नई दिल्ली : मणिपुर में नौ विधायकों द्वारा भाजता नीत सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद सियासी संकट पैदा हो गया है. विधयाकों के समर्थन वापस लेने और इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की सरकार अल्पमत में आई गई है. इस बीच कांग्रेस पार्टी राज्य में नई सरकार बनाने की तैयारी में जुट गई है.
पार्टी ने वरिष्ठ नेता अजय माकन को पर्यवेक्षक बनाया है. वह मणिपुर कांग्रेस प्रभारी गौरव गोगोई के साथ आज एक विशेष विमान से इम्फाल पहुंचेंगे. पार्टी के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि दोनों नेताओं को राज्य में मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर नजर बनाए रखने और सरकार गठन की दिशा में समन्वय स्थापित करने के लिए कहा गया है.
गौरतलब है कि भाजपा के तीन भाजपा विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए हैं और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. जबकि नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के चार विधायक, एक निर्दलीय विधायक और एक टीएमसी विधायक ने राज्य सरकार से समर्थन वापस ले लिया है.
नए राजनीतिक घटनाक्रम के बाद कांग्रेस ने गुरुवार को मणिपुर में सरकार बनाने का दावा ठोंक दिया और राज्यपाल को पत्र लिखकर विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की है. कांग्रेस पार्टी को उम्मीद है कि विश्वास मत में एन बीरेन सिंह सरकार गिर जाएगा.
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मणिपुर विधानसभा में इस समय कांग्रेस के 29 विधायक और भाजपा के 22 विधायक हैं. अन्य दलों के विधायकों समेत कुल 52 विधायक मतदान कर सकते हैं. कांग्रेस के सात विधायक वोट देने के पात्र नहीं होंगे क्योंकि दलबदल मामले में मणिपुर हाईकोर्ट ने उनके विधानसभा में प्रवेश करने से रोक लगाई है. ये सभी विधायक हाल ही में भाजपा में हुए थे.
हालांकि, हाईकोर्ट ने गुरुवार को मणिपुर विधानसभा के अध्यक्ष को निर्देश दिया है कि शुक्रवार तक कांग्रेस के सात विधायकों के अयोग्य घोषित करने से संबंधित लंबित मामलों पर कोई आदेश नहीं दिया जाए.