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पीएम मोदी की नीति से भारत को एक और झटका लगेगा : जयराम रमेश

हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम में भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा है कि जल्द ही पीएम मोदी की नीति से आम लोगों को झटका लगने वाला है. इस बार झटका वाली खबर अंतरराष्ट्रीय जगत से आने वाली है. क्या कहा है जयराम रमेश ने, जानें.

जयराम रमेश
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Published : Oct 25, 2019, 6:33 PM IST

Updated : Oct 25, 2019, 11:03 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि पीएम मोदी की बैंकॉक यात्रा से भारत की इकोनॉमी को बड़ा झटका लगने वाला है. उन्होंने कहा है कि अगले महीने जब पीएम मोदी रिजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) के प्रति भारत की सहमति जताएंगे, तो डिमोनेटाइजेशन और जीएसटी के बाद ये भारत के लिए बड़ा झटका होगा. रमेश ने 'अमूल' के प्रबंध निदेशक द्वारा लिखा एक पत्र भी साझा किया.

जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि आरसीईपी के मौजूदा मसौदे से 'राष्ट्रीय हित' को हटा दिया गया है. उन्होंने कहा, 'जब हमारी अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है, आयात को उदार बनाया जा रहा है, ऐसे वक्त में आरसीईपी पर हस्ताक्षर आत्महत्या करने जैसा है.' उन्होंने इस बात से इनकार किया कि कांग्रेस ने इस मुद्दे पर पलटी मार ली है. रमेश ने कहा कि RCEP 16 देशों के बीच आपसी सहमति है. उन्होंने कहा कि इससे चीन से आयात करना और उदारवादी बनेगा.

बकौल रमेश, हमें नहीं पता कि वुहान और मामल्लापुरम में मोदी और शी जिनपिंग के बीच क्या बातें हुई हैं, लेकिन हम देख सकते हैं कि चीन से आयात उदारवादी होने वाला है. अब मेड इन इंडिया का जिक्र नहीं है, इससे मेड इन चाइना को बढ़ावा मिलेगा.

प्रस्तावित आरसीईपी दक्षिण पूर्व एशियाई देशों (आसियान) के 10 सदस्य देश (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमा, सिंगापुर, थाइलैंड, फिलिपीन, लाओस तथा वियतनाम) तथा उनके छह मुक्त व्यापार साझेदार देश भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच होने वाला वृहद मुक्त व्यापार समझौता है.

पीसी में जानकारी देते कांग्रेस नेता जयराम रमेश

प्रेस वार्ता में एंटनी ने कहा कि आर्थिक मंदी का विषय एक ज्वलंत मुद्दा है, जिसने पूरे देश को और समाज के सभी तबके को चिंतित कर रखा है. उन्होंने कहा, 'लोगों की चिंताओं को लेकर हमेशा संवेदनशील रही पार्टी होने के नाते कांग्रेस आरसीईपी वार्ताओं और समझौते का पूरा विरोध करती है.'

उन्होंने कहा, 'हमारा देश एक गंभीर आर्थिक संकट और मंदी की ओर बढ़ रहा है. इसने भारतीय अर्थव्यवस्था के लगभग हर क्षेत्र को प्रभावित किया है. कृषि, रोजगार, उद्योग और व्यापार तथा भारतीय अर्थव्यवस्था के अन्य सभी क्षेत्र दिन ब दिन संकट की ओर बढ़ रहे हैं. सरकार के लिये यह वक्त जिम्मेदार बनने का है.'

एंटनी ने कहा कि यह सरकार का कर्तव्य है कि वह अर्थव्यवस्था में शीघ्रता से नयी जान फूंकने के लिये अपने सभी संसाधनों को झोंक दे. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की प्राथमिकताएं गलत हैं और वह आम आदमी की मुश्किलों को दूर करने तथा भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर ध्यान नहीं दे रही है.

उन्होंने कहा कि जब लोग अपने रोजमर्रा के जीवन के लिये संघर्ष कर रहे हैं, ऐसे में त्वरित समाधान करने और एक पैकेज तैयार करने तथा अर्थव्यवस्था में नयी जान फूंकने के बजाय वे (सरकार) आरसीईपी समझौते पर चर्चा करने में वक्त बर्बाद कर रहे हैं.

कांग्रेस नेता के सी वेणुगोपाल ने कहा कि आरसीईपी समझौते के खतरों पर बैठक में चर्चा हुई. उन्होंने कहा कि किसान संकट में हैं और यह (समझौता) उनकी तथा मछुआरों की जिंगदी बदतर करने जा रहा है.

उन्होंने कहा, 'कांग्रेस ने देश भर में व्यापक स्तर पर प्रदर्शन करने का फैसला किया है. हम प्रदेश कांग्रेस इकाइयों को व्यापक आंदोलन कार्यक्रम के लिये और आरसीईपी के बारे में जागरूकता अभियान के लिये पहले ही निर्देश दे चुके हैं.'

