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आजाद बोले- चुनाव नहीं हुए तो 50 वर्षों तक विपक्ष में रहेगी पार्टी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी नेतृत्व और सोनिया गांधी को दोबारा अध्यक्ष बनाए रखने के फैसले पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि फिलहाल जिसे पार्टी अध्यक्ष चुना गया है, उसके पास पार्टी के एक प्रतिशत कार्यकर्ताओं का भी समर्थन नहीं है. पढ़ें विस्तार से...

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गुलाम नबी आजाद
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Published : Aug 28, 2020, 7:04 AM IST

Updated : Aug 28, 2020, 9:12 AM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर जारी आंतरिक कलह फिलहाल कम होती नहीं दिख रही है. पहले से ही नाराज वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने एक बार फिर पार्टी नेतृत्व को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अगर में पार्टी में चुनाव नहीं हुए, नेतृत्व में बदलाव नहीं आया तो कांग्रेस अगले 50 वर्षों तक विपक्ष में बैठी रहेगी.

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जब आप चुनाव लड़ते हैं तो कम से कम 51 प्रतिशत लोग आपके साथ होते हैं और आप पार्टी के भीतर केवल दो से तीन लोगों के खिलाफ चुनाव लड़ते हैं. एक को 51 प्रतिशत वोट मिलेंगे, वहीं अन्य को 10 या फिर 15 प्रतिशत वोट मिलेंगे.

उन्होंने आगे कहा कि जो व्यक्ति जीतेगा, वही अध्यक्ष भी बनेगा. इसका मतलब है कि 51 प्रतिशत लोग आपके साथ हैं. चुनाव का लाभ है कि जब आप चुनाव लड़ते हैं तो कम से कम आपकी पार्टी के पास 51 प्रतिशत लोग साथ खड़े होते हैं. अभी अध्यक्ष बनने वाले व्यक्ति के पास एक प्रतिशत समर्थन भी नहीं हो सकता है. यदि सीडब्ल्यूसी के सदस्य चुने जाते हैं, तो उन्हें हटाया नहीं जा सकता. ऐसे में परेशानी क्या है.

आजाद ने कहा कि जो दूसरे, तीसरे या चौथे स्थान पर रहेंगे, वह सोचेंगे कि हमें कड़ी मेहनत करते हुए पार्टी को मजबूत करना होगा और अगली बार जीतना होगा, लेकिन अब जो भी अध्यक्ष चुना गया है, उसे पार्टी के एक प्रतिशत कार्यकर्ताओं का भी समर्थन नहीं है.

चुनाव नहीं करने के परिणामों पर ध्यान आकर्षित करते हुए, उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसी को राज्य में पार्टी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त कर रही है. ये ऐसे लोग हैं, जिनका दिल्ली में आना-जाना लगा रहता है और जिनकी सिफारिश पार्टी के बड़े नेता करते हैं.

उन्होंने कहा कि हमें यह भी नहीं पता कि ऐसे लोगों को एक या 100 प्रतिशत का समर्थन है. कई ऐसे भी हैं, जिनके पास एक प्रतिशत का भी समर्थन नहीं है. ऐसा राज्य, जिले सीडब्ल्यूसी में नेतृत्व के चुनावों में होता है.

उन्होंने आगे कहा कि नियुक्त व्यक्ति को हटाया जा सकता है, लेकिन एक निर्वाचित व्यक्ति को नहीं हटाया जा सकता. इसमें गलत क्या है.

कांग्रेस पार्टी मे संगठन चुनाव के विरोध कर रहे नेताओं की आजाद ने कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि वफादारी का दावा करने वाले लोग असल में सस्ती राजनीति कर रहे हैं और पार्टी और देश के हित के लिए हानिकारक हैं.

उन्होंने आगे कहा कि जो पदाधिकारी या राज्य इकाई के अध्यक्ष या ब्लॉक जिला अध्यक्ष हमारे प्रस्ताव पर तंज कसते हैं, वे जानते हैं कि चुनाव होने पर वे कहीं नहीं होंगे.

