लिए सरकारों, शैक्षणिक संस्थानों, उद्योग और वैश्विक परोपकारी सहयोगियों से अभूतपूर्व सहयोग की आवश्यकता होगी.

लेखकों ने आगे बताया कि संपूर्ण वैश्विक समुदाय को टीकाकरण के माध्यम से COVID -19 से बचाने के लिए महत्वपूर्ण विनिर्माण क्षमता की आवश्यकता होगी. लेखकों का यह भी मानना है कि कोरोना टीके के निर्माण से लेकर सुपुर्दगी तक जिन बुनियादी चीजों की आवश्यकता होती है, उसे अवश्य पूरा किया जाना चाहिए. उन्होंने इसके लिए धन, बुनियादी ढांचा, संभावित बाधाओं पर ध्यान देने की बात कही.

अंत में लेखकों ने निष्कर्ष निकाला कि कोरोना वैक्सीन विकास को प्रभावी ढंग से तेज करने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच रणनीतिक सहयोग आवश्यक है.

हैदराबाद : कोरोना से अब तक लाखों लोग मारे जा चुके हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि अब जितनी जल्दी हो सके वायरस के खिलाफ एक से अधिक टीकों का अविष्कार होना चाहिए. कोरोना महामारी को रोकने के लिए खोजे जाने वाले टीके के नैदानिक ​​परीक्षण और वितरण के लिए दुनिया के सभी देशों के बीच आपस में सहयोगी दृष्टिकोण का होना आवश्यक है. इन विषयों को समझने वाले वैज्ञानिक, लेखकों ने इस संदर्भ में एक लेख प्रकाशित कर इस बात की जानकारी दी.

बता दें कि एक तरफ अमेरिका चीन की वुहान लैब पर दुनिया को मौत का वायरस देने का आरोप लगा रहा है. वहीं दूसरी तरफ दुनिया के तकरीबन कई देशों की लैब में जिंदगी बचाने के लिए टीका बनाने की होड़ मची हुई है. इटली से पहले ब्रिटेन, जर्मनी जैसे देश भी कोरोना का टीका बनाने का दावा कर चुके हैं.

कोरोना (COVID-19) महामारी से विश्व की जनता, सरकार सब त्रस्त हैं. दूसरी तरफ सरकार, उद्योग जगत और शिक्षाविदों ने विभिन्न प्रकार के टीका बनाने के प्रयासों में जुटे हुए हैं. लेखकों ने उल्लेख किया कि कोरोना ( SARS-CoV-2, COVID -19) का कारण बनने वाले वायरस से वैश्विक समुदाय को सफलतापूर्वक बचाने के लिए एक से अधिक प्रभावी वैक्सीन दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी. उन्होंने अनुसंधान और विकास के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण का वर्णन किया, जो समानांतर में इससे जुड़े कई टीकों के लिए आवश्यक डेटा उत्पन्न करेगा.

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के निदेशक फ्रांसिस एस कोलिन्स, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज (एनआईएआईडी) के निदेशक एंथनी एस फौसी, लॉरेंस कोरी, सिएटल में फ्रेड डिचींसन कैंसर रिसर्च सेंटर में वैक्सीन और संक्रामक रोग प्रभाग में प्रोफेसर और जॉन आर मासकोला, जो कि NIAID के वैक्सीन रिसर्च सेंटर के निदेशक लेख के सह-लेखक हैं.

इन सब लेखकों ने वैश्विक समुदाय को कोरोना महामारी से बचाने के लिए जल्द से जल्द वैक्सीन की खोज पर जोर दिया है. क्योंकि इस महामारी की वजह से अब तक लाखों लोगों की मौत हो चुकी है और यह सिलसिला जारी है. अब जल्द से जल्द दुनिया को कोरोना से बचने के लिए टीके की ढाल मिलना जरूरी हो गया है.

लेखकों ने जोर देकर कहा कि शोधकर्ताओं को कोरोना के खिलाफ एक टिकाऊ सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा योजना का गठन करने के बारे में अधिक जानने और समझने की जरूरत है. उन्होंने (लेखकों) इस दौरान वैक्सीन प्रभावकारिता परीक्षणों के लिए विचारों की समीक्षा की, जिसमें बताया गया है कि आवश्यक सुरक्षा और प्रभावकारिता डेटा उत्पन्न करने के लिए और COVID-19 टीकों के लाइसेंस और वितरण में तेजी लाने के लिए कई अलग-अलग टीकों के परीक्षण कैसे किए जा सकते हैं.

लेखकों ने कई टीके उत्पादों के नैदानिक ​​परीक्षण के मेल के लिए विशिष्ट दृष्टिकोणों का प्रस्ताव किया, जिसमें सामान्य नैदानिक ​​परीक्षण डिजाइन, नैदानिक ​​समापन बिंदु, मानकीकृत प्रतिरक्षा परख और एक आम डेटा सुरक्षा और निगरानी बोर्ड को साथ में लाना शामिल है.

लेखकों ने जोर दिया कि COVID-19 टीकों को विकसित करने के लिए सरकारों, शैक्षणिक संस्थानों, उद्योग और वैश्विक परोपकारी सहयोगियों से अभूतपूर्व सहयोग की आवश्यकता होगी.

लेखकों ने आगे बताया कि संपूर्ण वैश्विक समुदाय को टीकाकरण के माध्यम से COVID -19 से बचाने के लिए महत्वपूर्ण विनिर्माण क्षमता की आवश्यकता होगी. लेखकों का यह भी मानना है कि कोरोना टीके के निर्माण से लेकर सुपुर्दगी तक जिन बुनियादी चीजों की आवश्यकता होती है, उसे अवश्य पूरा किया जाना चाहिए. उन्होंने इसके लिए धन, बुनियादी ढांचा, संभावित बाधाओं पर ध्यान देने की बात कही.

अंत में लेखकों ने निष्कर्ष निकाला कि कोरोना वैक्सीन विकास को प्रभावी ढंग से तेज करने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच रणनीतिक सहयोग आवश्यक है.

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