उन्होंने कहा, 'निश्चित तौर पर हम आरसीईपी के खिलाफ एक साझा आंदोलन मंच बनाने के लिये समान विचारधारा वाली पार्टियों, विपक्षी दलों का सहयोग मांगेंगे. कांग्रेस प्रदेश कांग्रेस समितियों को पांच नवंबर से 15 नवंबर के बीच आर्थिक मंदी और बेरोजगारी के मुद्दे पर प्रदर्शन करने का निर्देश पहले ही दे चुकी है.'

इसके अलावा शुक्रवार को कर्नाटक में विपक्षी दल कांग्रेस और जनता दल-सेक्युलर (जेडीएस) ने भी RCEP से जुड़े केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति दर्ज करायी.

जानकारी के मुताबिक आरसीईपी के तहत मुक्त व्यापार समझौता करने के प्रस्ताव पर कांग्रेस-जेडीएस ने विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है. दोनों ने सरकार को घरेलू उद्योग विशेषकर डेयरी क्षेत्र पर इसके प्रभावों को लेकर आगाह किया है.

ये भी पढ़ें : महाराष्ट्रः सीएम पद को लेकर भाजपा-शिवसेना में 'किचकिच', बीच में कूदी कांग्रेस

कांग्रेस नेता सिद्धरमैया ने मांग की कि प्रस्तावित आरसीईपी समझौते का ब्योरा सार्वजनिक किया जाए. उन्होंने कहा है कि इस समझौते पर हस्ताक्षर से पहले बातचीत की जानी चाहिए.

सिद्धरमैया ने कहा, 'मेरी मांग है कि सरकार इसे लोगों के सामने रखे कि आरसीईपी और मुक्त व्यापार समझौते के तहत क्या होने जा रहा है. इसके लाभ और हानि पर सार्वजनिक बहस होनी चाहिए. इसे गुप्त तरीके से करके देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद नहीं करना चाहिए.' उन्होंने कहा कि यदि सरकार इस पर बिना विचार-विमर्श के हस्ताक्षर कर लेती है तो यह जनता के साथ 'धोखा' होगा. इसके अलावा उन्होंने नोटबंदी, जीएसटी और देश के आर्थिक हालातों का लेकर भी केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की.

जेडीएस के प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि इससे घरेलू डेयरी क्षेत्र प्रभावित हुआ तो विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि वह खुद 'किसान के बेटे' हैं. उन्होंने कहा, 'मैं किसान का बेटा हूं. आयात करने का कोई भी कदम यदि हमारे किसानों को प्रभावित करेगा तो इसका विरोध प्रदर्शन होगा.'

(एक्सट्रा इनपुट- पीटीआई)

नई दिल्ली : कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि पीएम मोदी की बैंकॉक यात्रा से भारत की इकोनॉमी को बड़ा झटका लगने वाला है. उन्होंने कहा है कि अगले महीने जब पीएम मोदी रिजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) के प्रति भारत की सहमति जताएंगे, तो डिमोनेटाइजेशन और जीएसटी के बाद ये भारत के लिए बड़ा झटका होगा. रमेश ने 'अमूल' के प्रबंध निदेशक द्वारा लिखा एक पत्र भी साझा किया.

जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि आरसीईपी के मौजूदा मसौदे से 'राष्ट्रीय हित' को हटा दिया गया है. उन्होंने कहा, 'जब हमारी अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है, आयात को उदार बनाया जा रहा है, ऐसे वक्त में आरसीईपी पर हस्ताक्षर आत्महत्या करने जैसा है.' उन्होंने इस बात से इनकार किया कि कांग्रेस ने इस मुद्दे पर पलटी मार ली है. रमेश ने कहा कि RCEP 16 देशों के बीच आपसी सहमति है. उन्होंने कहा कि इससे चीन से आयात करना और उदारवादी बनेगा.

बकौल रमेश, हमें नहीं पता कि वुहान और मामल्लापुरम में मोदी और शी जिनपिंग के बीच क्या बातें हुई हैं, लेकिन हम देख सकते हैं कि चीन से आयात उदारवादी होने वाला है. अब मेड इन इंडिया का जिक्र नहीं है, इससे मेड इन चाइना को बढ़ावा मिलेगा.

प्रस्तावित आरसीईपी दक्षिण पूर्व एशियाई देशों (आसियान) के 10 सदस्य देश (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमा, सिंगापुर, थाइलैंड, फिलिपीन, लाओस तथा वियतनाम) तथा उनके छह मुक्त व्यापार साझेदार देश भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच होने वाला वृहद मुक्त व्यापार समझौता है.

पीसी में जानकारी देते कांग्रेस नेता जयराम रमेश

प्रेस वार्ता में एंटनी ने कहा कि आर्थिक मंदी का विषय एक ज्वलंत मुद्दा है, जिसने पूरे देश को और समाज के सभी तबके को चिंतित कर रखा है. उन्होंने कहा, 'लोगों की चिंताओं को लेकर हमेशा संवेदनशील रही पार्टी होने के नाते कांग्रेस आरसीईपी वार्ताओं और समझौते का पूरा विरोध करती है.'