मैंने कहा कि पार्टी के राज्य, जिला और ब्लॉक अध्यक्ष का चुनाव पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा किया जाना चाहिए.

उन्होंने पिछले कई दशकों से पार्टी में चुनाव नहीं कराने के लिए अफसोस जताया और कहा कि पिछले लंबे दशक से हमारे पास पार्टी में निर्वाचन निकाय नहीं है. हो सकता है कि हमें 10-15 साल पहले इसके लिए कोशिश करनी चाहिए थी. हम अब हार रहे हैं. अगर हमें वापसी करनी है तो हमें चुनाव के जरिए ही अपनी पार्टी को मजबूती देनी होगी.

अगर पार्टी अगले 50 सालों तक विपक्ष में ही रहना चाहती है, तो पार्टी के भीतर चुनाव कराने की कोई जरूरत नहीं है.

विपक्ष के नेता आजाद ने कहा कि उनका प्रयास पार्टी को मजबूत बनाना है. यह उनकी व्यक्तिगत महत्वकांक्षा नहीं है वे पार्टी के प्रति वफादार हैं.

उन्होंने कहा कि अध्यक्ष नहीं बनना चाहता, बस एक सच्चे कांग्रेसी के रूप में पार्टी की बेहतरी के लिए चुनाव चाहता हूं.

बता दें, कांग्रेस के 23 नेताओं ने पार्टी नेतृत्व को लेकर चिट्ठी लिखी थी. इसके बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाई गई थी. हालांकि बैठक बेनतीजा रही और सोनिया गांधी को ही अंतरिम अध्यक्ष के पद पर बनाए रखने का फैसला लिया गया था.

इसके बाद 23 कांग्रेस नेताओं द्वारा पेश की गई चिट्ठी मामले पर समस्या और गंभीर होती दिखाई दे रही है. अब भी कांग्रेस पार्टी और चिट्ठी पेश करने वाले 23 कांग्रेस नेताओं के बीच सुलह होता नजर नहीं आ रहा है. पार्टी नेतृत्व में बदलाव की मांग करने वालों में गुलाम नबी आजाद प्रमुख हैं.

नई दिल्ली : कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर जारी आंतरिक कलह फिलहाल कम होती नहीं दिख रही है. पहले से ही नाराज वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने एक बार फिर पार्टी नेतृत्व को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अगर में पार्टी में चुनाव नहीं हुए, नेतृत्व में बदलाव नहीं आया तो कांग्रेस अगले 50 वर्षों तक विपक्ष में बैठी रहेगी.

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जब आप चुनाव लड़ते हैं तो कम से कम 51 प्रतिशत लोग आपके साथ होते हैं और आप पार्टी के भीतर केवल दो से तीन लोगों के खिलाफ चुनाव लड़ते हैं. एक को 51 प्रतिशत वोट मिलेंगे, वहीं अन्य को 10 या फिर 15 प्रतिशत वोट मिलेंगे.

उन्होंने आगे कहा कि जो व्यक्ति जीतेगा, वही अध्यक्ष भी बनेगा. इसका मतलब है कि 51 प्रतिशत लोग आपके साथ हैं. चुनाव का लाभ है कि जब आप चुनाव लड़ते हैं तो कम से कम आपकी पार्टी के पास 51 प्रतिशत लोग साथ खड़े होते हैं. अभी अध्यक्ष बनने वाले व्यक्ति के पास एक प्रतिशत समर्थन भी नहीं हो सकता है. यदि सीडब्ल्यूसी के सदस्य चुने जाते हैं, तो उन्हें हटाया नहीं जा सकता. ऐसे में परेशानी क्या है.

