नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के आरक्षण को अगले 10 वर्षों तक बढ़ाने का फैसला लिया है.
कांग्रेस ने इस फैसले का स्वागत किया है. इसपर असम प्रदेश कांग्रेस समिति (एपीसीसी) के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा, हम फैसले का स्वागत करते हैं. वास्तव में जब हमारे संविधान में लिखा गया था कि एससी और एसटी समुदाय को उनके समग्र विकास के लिए महत्व देने के लिए प्रावधान शामिल किए गए थे. कांग्रेस पार्टी हमेशा इस तरह के कदम के पक्ष में थी.
बोरा ने कहा कि एससी और एसटी समुदाय को समाज के अन्य समुदाय के लोगों के साथ लाने के लिए आरक्षण आवश्यक है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 25 जनवरी 2020 को समाप्त होने वाले एससी और एसटी आरक्षण को बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
सूत्रों ने कहा, सरकार अब संसद के शीतकालीन सत्र में 25 जनवरी, 2030 तक आरक्षण का विस्तार करने के लिए एक विधेयक लाएगी.
पढ़ें-SC-ST कानून पर सुप्रीम कोर्ट : 'प्रावधानों का दुरुपयोग मानवीय विफलता का नतीजा'
जबकि एससी और एसटी के लिए विधायिका में आरक्षण संवैधानिक संशोधनों के माध्यम से किया जाता है, नौकरियों में इसी तरह के आरक्षण पर संबंधित राज्य सरकारों द्वारा चर्चा की जा रही है.
जानकारी के लिए बता दें, वर्तमान में संसद में SC से 84 और ST समुदाय के 47 सदस्य हैं. वहीं, पूरे भारत में राज्य विधानसभाओं में 614 एससी और 554 एसटी सदस्य हैं.