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जम्मू-कश्मीर : अनुच्छेद-370 बहाली को लेकर एकजुट हुईं पार्टियां

जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जा को बहाल करने के लिए राज्य की सभी पार्टियों ने एक साथ मिलकर आवाज बलुंद की है. नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और कांग्रेस के प्रतिनिधियों ने संकल्प (गुप्कर घोषणा) पर ईटीवी भारत के साथ अपने विचार साझा किए. पढ़ें विशेष रिपोर्ट...

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Published : Aug 24, 2020, 10:22 PM IST

Updated : Aug 25, 2020, 3:25 PM IST

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अनुच्छेद-370 बहाल

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के छह प्रमुख राजनीतिक दलों ने एक साल पहले केंद्र सरकार द्वारा रद्द किए गए अनुच्छेद 370 को दोबारा बहाल करने के लिए संयुक्त प्रयास का आह्वान किया है. ईटीवी भारत के साथ एक विशेष साक्षात्कार में नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और कांग्रेस के प्रतिनिधियों ने संकल्प (गुप्कर घोषणा) पर अपने विचार साझा किए. साथ ही उन्होंने बताया कि वह जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली के लिए किस तरह संघर्ष करने जा रहे हैं.

देखिए नेताओं के साथ विशेष चर्चा

एनसी की यूथ विंग के प्रांतीय अध्यक्ष सलमान सागर ने दावा किया कि पिछले कुछ दिनों से पार्टी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व में हो रही वरिष्ठ नेताओं की बैठक का उद्देश्य घाटी के राजनीतिक नेताओं को एकजुट करना है, ताकि जम्मू-कश्मीर की पहचान को बहाल किया जा सके.

सागर ने कहा, 'नेशनल कॉन्फ्रेंस गुप्कर घोषणा (Gupkar Declaration) के एजेंडे पर मजबूती के साथ खड़ी है. हमारी पार्टी सभी नेताओं को एक साथ ला रही है, ताकि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल हो. इससे न केवल हमारी पहचान वापस आएगी बल्कि लोगों की गरिमा भी लौटेगी.'

बातचीत के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी मोंगा और पीडीपी नेता रऊफ भट ने सागर के विचारों का समर्थन किया और ईमानदारी के साथ प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया.

मोंगा ने कहा, 'मैं एनसी अध्यक्ष और सांसद फारूक अब्दुल्ला द्वारा की गई पहल का स्वागत करता हूं. निष्कपटता और ईमानदारी के साथ इस राजनीतिक प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाने की जरूरत है, ताकि हम एक साथ और बेहतर तरीके से लोगों की पहचान और सम्मान के लिए लड़ सकें.'

उन्होंने एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी नेताओं को हिरासत में रखने पर अपनी पीड़ा व्यक्त की.

मोंगा ने कहा कि मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के कई नेता अभी भी हिरासत में हैं, जिसके कारण हम अपनी राजनीतिक गतिविधियों को फिर से शुरू नहीं कर पा रहे हैं. हमें जम्मू-कश्मीर प्रशासन की तरफ से कोई भी सुविधा नहीं मिल रही है, जैसा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मिलती है. हमें कोई सुरक्षा व परिवहन नहीं मिला है. हम राजनीतिक गतिविधि कैसे शुरू कर सकते हैं.

पीडीपी नेता रऊफ भट ने दावा किया कि भाजपा और आरएसएस ने उनकी पार्टी को तोड़ दिया है.

उन्होंने कहा, 'भाजपा सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ विश्वासघात किया. उन्होंने लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है. हमारी पार्टी जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली के लिए एनसी, कांग्रेस और घाटी के अन्य मुख्यधारा के दलों के साथ खड़ी है.'

यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद जानिए क्या-क्या हुआ

उन्होंने आगे कहा कि भाजपा और आरएसएस ने मिलकर साजिश रची और हमारी पार्टी को तोड़ने की कोशिश की. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती एक साल से अधिक समय से नजरबंद हैं. सरकार ने अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक दृष्टिकोण अपनाया है. हम इसे राजनीतिक रूप से लड़ेंगे.

साक्षात्कार के अंत में, सागर ने अनुच्छेद 370 और 35A की बहाली के लिए सांसदों की भूमिका पर प्रकाश डाला.

सागर ने कहा, 'जिस तरह से हमारे सांसदों गुलाम नबी आज़ाद, अकबर लोन और अन्य लोगों ने संसद में जम्मू-कश्मीर की स्थिति का खूबसूरती से बचाव किया. हमें विशेष दर्जा की बहाली के लिए पूरी लड़ाई के दौरान उनकी ज़रूरत है. लोगों को उनका इस्तीफा मांगना बंद करना चाहिए. वह केंद्र में जम्मू-कश्मीर की आवाज हैं. एक राजनीतिक लड़ाई केवल राजनीतिक प्लेटफार्मों के माध्यम से जीती जा सकती है और संसद उन सभी में सबसे बड़ी है.

