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हाथरस से पहले भी दुष्कर्म मामलों पर स्वतः संज्ञान लेता रहा है कोर्ट

हाथरस मामला लगातार सुर्खियों में बना हुआ है. उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले में आरोप झेल रहे कई अधिकारियों पर कार्रवाई की है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए पूरे मामले पर कड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि इस घटना ने न्यायाधीशों के विवेक को झकझोर दिया है.

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Published : Oct 5, 2020, 6:16 PM IST

हैदराबाद : उत्तर प्रदेश प्रशासन की हाथरस में 19 साल की युवती की हत्या के मामले में घोर आलोचना हुई है. पुलिस और जिला प्रशासन ने पीड़िता के शव का जबरन दाह-संस्कार कर दिया. इस भयावह घटना के प्रति लोगों के आक्रोश के बीच प्रशासन ने हाथरस को एक तालाबंदी के तहत रखा. मीडिया और राजनीतिक नेताओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गई. यूपी सरकार ने शुक्रवार रात मामले में हाथरस के कई अधिकारियों को निलंबित कर दिया. इलाहाबाद उच्च न्यायालय (लखनऊ बेंच) ने गैंगरेप और आधी रात दाह संस्कार मामले पर संज्ञान लेते हुए कहा कि इस घटना ने न्यायाधीशों के विवेक को झकझोर दिया है.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय (लखनऊ बेंच) में मामला

इलाहाबाद उच्च न्यायालय (लखनऊ बेंच) ने कहा कि हम इस बात की जांच करेंगे कि क्या मृतक और पीड़ित के परिवार के मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन हुआ है? क्या राज्य के अधिकारियों ने इस तरह के अधिकारों का उल्लंघन करने के लिए दमनकारी और गैरकानूनी रूप से कार्य किया है? कोर्ट ने गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक, एडीजी (कानून एवं व्यवस्था), हाथरस के जिला मजिस्ट्रेट और हाथरस के एसपी को पीड़ित परिवार के सदस्यों को सुरक्षा प्रदान करने का भी आदेश दिया है. अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को है. न्यायिक हस्तक्षेप ने मामले में न्याय हासिल करने के लिए आशा की कुछ झलक प्रदान की है. एक वर्ष से अधिक की अवधि में उत्तर प्रदेश राज्य से यह तीसरा बलात्कार का मामला है, जिसमें अदालत उचित जांच सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप कर रही है.

उन्नाव केस

साल 2017 में उन्नाव की एक नाबालिग लड़की के बलात्कार से संबंधित मामलों की स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मामले को यूपी से दिल्ली स्थानांतरित करने के लिए हस्तक्षेप किया. सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप एक भयानक घटना के बाद आया, जो 28 जुलाई, 2019 को हुआ था. उन्नाव बलात्कार पीड़िता को सड़क हादसे में मारने की कोशिश की गई. सड़क हादसे से कुछ दिन पहले पीड़िता ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र भेजकर बताया था कि उसकी जान को खतरा है. 30 जुलाई को तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई ने उन्नाव महिला द्वारा भेजे गए पत्र पर पूछा कि इस देश में क्या चल रहा है ? अदालत ने उन्नाव बलात्कार से संबंधित सभी मामलों को स्थानांतरित कर दिया, जिसमें उत्तरजीवी के पिता की हिरासत में मौत और ट्रक टक्कर से संबंधित मामला शामिल था.

अदालत ने उत्तरजीवी को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया और एम्स दिल्ली में उसके इलाज की व्यवस्था की. मामले में मुख्य आरोपी भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर गिरफ्तार किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मामलों की सुनवाई को स्थानांतरित करते हुए कार्यवाही पूरी करने के लिए चार महीने की समय सीमा तय की. शीर्ष अदालत ने सीबीआई को यूपी पुलिस से सड़क दुर्घटना की जांच करने के लिए कहा. दिसंबर 2019 में दिल्ली की एक अदालत ने कुलदीप सिंह सेंगर को बलात्कार का दोषी पाया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई. पीड़िता के पिता की मृत्यु और सड़क दुर्घटना से संबंधित अन्य मामलों में कार्यवाही प्रगति पर है.

