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लद्दाख में तनाव के बीच आर्मी कमांडर्स का तीन दिवसीय सम्मेलन शुरू

सेना प्रमुखों की बैठक में शीर्ष सैन्य कमांडर भाग ले रहे हैं. जानकारी के मुताबिक बैठक में लद्दाख में चीनी आक्रमण सहित सभी सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. इससे पहले लद्दाख में हालात की समीक्षा के लिए पीएमओ और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अलग-अलग बैठकें कर चुके हैं. सम्मेलन की शुरुआत सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे की अध्यक्षता में हुई.

army commanders
आर्मी कमांडर्स की बैठक
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Published : May 27, 2020, 10:15 AM IST

Updated : May 27, 2020, 5:58 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय सेना के कमांडरों का सम्मेलन बुधवार को नई दिल्ली में शुरू हो गया. समाचार एजेंसी के मुताबिक बैठक में सिक्किम, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीन की सीमा के संबंध में गहन चर्चा किए जाने की संभावना है. बता दें कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन के साथ तनाव से पहले इस सम्मेलन की योजना बनाई गई थी. सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे हैं.

बुधवार को भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बल के शीर्ष कमांडर बैठक में भाग ले रहे हैं. इस बैठक में लद्दाख में चीन के कारण उपजे हालात सहित सभी सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा होगी.

इस बार के सम्मेलन में एक और मामूली बदलाव यह है कि दक्षिण ब्लॉक में आयोजित किया गया है, जिसमें रक्षा मंत्रालय है. आमतौर पर यह आयोजन राष्ट्रीय राजधानी में भारतीय सेना की शोपीस बिल्डिंग मानेकशॉ सेंटर में होता है. आधिकारिक तौर पर कहा गया है कि सम्मेलन के दौरान उचित सोशल डिस्टेंसिंग के मानदंडों का कड़ाई से पालन किया जाएगा.

गौरतलब है कि आर्मी कमांडर्स कांफ्रेंस महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों के लिए होता है, जिसमें शीर्ष स्तर के अधिकारी शामिल होते हैं. यह अप्रैल 2020 के लिए निर्धारित था, मगर कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित हो गया था. इसे अब दो चरणों में आयोजित किया जाएगा.

सम्मेलन का पहला चरण बुधवार को शुरू हुआ और 29 मई, 2020 तक जारी रहेगा. इसके बाद दूसरा चरण जून, 2020 के अंतिम सप्ताह में शुरू होगा.

भारतीय सेना का शीर्ष स्तर का नेतृत्व मौजूदा उभरती सुरक्षा और प्रशासनिक चुनौतियों पर विचार-मंथन करेगा और भारतीय सेना के लिए भविष्य के पाठ्यक्रम को निर्धारित किया जाएगा.

इसमें सेना कमांडरों और वरिष्ठ अधिकारियों सहित कॉलेजिएट प्रणाली के माध्यम से निर्णय लिया जाता है.

साउथ ब्लॉक में शुरू पहले चरण के सम्मेलन दौरान, परिचालन और प्रशासनिक मुद्दों से संबंधित विभिन्न पहलुओं जिसमें रसद और मानव संसाधन से संबंधित अध्ययन शामिल हैं, पर चर्चा की जाएगी. इसमें चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ उभरती स्थिति भी शामिल है.

पढ़ें - द्विवार्षिक सेना कमांडर सम्मेलन में भाग लेंगे सेना के शीर्ष अधिकारी

इससे पहले मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख में मौजूदा जमीनी हालात और हाल के दिनों में चीनी व भारतीय सेनाओं के आमने-सामने आ जाने की स्थिति पर चर्चा की. सिंह ने जमीनी स्थिति को समझने और बलों के अगले कदम के बारे में चर्चा करने के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों से भी बातचीत की.

फिलहाल, पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा (एलओसी) और चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) दोनों सैन्य गतिविधि के केंद्र बिंदु बन गए हैं. नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम उल्लंघन की संख्या बढ़ रही है जबकि पर तनाव बना हुआ है.

नई दिल्ली : भारतीय सेना के कमांडरों का सम्मेलन बुधवार को नई दिल्ली में शुरू हो गया. समाचार एजेंसी के मुताबिक बैठक में सिक्किम, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीन की सीमा के संबंध में गहन चर्चा किए जाने की संभावना है. बता दें कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन के साथ तनाव से पहले इस सम्मेलन की योजना बनाई गई थी. सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे हैं.

बुधवार को भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बल के शीर्ष कमांडर बैठक में भाग ले रहे हैं. इस बैठक में लद्दाख में चीन के कारण उपजे हालात सहित सभी सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा होगी.

इस बार के सम्मेलन में एक और मामूली बदलाव यह है कि दक्षिण ब्लॉक में आयोजित किया गया है, जिसमें रक्षा मंत्रालय है. आमतौर पर यह आयोजन राष्ट्रीय राजधानी में भारतीय सेना की शोपीस बिल्डिंग मानेकशॉ सेंटर में होता है. आधिकारिक तौर पर कहा गया है कि सम्मेलन के दौरान उचित सोशल डिस्टेंसिंग के मानदंडों का कड़ाई से पालन किया जाएगा.

गौरतलब है कि आर्मी कमांडर्स कांफ्रेंस महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों के लिए होता है, जिसमें शीर्ष स्तर के अधिकारी शामिल होते हैं. यह अप्रैल 2020 के लिए निर्धारित था, मगर कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित हो गया था. इसे अब दो चरणों में आयोजित किया जाएगा.

सम्मेलन का पहला चरण बुधवार को शुरू हुआ और 29 मई, 2020 तक जारी रहेगा. इसके बाद दूसरा चरण जून, 2020 के अंतिम सप्ताह में शुरू होगा.

भारतीय सेना का शीर्ष स्तर का नेतृत्व मौजूदा उभरती सुरक्षा और प्रशासनिक चुनौतियों पर विचार-मंथन करेगा और भारतीय सेना के लिए भविष्य के पाठ्यक्रम को निर्धारित किया जाएगा.

इसमें सेना कमांडरों और वरिष्ठ अधिकारियों सहित कॉलेजिएट प्रणाली के माध्यम से निर्णय लिया जाता है.

साउथ ब्लॉक में शुरू पहले चरण के सम्मेलन दौरान, परिचालन और प्रशासनिक मुद्दों से संबंधित विभिन्न पहलुओं जिसमें रसद और मानव संसाधन से संबंधित अध्ययन शामिल हैं, पर चर्चा की जाएगी. इसमें चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ उभरती स्थिति भी शामिल है.

पढ़ें - द्विवार्षिक सेना कमांडर सम्मेलन में भाग लेंगे सेना के शीर्ष अधिकारी

इससे पहले मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख में मौजूदा जमीनी हालात और हाल के दिनों में चीनी व भारतीय सेनाओं के आमने-सामने आ जाने की स्थिति पर चर्चा की. सिंह ने जमीनी स्थिति को समझने और बलों के अगले कदम के बारे में चर्चा करने के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों से भी बातचीत की.

फिलहाल, पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा (एलओसी) और चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) दोनों सैन्य गतिविधि के केंद्र बिंदु बन गए हैं. नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम उल्लंघन की संख्या बढ़ रही है जबकि पर तनाव बना हुआ है.

Last Updated : May 27, 2020, 5:58 PM IST
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