आजाद ने कहा कि जो दूसरे, तीसरे या चौथे स्थान पर रहेंगे, वह सोचेंगे कि हमें कड़ी मेहनत करते हुए पार्टी को मजबूत करना होगा और अगली बार जीतना होगा, लेकिन अब जो भी अध्यक्ष चुना गया है, उसे पार्टी के एक प्रतिशत कार्यकर्ताओं का भी समर्थन नहीं है.

चुनाव नहीं करने के परिणामों पर ध्यान आकर्षित करते हुए, उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसी को राज्य में पार्टी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त कर रही है. ये ऐसे लोग हैं, जिनका दिल्ली में आना-जाना लगा रहता है और जिनकी सिफारिश पार्टी के बड़े नेता करते हैं.

उन्होंने कहा कि हमें यह भी नहीं पता कि ऐसे लोगों को एक या 100 प्रतिशत का समर्थन है. कई ऐसे भी हैं, जिनके पास एक प्रतिशत का भी समर्थन नहीं है. ऐसा राज्य, जिले सीडब्ल्यूसी में नेतृत्व के चुनावों में होता है.

उन्होंने आगे कहा कि नियुक्त व्यक्ति को हटाया जा सकता है, लेकिन एक निर्वाचित व्यक्ति को नहीं हटाया जा सकता. इसमें गलत क्या है.

कांग्रेस पार्टी मे संगठन चुनाव के विरोध कर रहे नेताओं की आजाद ने कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि वफादारी का दावा करने वाले लोग असल में सस्ती राजनीति कर रहे हैं और पार्टी और देश के हित के लिए हानिकारक हैं.

उन्होंने आगे कहा कि जो पदाधिकारी या राज्य इकाई के अध्यक्ष या ब्लॉक जिला अध्यक्ष हमारे प्रस्ताव पर तंज कसते हैं, वे जानते हैं कि चुनाव होने पर वे कहीं नहीं होंगे.

मैंने कहा कि पार्टी के राज्य, जिला और ब्लॉक अध्यक्ष का चुनाव पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा किया जाना चाहिए.

उन्होंने पिछले कई दशकों से पार्टी में चुनाव नहीं कराने के लिए अफसोस जताया और कहा कि पिछले लंबे दशक से हमारे पास पार्टी में निर्वाचन निकाय नहीं है. हो सकता है कि हमें 10-15 साल पहले इसके लिए कोशिश करनी चाहिए थी. हम अब हार रहे हैं. अगर हमें वापसी करनी है तो हमें चुनाव के जरिए ही अपनी पार्टी को मजबूती देनी होगी.

अगर पार्टी अगले 50 सालों तक विपक्ष में ही रहना चाहती है, तो पार्टी के भीतर चुनाव कराने की कोई जरूरत नहीं है.

विपक्ष के नेता आजाद ने कहा कि उनका प्रयास पार्टी को मजबूत बनाना है. यह उनकी व्यक्तिगत महत्वकांक्षा नहीं है वे पार्टी के प्रति वफादार हैं.

उन्होंने कहा कि अध्यक्ष नहीं बनना चाहता, बस एक सच्चे कांग्रेसी के रूप में पार्टी की बेहतरी के लिए चुनाव चाहता हूं.

बता दें, कांग्रेस के 23 नेताओं ने पार्टी नेतृत्व को लेकर चिट्ठी लिखी थी. इसके बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाई गई थी. हालांकि बैठक बेनतीजा रही और सोनिया गांधी को ही अंतरिम अध्यक्ष के पद पर बनाए रखने का फैसला लिया गया था.

इसके बाद 23 कांग्रेस नेताओं द्वारा पेश की गई चिट्ठी मामले पर समस्या और गंभीर होती दिखाई दे रही है. अब भी कांग्रेस पार्टी और चिट्ठी पेश करने वाले 23 कांग्रेस नेताओं के बीच सुलह होता नजर नहीं आ रहा है. पार्टी नेतृत्व में बदलाव की मांग करने वालों में गुलाम नबी आजाद प्रमुख हैं.

Last Updated : Aug 28, 2020, 9:12 AM IST
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