उन्होंने कहा, 'हमारा देश एक गंभीर आर्थिक संकट और मंदी की ओर बढ़ रहा है. इसने भारतीय अर्थव्यवस्था के लगभग हर क्षेत्र को प्रभावित किया है. कृषि, रोजगार, उद्योग और व्यापार तथा भारतीय अर्थव्यवस्था के अन्य सभी क्षेत्र दिन ब दिन संकट की ओर बढ़ रहे हैं. सरकार के लिये यह वक्त जिम्मेदार बनने का है.'

एंटनी ने कहा कि यह सरकार का कर्तव्य है कि वह अर्थव्यवस्था में शीघ्रता से नयी जान फूंकने के लिये अपने सभी संसाधनों को झोंक दे. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की प्राथमिकताएं गलत हैं और वह आम आदमी की मुश्किलों को दूर करने तथा भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर ध्यान नहीं दे रही है.

उन्होंने कहा कि जब लोग अपने रोजमर्रा के जीवन के लिये संघर्ष कर रहे हैं, ऐसे में त्वरित समाधान करने और एक पैकेज तैयार करने तथा अर्थव्यवस्था में नयी जान फूंकने के बजाय वे (सरकार) आरसीईपी समझौते पर चर्चा करने में वक्त बर्बाद कर रहे हैं.

कांग्रेस नेता के सी वेणुगोपाल ने कहा कि आरसीईपी समझौते के खतरों पर बैठक में चर्चा हुई. उन्होंने कहा कि किसान संकट में हैं और यह (समझौता) उनकी तथा मछुआरों की जिंगदी बदतर करने जा रहा है.

उन्होंने कहा, 'कांग्रेस ने देश भर में व्यापक स्तर पर प्रदर्शन करने का फैसला किया है. हम प्रदेश कांग्रेस इकाइयों को व्यापक आंदोलन कार्यक्रम के लिये और आरसीईपी के बारे में जागरूकता अभियान के लिये पहले ही निर्देश दे चुके हैं.'

उन्होंने कहा, 'निश्चित तौर पर हम आरसीईपी के खिलाफ एक साझा आंदोलन मंच बनाने के लिये समान विचारधारा वाली पार्टियों, विपक्षी दलों का सहयोग मांगेंगे. कांग्रेस प्रदेश कांग्रेस समितियों को पांच नवंबर से 15 नवंबर के बीच आर्थिक मंदी और बेरोजगारी के मुद्दे पर प्रदर्शन करने का निर्देश पहले ही दे चुकी है.'

इसके अलावा शुक्रवार को कर्नाटक में विपक्षी दल कांग्रेस और जनता दल-सेक्युलर (जेडीएस) ने भी RCEP से जुड़े केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति दर्ज करायी.

जानकारी के मुताबिक आरसीईपी के तहत मुक्त व्यापार समझौता करने के प्रस्ताव पर कांग्रेस-जेडीएस ने विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है. दोनों ने सरकार को घरेलू उद्योग विशेषकर डेयरी क्षेत्र पर इसके प्रभावों को लेकर आगाह किया है.

ये भी पढ़ें : महाराष्ट्रः सीएम पद को लेकर भाजपा-शिवसेना में 'किचकिच', बीच में कूदी कांग्रेस

कांग्रेस नेता सिद्धरमैया ने मांग की कि प्रस्तावित आरसीईपी समझौते का ब्योरा सार्वजनिक किया जाए. उन्होंने कहा है कि इस समझौते पर हस्ताक्षर से पहले बातचीत की जानी चाहिए.

सिद्धरमैया ने कहा, 'मेरी मांग है कि सरकार इसे लोगों के सामने रखे कि आरसीईपी और मुक्त व्यापार समझौते के तहत क्या होने जा रहा है. इसके लाभ और हानि पर सार्वजनिक बहस होनी चाहिए. इसे गुप्त तरीके से करके देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद नहीं करना चाहिए.' उन्होंने कहा कि यदि सरकार इस पर बिना विचार-विमर्श के हस्ताक्षर कर लेती है तो यह जनता के साथ 'धोखा' होगा. इसके अलावा उन्होंने नोटबंदी, जीएसटी और देश के आर्थिक हालातों का लेकर भी केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की.

जेडीएस के प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि इससे घरेलू डेयरी क्षेत्र प्रभावित हुआ तो विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि वह खुद 'किसान के बेटे' हैं. उन्होंने कहा, 'मैं किसान का बेटा हूं. आयात करने का कोई भी कदम यदि हमारे किसानों को प्रभावित करेगा तो इसका विरोध प्रदर्शन होगा.'

(एक्सट्रा इनपुट- पीटीआई)

Last Updated : Oct 25, 2019, 11:03 PM IST
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