शाजहांपुर मामला

पिछले साल अगस्त में यूपी के शाजहांपुर के एक कॉलेज में एलएलएम की छात्रा ने फेसबुक पर एक वीडियो अपलोड कर आरोप लगाया था कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता स्वामी चिन्मयानंद ने उसका कई बार यौन शोषण किया. वह स्वामी शुकदेवानंद लॉ कॉलेज में पढ़ रही थी, जिसमें चिन्मयानंद निदेशक थे. फेसबुक वीडियो में उसने आरोप लगाया कि चिन्मयानंद ने कई लड़कियों के जीवन को नष्ट कर दिया. वीडियो वायरल होने के कुछ दिनों बाद छात्र लापता हो गई. अधिवक्ता शोभा गुप्ता के नेतृत्व में वकीलों के एक समूह ने मुख्य न्यायाधीश के समक्ष इस पहलू का उल्लेख किया. इसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने एक मुकदमे की सुनवाई की और न्यायमूर्ति आर बनुमथी और ए एस बोपन्ना की पीठ ने यूपी सरकार और पुलिस से जवाब मांगा.

पुलिस ने जयपुर से छात्रा का पता लगाया और उसे बेंच के सामने पेश किया. निजी तौर पर लड़की के साथ बातचीत करने के बाद पीठ ने कहा कि खुद की रक्षा के लिए लड़की ने तीन कॉलेज की साथियों के साथ शाहजहांपुर को छोड़ दिया था. 2 सितंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को एक विशेष जांच दल गठित करने का आदेश दिया. पुलिस महानिरीक्षक रैंक के एक पुलिस अधिकारी को छात्रा की शिकायतों और आशंकाओं की जांच का आदेश दिया. न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय को भी जांच की निगरानी करने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद चिन्मयानंद को 20 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था. छात्रा को भी एक काउंटर-केस में भी गिरफ्तार किया गया था. उस पर यह आरोप लगाया गया था कि उसने चिन्मयानंद को यौन शोषण के वीडियो के आधार पर ब्लैकमेल करने की कोशिश की थी.

नवंबर 2019 में एसआईटी ने दोनों मामलों में आरोप पत्र दायर किया, जिसके बाद छात्रा को दिसंबर 2019 में जमानत दे दी गई. इस साल फरवरी में उच्च न्यायालय ने चिन्मयानंद को कुछ असामान्य टिप्पणियों के साथ जमानत दी. उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने आदेश में कहा कि मामले में दोनों ने एक-दूसरे का इस्तेमाल किया. जमानत आदेश में उच्च न्यायालय ने शाहजहांपुर से लखनऊ में मामलों को स्थानांतरित करने का भी निर्देश दिया. ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया गया कि वह मामलों को प्राथमिकता से ले और दिन-प्रतिदिन के आधार पर निपटे. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक लखनऊ को निर्देशित किया गया कि वह एक अधिकारी को नियुक्त करके पूरी परीक्षण अवधि के दौरान छात्रा, उसके परिवार के सदस्यों और गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करें.

हैदराबाद : उत्तर प्रदेश प्रशासन की हाथरस में 19 साल की युवती की हत्या के मामले में घोर आलोचना हुई है. पुलिस और जिला प्रशासन ने पीड़िता के शव का जबरन दाह-संस्कार कर दिया. इस भयावह घटना के प्रति लोगों के आक्रोश के बीच प्रशासन ने हाथरस को एक तालाबंदी के तहत रखा. मीडिया और राजनीतिक नेताओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गई. यूपी सरकार ने शुक्रवार रात मामले में हाथरस के कई अधिकारियों को निलंबित कर दिया. इलाहाबाद उच्च न्यायालय (लखनऊ बेंच) ने गैंगरेप और आधी रात दाह संस्कार मामले पर संज्ञान लेते हुए कहा कि इस घटना ने न्यायाधीशों के विवेक को झकझोर दिया है.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय (लखनऊ बेंच) में मामला

इलाहाबाद उच्च न्यायालय (लखनऊ बेंच) ने कहा कि हम इस बात की जांच करेंगे कि क्या मृतक और पीड़ित के परिवार के मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन हुआ है? क्या राज्य के अधिकारियों ने इस तरह के अधिकारों का उल्लंघन करने के लिए दमनकारी और गैरकानूनी रूप से कार्य किया है? कोर्ट ने गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक, एडीजी (कानून एवं व्यवस्था), हाथरस के जिला मजिस्ट्रेट और हाथरस के एसपी को पीड़ित परिवार के सदस्यों को सुरक्षा प्रदान करने का भी आदेश दिया है. अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को है. न्यायिक हस्तक्षेप ने मामले में न्याय हासिल करने के लिए आशा की कुछ झलक प्रदान की है. एक वर्ष से अधिक की अवधि में उत्तर प्रदेश राज्य से यह तीसरा बलात्कार का मामला है, जिसमें अदालत उचित जांच सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप कर रही है.