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के छह प्रमुख राजनीतिक दलों ने एक साल पहले केंद्र सरकार द्वारा रद्द किए गए अनुच्छेद 370 को दोबारा बहाल करने के लिए संयुक्त प्रयास का आह्वान किया है. ईटीवी भारत के साथ एक विशेष साक्षात्कार में नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और कांग्रेस के प्रतिनिधियों ने संकल्प (गुप्कर घोषणा) पर अपने विचार साझा किए. साथ ही उन्होंने बताया कि वह जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली के लिए किस तरह संघर्ष करने जा रहे हैं.

देखिए नेताओं के साथ विशेष चर्चा

एनसी की यूथ विंग के प्रांतीय अध्यक्ष सलमान सागर ने दावा किया कि पिछले कुछ दिनों से पार्टी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व में हो रही वरिष्ठ नेताओं की बैठक का उद्देश्य घाटी के राजनीतिक नेताओं को एकजुट करना है, ताकि जम्मू-कश्मीर की पहचान को बहाल किया जा सके.

सागर ने कहा, 'नेशनल कॉन्फ्रेंस गुप्कर घोषणा (Gupkar Declaration) के एजेंडे पर मजबूती के साथ खड़ी है. हमारी पार्टी सभी नेताओं को एक साथ ला रही है, ताकि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल हो. इससे न केवल हमारी पहचान वापस आएगी बल्कि लोगों की गरिमा भी लौटेगी.'

बातचीत के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी मोंगा और पीडीपी नेता रऊफ भट ने सागर के विचारों का समर्थन किया और ईमानदारी के साथ प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया.

मोंगा ने कहा, 'मैं एनसी अध्यक्ष और सांसद फारूक अब्दुल्ला द्वारा की गई पहल का स्वागत करता हूं. निष्कपटता और ईमानदारी के साथ इस राजनीतिक प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाने की जरूरत है, ताकि हम एक साथ और बेहतर तरीके से लोगों की पहचान और सम्मान के लिए लड़ सकें.'

उन्होंने एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी नेताओं को हिरासत में रखने पर अपनी पीड़ा व्यक्त की.

मोंगा ने कहा कि मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के कई नेता अभी भी हिरासत में हैं, जिसके कारण हम अपनी राजनीतिक गतिविधियों को फिर से शुरू नहीं कर पा रहे हैं. हमें जम्मू-कश्मीर प्रशासन की तरफ से कोई भी सुविधा नहीं मिल रही है, जैसा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मिलती है. हमें कोई सुरक्षा व परिवहन नहीं मिला है. हम राजनीतिक गतिविधि कैसे शुरू कर सकते हैं.

पीडीपी नेता रऊफ भट ने दावा किया कि भाजपा और आरएसएस ने उनकी पार्टी को तोड़ दिया है.

उन्होंने कहा, 'भाजपा सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ विश्वासघात किया. उन्होंने लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है. हमारी पार्टी जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली के लिए एनसी, कांग्रेस और घाटी के अन्य मुख्यधारा के दलों के साथ खड़ी है.'

यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद जानिए क्या-क्या हुआ

उन्होंने आगे कहा कि भाजपा और आरएसएस ने मिलकर साजिश रची और हमारी पार्टी को तोड़ने की कोशिश की. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती एक साल से अधिक समय से नजरबंद हैं. सरकार ने अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक दृष्टिकोण अपनाया है. हम इसे राजनीतिक रूप से लड़ेंगे.

साक्षात्कार के अंत में, सागर ने अनुच्छेद 370 और 35A की बहाली के लिए सांसदों की भूमिका पर प्रकाश डाला.

सागर ने कहा, 'जिस तरह से हमारे सांसदों गुलाम नबी आज़ाद, अकबर लोन और अन्य लोगों ने संसद में जम्मू-कश्मीर की स्थिति का खूबसूरती से बचाव किया. हमें विशेष दर्जा की बहाली के लिए पूरी लड़ाई के दौरान उनकी ज़रूरत है. लोगों को उनका इस्तीफा मांगना बंद करना चाहिए. वह केंद्र में जम्मू-कश्मीर की आवाज हैं. एक राजनीतिक लड़ाई केवल राजनीतिक प्लेटफार्मों के माध्यम से जीती जा सकती है और संसद उन सभी में सबसे बड़ी है.

Last Updated : Aug 25, 2020, 3:25 PM IST
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