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पाकिस्तान से पलायन कर भारत आए यह हिंदू बदहाली में गुजार रहे जीवन

पाकिस्तान से पलायन कर भारत आए अमीर चंद कहते हैं कि हमने कई साल पहले पाकिस्तान से भारत आने का सपना देखा था, लेकिन जब हम यहां आए तो हमें जिंदगी की कड़वाहट का सामना करना पड़ा. हमारे पास न नौकरी है, न सुविधाएं और न खाने का कोई सामान है. उनका कहना है कि वह दिन में दो वक्त के खाने का प्रबंध तक नहीं कर पा रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jun 23, 2020, 7:36 AM IST

Updated : Jun 23, 2020, 12:33 PM IST

नई दिल्ली : एक तरफ भारत सरकार पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं को भारतीय नागरिकता देने की बात करती है, तो वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान से पलायन कर भारत आए लोगों की न कोई खबर रखती है और न ही कोई सुध लेती है. यह आरोप उन लोगों के हैं, जो पाकिस्तान से पलायन कर भारत आए हुए हैं. लेकिन यह लोग किस हाल में अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं, उसे जानकर आपकी आंखें दर्द से जरूर छलक जाएंगी.

पाकिस्तान से पलायन कर भारत आए अमीर चंद कहते हैं कि हमने कई साल पहले पाकिस्तान से भारत आने का सपना देखा था, लेकिन जब हम यहां आए तो हमें जिंदगी की कड़वाहट का सामना करना पड़ा. हमारे पास न नौकरी है, न सुविधाएं और न खाने का कोई सामान है. उनका कहना है कि वह दिन में दो वक्त के खाने का प्रबंध तक नहीं कर पा रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

उन्होंने कहा कि वह पाकिस्तान में डिस्ट्रिबयूटर थे, लेकिन यहां (भारत) में दिन में दो वक्त के खाने में भी असमर्थ हैं. जब भारत विभाजित हुआ था, तो सीमा के दोनों ओर मानव इतिहास का सबसे बड़ा पलायन हुआ और आज भारत में मुस्लिम और पाकिस्तान में हिंदू सबसे बड़े अल्पसंख्यक हैं.

पाकिस्तान में रहने वाले हिंदु आरोप लगाते हैं कि उन्हें पाकिस्तान में धर्मांतरण के लिए मजबूर किया जाता है, हिंदू लड़कियों की मुस्लिम लड़कों से जबरन शादी कराई जाती है और उनके साथ भेदभाव किया जाता है. संभवतः यही कारण है कि बड़ी संख्या में हिंदू पाकिस्तान से भारत की ओर पलायन कर रहे हैं और अस्थाई शिविर में रह रहे हैं.

अमीर चंद ने कहा कि मैंने सोचा था कि मैं भारत चला जाऊंगा लेकिन सीमा पार करने के बाद मुझे जीवन की कड़वाहट का सामना करना पड़ा. यहां कोई नौकरी या किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं है. हम पाकिस्तान में डिस्ट्रिबयूटर थे, लेकिन हम यहां दो वक्त की रोटी का प्रबंध भी नहीं हो पा रहे हैं.

पढ़ें - 1962 के युद्ध में लड़े सैनिक का चीन के खिलाफ 'ऐलान-ए-जंग'! जानें क्या बोले

उन्होंने कहा, 'हमारे लिए विभाजन अभी खत्म नहीं हुआ है. हिंदू अभी भी पाकिस्तान से भारत आने की कोशिश करते हैं, लेकिन जब वह यहां आते हैं, तो उन्हें कुछ नहीं मिलता.'

बता दें कि पाकिस्तान से भारत आने वाले ज्यादातर हिंदू पाकिस्तान के सिंध प्रांत से होते हैं. उनके अनुसार, उनका विचार यह था कि अगर उनके पास एक ही संस्कृति, जीवन और भाषा का तरीका है तो भारत में रहना आसान होगा, लेकिन इन विचारों के विपरीत वह शरणार्थियों का जीवन गुजारने के लिए मजबूर हैं.

नई दिल्ली : एक तरफ भारत सरकार पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं को भारतीय नागरिकता देने की बात करती है, तो वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान से पलायन कर भारत आए लोगों की न कोई खबर रखती है और न ही कोई सुध लेती है. यह आरोप उन लोगों के हैं, जो पाकिस्तान से पलायन कर भारत आए हुए हैं. लेकिन यह लोग किस हाल में अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं, उसे जानकर आपकी आंखें दर्द से जरूर छलक जाएंगी.

पाकिस्तान से पलायन कर भारत आए अमीर चंद कहते हैं कि हमने कई साल पहले पाकिस्तान से भारत आने का सपना देखा था, लेकिन जब हम यहां आए तो हमें जिंदगी की कड़वाहट का सामना करना पड़ा. हमारे पास न नौकरी है, न सुविधाएं और न खाने का कोई सामान है. उनका कहना है कि वह दिन में दो वक्त के खाने का प्रबंध तक नहीं कर पा रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

उन्होंने कहा कि वह पाकिस्तान में डिस्ट्रिबयूटर थे, लेकिन यहां (भारत) में दिन में दो वक्त के खाने में भी असमर्थ हैं. जब भारत विभाजित हुआ था, तो सीमा के दोनों ओर मानव इतिहास का सबसे बड़ा पलायन हुआ और आज भारत में मुस्लिम और पाकिस्तान में हिंदू सबसे बड़े अल्पसंख्यक हैं.

पाकिस्तान में रहने वाले हिंदु आरोप लगाते हैं कि उन्हें पाकिस्तान में धर्मांतरण के लिए मजबूर किया जाता है, हिंदू लड़कियों की मुस्लिम लड़कों से जबरन शादी कराई जाती है और उनके साथ भेदभाव किया जाता है. संभवतः यही कारण है कि बड़ी संख्या में हिंदू पाकिस्तान से भारत की ओर पलायन कर रहे हैं और अस्थाई शिविर में रह रहे हैं.

अमीर चंद ने कहा कि मैंने सोचा था कि मैं भारत चला जाऊंगा लेकिन सीमा पार करने के बाद मुझे जीवन की कड़वाहट का सामना करना पड़ा. यहां कोई नौकरी या किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं है. हम पाकिस्तान में डिस्ट्रिबयूटर थे, लेकिन हम यहां दो वक्त की रोटी का प्रबंध भी नहीं हो पा रहे हैं.

पढ़ें - 1962 के युद्ध में लड़े सैनिक का चीन के खिलाफ 'ऐलान-ए-जंग'! जानें क्या बोले

उन्होंने कहा, 'हमारे लिए विभाजन अभी खत्म नहीं हुआ है. हिंदू अभी भी पाकिस्तान से भारत आने की कोशिश करते हैं, लेकिन जब वह यहां आते हैं, तो उन्हें कुछ नहीं मिलता.'

बता दें कि पाकिस्तान से भारत आने वाले ज्यादातर हिंदू पाकिस्तान के सिंध प्रांत से होते हैं. उनके अनुसार, उनका विचार यह था कि अगर उनके पास एक ही संस्कृति, जीवन और भाषा का तरीका है तो भारत में रहना आसान होगा, लेकिन इन विचारों के विपरीत वह शरणार्थियों का जीवन गुजारने के लिए मजबूर हैं.

Last Updated : Jun 23, 2020, 12:33 PM IST
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