उन्नाव केस

साल 2017 में उन्नाव की एक नाबालिग लड़की के बलात्कार से संबंधित मामलों की स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मामले को यूपी से दिल्ली स्थानांतरित करने के लिए हस्तक्षेप किया. सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप एक भयानक घटना के बाद आया, जो 28 जुलाई, 2019 को हुआ था. उन्नाव बलात्कार पीड़िता को सड़क हादसे में मारने की कोशिश की गई. सड़क हादसे से कुछ दिन पहले पीड़िता ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र भेजकर बताया था कि उसकी जान को खतरा है. 30 जुलाई को तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई ने उन्नाव महिला द्वारा भेजे गए पत्र पर पूछा कि इस देश में क्या चल रहा है ? अदालत ने उन्नाव बलात्कार से संबंधित सभी मामलों को स्थानांतरित कर दिया, जिसमें उत्तरजीवी के पिता की हिरासत में मौत और ट्रक टक्कर से संबंधित मामला शामिल था.

अदालत ने उत्तरजीवी को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया और एम्स दिल्ली में उसके इलाज की व्यवस्था की. मामले में मुख्य आरोपी भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर गिरफ्तार किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मामलों की सुनवाई को स्थानांतरित करते हुए कार्यवाही पूरी करने के लिए चार महीने की समय सीमा तय की. शीर्ष अदालत ने सीबीआई को यूपी पुलिस से सड़क दुर्घटना की जांच करने के लिए कहा. दिसंबर 2019 में दिल्ली की एक अदालत ने कुलदीप सिंह सेंगर को बलात्कार का दोषी पाया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई. पीड़िता के पिता की मृत्यु और सड़क दुर्घटना से संबंधित अन्य मामलों में कार्यवाही प्रगति पर है.

शाजहांपुर मामला

पिछले साल अगस्त में यूपी के शाजहांपुर के एक कॉलेज में एलएलएम की छात्रा ने फेसबुक पर एक वीडियो अपलोड कर आरोप लगाया था कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता स्वामी चिन्मयानंद ने उसका कई बार यौन शोषण किया. वह स्वामी शुकदेवानंद लॉ कॉलेज में पढ़ रही थी, जिसमें चिन्मयानंद निदेशक थे. फेसबुक वीडियो में उसने आरोप लगाया कि चिन्मयानंद ने कई लड़कियों के जीवन को नष्ट कर दिया. वीडियो वायरल होने के कुछ दिनों बाद छात्र लापता हो गई. अधिवक्ता शोभा गुप्ता के नेतृत्व में वकीलों के एक समूह ने मुख्य न्यायाधीश के समक्ष इस पहलू का उल्लेख किया. इसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने एक मुकदमे की सुनवाई की और न्यायमूर्ति आर बनुमथी और ए एस बोपन्ना की पीठ ने यूपी सरकार और पुलिस से जवाब मांगा.

पुलिस ने जयपुर से छात्रा का पता लगाया और उसे बेंच के सामने पेश किया. निजी तौर पर लड़की के साथ बातचीत करने के बाद पीठ ने कहा कि खुद की रक्षा के लिए लड़की ने तीन कॉलेज की साथियों के साथ शाहजहांपुर को छोड़ दिया था. 2 सितंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को एक विशेष जांच दल गठित करने का आदेश दिया. पुलिस महानिरीक्षक रैंक के एक पुलिस अधिकारी को छात्रा की शिकायतों और आशंकाओं की जांच का आदेश दिया. न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय को भी जांच की निगरानी करने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद चिन्मयानंद को 20 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था. छात्रा को भी एक काउंटर-केस में भी गिरफ्तार किया गया था. उस पर यह आरोप लगाया गया था कि उसने चिन्मयानंद को यौन शोषण के वीडियो के आधार पर ब्लैकमेल करने की कोशिश की थी.

नवंबर 2019 में एसआईटी ने दोनों मामलों में आरोप पत्र दायर किया, जिसके बाद छात्रा को दिसंबर 2019 में जमानत दे दी गई. इस साल फरवरी में उच्च न्यायालय ने चिन्मयानंद को कुछ असामान्य टिप्पणियों के साथ जमानत दी. उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने आदेश में कहा कि मामले में दोनों ने एक-दूसरे का इस्तेमाल किया. जमानत आदेश में उच्च न्यायालय ने शाहजहांपुर से लखनऊ में मामलों को स्थानांतरित करने का भी निर्देश दिया. ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया गया कि वह मामलों को प्राथमिकता से ले और दिन-प्रतिदिन के आधार पर निपटे. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक लखनऊ को निर्देशित किया गया कि वह एक अधिकारी को नियुक्त करके पूरी परीक्षण अवधि के दौरान छात्रा, उसके परिवार के सदस्यों और गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करें.

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