नई दिल्ली : बजट 2020-21 के पेश होने के बाद जहां लगातार बीजेपी इस बजट को जनजन का बजट बता रही है. वहीं कांग्रेस इस बजट को बकवास बता रही है. इन सबके बीच ईटीवी भारत ने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से खास बातचीत की और बजट पर उनकी राय जानने की कोशिश की. इस दौरान उन्होंने कहा कि यह बहुत गड़बड़ है और गोलमाल वाला बजट है.
ईटीवी भारत ने इस बजट को लेकर मंत्री सिंहदेव से सवाल जवाब किया, जिसमें सिंहदेव ने बजट को जनजन का बजट नहीं बताया है.
सवाल : बजट का मूल्यांकन आप किस तरह से करते हैं ?
जवाब : आर्थिक हालत को देखते हुए यह सोचा जा रहा था कि इस बजट के माध्यम से लोगों तक पैसा पहुंचाने का प्रवाधान होगा और आर्थिक स्तर को ठीक किया जाएगा. लेकिन इस बजट में ऐसा कुछ भी नहीं था.
टैक्स स्लैब प्रस्तुत कर लोगों तक पैसा पहुंचाने की कोशिश की गई, लेकिन लाभ की तुलानात्मक स्थिति क्या है यह समझ नहीं आ रहा. अभी लाभ कितना होगा कह नहीं सकते.
सवाल : इस बजट में ग्रामीण क्षेत्र के लिए जो राशि आवंटित की गई है उससे कितना लाभ होगा ?
जवाब : कृषि व्यव्स्था के लिए मोदी सरकार ने कहा था कि साल 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी होगी, लेकिन उल्टा 60 प्रतिशत की कमी आ गई.
आपने किसानों को खर्च के लिए पैसा नहीं दिया. किसान की आत्महत्या का कारण लोन है और आपने किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कुछ नहीं किया है. किसानों को छह हजार रुपए देने की योजना बनाई गई थी, जो आज भी वहीं है. जो 75 हजार करोड़ रुपये देने की बात कही गई थी, उसे भी 54 हजार करोड़ तक सीमित कर दिया गया. इस बजट में कुछ दिया नहीं बल्कि जो दे रहे थे वह भी ले लिया. ग्रमीण क्षेत्र को बजट में कुछ नहीं मिला है.
सवाल : आम बजट में शिक्षा के लिए निर्धारित बजट से क्या बेराजगारी घटेगी ?
जवाब : शिक्षा के क्षेत्र में बजट बढ़ाने की बात कही गई थी, लेकिन बजट उतना नहीं बढ़ाया गया है. यह सब गड़बड़ और गोलमाल है. इन्फ्रास्ट्रक्चर पर सरकार ने पैसा खर्च करने की योजना बनाई है, लेकिन इसका लाभ अभी तो अर्थव्यवस्था को नहीं मिलेगा. लोगों को रोजगार देने की जरूरत थी इसके लिए फैक्ट्ररी लगाना था, इस तरफ कोई काम नहीं किया गया. इस बजट से आम लोगों को राहत नहीं मिली है.
सवाल : आपकी नजर में बजट कैसा होना चाहिए ?
जवाब : बजट में कृषि क्षेत्र के लिए राशि बढ़ाने की जरूरत थी. मनरेगा में भी तुलनात्मक रूप से कम बजट का आवंटन किया गया है. गरीबों के लिए बजट में कुछ नहीं है. बजट का सारा प्रावधान इंडस्ट्री के लिए है, जिसका बहुत कम फायदा लोगों को मिलेगा. बजट में कृषि पर ज्यादा फोकस करना चाहिए था.