नई दिल्ली : अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते मुश्किलों का सामना कर रहे गरीब परिवारों की महिलाओं को आने वालो दिनों में उनका संगठन 25 लाख सैनिटरी नैपकिन बांटेगा.
सुष्मिता के मुताबिक श्रमिक ट्रेनों में सफर करने वाली महिलाओं, पृथक-वास केंद्रों (क्वारंटीन सेंटर) में रह रही महिलाओं और दूसरी गरीब महिलाओं को अब तक करीब पांच लाख नैपकिन बांटी जा चुकी हैं.
उन्होंने एक बयान में कहा, महिला कांग्रेस का संकल्प 25 लाख सैनिटरी नैपकिन उन महिलाओं तक पहुंचाना है जो लॉकडाउन की वजह से इनको ख़रीद नहीं पा रही हैं. हम सैनेटिरी नैपकिन के साथ साबुन और अखबार भी दे रहे हैं ताकि महिलाएं साफ-सफाई का पूरा ध्यान रख सकें.'
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#Garima की शुरुआत !
— All India Mahila Congress (@MahilaCongress) May 29, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
हमारा लक्ष्य है कि हम देश के सभी रेलवे स्टेशन पर श्रमिक ट्रेनों से यात्रा कर रही उन महिलाओं तक 25 लाख सैनिटरी पैड पहुँचायेंगे जो बिना मूलभूत सुविधाओं वाली इन ट्रेनों से सफर कर रही हैं।
प्रत्येक हाइजीन किट में सैनिटरी नैपकीन, साबुन व डिस्पोसेबल बैग हैं। pic.twitter.com/luxbNlcMY9
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— All India Mahila Congress (@MahilaCongress) May 29, 2020
हमारा लक्ष्य है कि हम देश के सभी रेलवे स्टेशन पर श्रमिक ट्रेनों से यात्रा कर रही उन महिलाओं तक 25 लाख सैनिटरी पैड पहुँचायेंगे जो बिना मूलभूत सुविधाओं वाली इन ट्रेनों से सफर कर रही हैं।
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हमारा लक्ष्य है कि हम देश के सभी रेलवे स्टेशन पर श्रमिक ट्रेनों से यात्रा कर रही उन महिलाओं तक 25 लाख सैनिटरी पैड पहुँचायेंगे जो बिना मूलभूत सुविधाओं वाली इन ट्रेनों से सफर कर रही हैं।
प्रत्येक हाइजीन किट में सैनिटरी नैपकीन, साबुन व डिस्पोसेबल बैग हैं। pic.twitter.com/luxbNlcMY9
सुष्मिता ने सवाल किया, 'महिला एवं बाल विकास मंत्रालय बार-बार महिलाओं को बता रहा है कि वे सस्ते दरों पर सैनिटरी नैपकिन जन औषधि केंद्र से ख़रीदें. लेकिन जो महिला चिकित्सा प्रमाणपत्र के लिए 12 से 18 घंटा आज क़तार में खड़ी हैं, ट्रेन में सफर रही है, पैदल चल रही है, क्वारंटीन सेंटर में है, वह जन औषधि केंद्र तक कैसे पहुंचेगी ?
उन्होंने आरोप लगाया, 'इस सरकार की महिला स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का स्तर यह है कि इन्होंने पहले सैनिटरी नैपकिन को आवश्यक उत्पादों की श्रेणी में नहीं रखा और जब लोगों ने इसकी आलोचना की तब मंत्रालय ने एक परिपत्र के माध्यम से सैनिटरी नैपकिन को आवश्यक उत्पाद में शामिल किया.
बकौल सुष्मिता, 'सरकार को यह समझ नहीं आ रहा है कि माहवारी महामारी के वक़्त नहीं रूकती.' महिला कांग्रेस की अध्यक्ष ने कहा, ' सुरक्षित माहवारी एक मानव अधिकार है. यह महिला की गरिमा, समानता और स्वास्थ्य का अधिकार से जुड़ा है.