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पैंगोग के लेकर भारत-चीन कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता पर नहीं बनी बात

लेफ्टिनेंट-जनरल हरेंद्र सिंह और मेजर-जनरल लिन लियू के बीच पैंगोंग त्सो साइट को लेकर लेह स्थित 14 कोर के कमांडर स्तर की वार्ता के पांचवें दौर की बातचीत सफल होने पर आशंका के बादल मंडराने लगे हैं. उम्मीद की किरणों के बीच दीवार खड़ी होती दिख रही है. पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार संजीब कुमार बरुआ की यह रिपोर्ट...

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Published : Aug 4, 2020, 11:05 PM IST

नई दिल्ली : लेफ्टिनेंट-जनरल हरेंद्र सिंह और मेजर-जनरल लिन लियू के बीच पैंगोंग त्सो साइट को लेकर लेह स्थित 14 कोर के कमांडर स्तर की वार्ता के पांचवें दौर की बातचीत की सफलता पर आशंका के बादल मंडराने लगे हैं. सफलता की उम्मीदों पर एक बार फिर मुश्किलों की दीवार खड़ी होती दिख रही है.

वार्ता में किसी भी तरह की प्रगति न होने का जिक्र करते हुए, एक सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर ईटीवी भारत को बातचीत को लेकर अभी भी चिंताए बनी हुई हैं. उन्हें अभी भी संबोधित करना है. अब तक मुख्य बाधा पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर है. हालांकि यह संभावना है कि पीएलए फिंगर 5 क्षेत्र से पीछे हट सकता है, फिर भी यह फिंगर 4 रिगलाइन पर एक पोस्ट बनाए हुए है, जिसे वह खाली करने से इनकार कर रहा है.

मंगलवार को पूर्वी लद्दाख के चुशुल में भारतीय सीमा चौकी के मोल्दो में रविवार की बैठक का फीडबैक मिलने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अध्यक्षता वाले चाइना स्टडी ग्रुप (सीएसजी) ने इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया.

6 जून, 22 जून, 30 जून और 14 जुलाई के बाद रविवार को चुशुल-मोल्दो में हुई बैठक दोनों देशों के बीच पांचवी मीटिंग थी.

पांचवें दौर की बात को निर्धारित करना अपने आप में एक चुनौती थी, दोनों पक्षों के साथ अपनी-अपनी पॉजिशन पर सख्ती से पेश आने और एजेंडे पर असहमति जताई.

यह बैठक पीएलए द्वारा शनिवार देर शाम टेलिफोन कॉल आने के बाद रविवार के लिए निर्धारित की गई.

उल्लेखनीय है कि सभी भारत-चीन सीमा बैठकों की तरह, रविवार की बैठक भी 11 घंटे से अधिक समय तक चली.

पढ़ें - पांचवें दौर की सैन्य वार्ता के लिए इसलिए सहमत हुई चीनी सेना

हालांकि भारतीय सेना और पीएलए के सैनिकों के बीच अपनी पॉजिशन से पीछे हटने को लेकर कुछ मतभेद हो गए हैं, जहां वह गाल्वन घाटी (पीपी 14) में फ्लैशपोइंट पर एक दूसरे की नजर से दूर थे.

हॉट स्प्रिंग्स (पीपी 15) और गोगरा (पीपी 17), और केवल आंशिक रूप से पैंगोंग त्सो में, जहां पीएलए ने फिंगर 5 से फिंगर 4 में वापस चला गया था, लेकिन यह प्रभावी फिंगर 4 रिजलाइन है, जहां से पीएलए ने हटने से मना कर दिया है.

बता दें कि फिंगर 1 से फिंगर 8 की तरह स्पर्स हैं, जो पहाड़ों से दक्षिण की ओर पैंगोंग झील से उत्तर-दक्षिण दिशा में निकलती हैं. जहां भारत फिंगर 8 के पास एलएसी चलाता है, वहीं चीन फिंगर 3 तक क्षेत्र का दावा करता है. अतीत में, जबकि पीएलए ने फिंगर 8 से 4 तक गश्त की, भारतीय सेना ने फिंगर 4 से 8 तक गश्त की.

नई दिल्ली : लेफ्टिनेंट-जनरल हरेंद्र सिंह और मेजर-जनरल लिन लियू के बीच पैंगोंग त्सो साइट को लेकर लेह स्थित 14 कोर के कमांडर स्तर की वार्ता के पांचवें दौर की बातचीत की सफलता पर आशंका के बादल मंडराने लगे हैं. सफलता की उम्मीदों पर एक बार फिर मुश्किलों की दीवार खड़ी होती दिख रही है.

वार्ता में किसी भी तरह की प्रगति न होने का जिक्र करते हुए, एक सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर ईटीवी भारत को बातचीत को लेकर अभी भी चिंताए बनी हुई हैं. उन्हें अभी भी संबोधित करना है. अब तक मुख्य बाधा पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर है. हालांकि यह संभावना है कि पीएलए फिंगर 5 क्षेत्र से पीछे हट सकता है, फिर भी यह फिंगर 4 रिगलाइन पर एक पोस्ट बनाए हुए है, जिसे वह खाली करने से इनकार कर रहा है.

मंगलवार को पूर्वी लद्दाख के चुशुल में भारतीय सीमा चौकी के मोल्दो में रविवार की बैठक का फीडबैक मिलने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अध्यक्षता वाले चाइना स्टडी ग्रुप (सीएसजी) ने इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया.

6 जून, 22 जून, 30 जून और 14 जुलाई के बाद रविवार को चुशुल-मोल्दो में हुई बैठक दोनों देशों के बीच पांचवी मीटिंग थी.

पांचवें दौर की बात को निर्धारित करना अपने आप में एक चुनौती थी, दोनों पक्षों के साथ अपनी-अपनी पॉजिशन पर सख्ती से पेश आने और एजेंडे पर असहमति जताई.

यह बैठक पीएलए द्वारा शनिवार देर शाम टेलिफोन कॉल आने के बाद रविवार के लिए निर्धारित की गई.

उल्लेखनीय है कि सभी भारत-चीन सीमा बैठकों की तरह, रविवार की बैठक भी 11 घंटे से अधिक समय तक चली.

पढ़ें - पांचवें दौर की सैन्य वार्ता के लिए इसलिए सहमत हुई चीनी सेना

हालांकि भारतीय सेना और पीएलए के सैनिकों के बीच अपनी पॉजिशन से पीछे हटने को लेकर कुछ मतभेद हो गए हैं, जहां वह गाल्वन घाटी (पीपी 14) में फ्लैशपोइंट पर एक दूसरे की नजर से दूर थे.

हॉट स्प्रिंग्स (पीपी 15) और गोगरा (पीपी 17), और केवल आंशिक रूप से पैंगोंग त्सो में, जहां पीएलए ने फिंगर 5 से फिंगर 4 में वापस चला गया था, लेकिन यह प्रभावी फिंगर 4 रिजलाइन है, जहां से पीएलए ने हटने से मना कर दिया है.

बता दें कि फिंगर 1 से फिंगर 8 की तरह स्पर्स हैं, जो पहाड़ों से दक्षिण की ओर पैंगोंग झील से उत्तर-दक्षिण दिशा में निकलती हैं. जहां भारत फिंगर 8 के पास एलएसी चलाता है, वहीं चीन फिंगर 3 तक क्षेत्र का दावा करता है. अतीत में, जबकि पीएलए ने फिंगर 8 से 4 तक गश्त की, भारतीय सेना ने फिंगर 4 से 8 तक गश्त की.

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