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महाराष्ट्र में कहां हुई चूक : पड़ताल में जुटी आरएसएस-भाजपा समन्वय कमेटी

महाराष्ट्र में मजबूत जनादेश मिलने के बावजूद भाजपा सरकार बनाने में नाकाम रही. बीजेपी के लिए ये बड़ा झटका माना जा रहा है. अब ताजा घटनाक्रम में संघ की समन्वय कमेटी इस पूरे घटनाक्रम की पड़ताल कर रही है. कई सवालों के जवाब ढूंढे जा रहे हैं. मसलन, हर बार रुठकर मान जाने वाली शिवसेना से इस बार बात इतनी कैसे बिगड़ गई?

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मोहन भागवत और अमित शाह
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Published : Nov 29, 2019, 2:57 PM IST

नई दिल्ली : महाराष्ट्र में बीजेपी को 105 सीटों पर जीत मिली थी. पार्टी शिवसेना के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन कर सरकार बनाने के प्रति आश्वस्त थी. हालांकि, परिणामों का एलान होने के बाद शिवसेना ने ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले की बात की. इसके तहत बीजेपी को शिवसेना के साथ सत्ता शेयर करनी थी. हालांकि, बीजेपी ने ऐसे किसी भी फॉर्मूले से इनकार कर दिया. इसके बाद कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना ने 160 से ज्यादा विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई है.

चुनाव परिणामों के एलान और सरकार गठन के दौरान महाराष्ट्र में काफी समय तक राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल रहा. अब शिवसेना के बीजेपी से अलग होने पर ये पड़ताल की जा रही है, कि हिंदुत्व की समान विचारधारा पर आधारित होने पर भी दोनों दलों में इतनी दूरी कैसे हुई कि विरोधी दलों के साथ सरकार बनाने की मजबूरी आ गई. इस सवाल का भी जवाब ढूंढा जा रहा है कि क्या शिवसेना ने नतीजे आने के पहले ही भाजपा से दूर जाने का मूड बना लिया था. शिवसेना के इस अड़ियल रवैये के पीछे क्या भाजपा का व्यवहार जिम्मेदार था या फिर इस क्षेत्रीय दल की महत्वाकांक्षा.

संघ सूत्रों के मुताबिक डॉ. कृष्णगोपाल की अध्यक्षता वाली समन्यव कमेटी महाराष्ट्र के चुनाव में शुरू से लेकर सरकार बनने और बिगड़ने तक की गतिविधियों की पड़ताल कर रही है. इसमें टिकट वितरण से लेकर शिवसेना के साथ भाजपा नेताओं की बैठकों और उसमें लिए गए फैसलों आदि के बारे में विस्तृत पड़ताल चल रही है.

नागपुर के संघ मामलों के जानकार दिलीप देवधर ने कहा, 'संघ की कमेटी ऐसे मामलों की बड़ी बारीक समीक्षा करती है. आगे होने वाली बैठकों में इस पर संघ व भाजपा के नेताओं की बीच विस्तृत चर्चा होने की उम्मीद है.'

दिलीप देवधर के मुताबिक महाराष्ट्र में टिकट वितरण के दौरान इस बात को लेकर नाराज हुआ था कि बाहर के लोगों को टिकट देने के चक्कर में अंदर के पुराने लोगों के टिकट काट दिए गए. डेढ़ दर्जन से अधिक विधायकों के टिकट काटे जाने पर उन्होंने संघ से गुहार लगाई थी. हालांकि उस वक्त संघ ने भाजपा के मामले में दखलंदाजी करने की जरूरत नहीं समझी थी. अमूमन संघ के अंदरखाने से भाजपा के किसी निर्णय पर तब तक कोई सवाल नहीं उठते, जब तक कि उसके नतीजे बुरे न हों.

महाराष्ट्र के चुनाव में कई निर्णयों से हुए नुकसान होने के बाद अब संघ ने इन मामलों की समीक्षा शुरू की है. संघ यह पता लगा रहा है कि सिटिंग एमएलए के टिकट देवेंद्र फडणवीस की सिफारिश पर कटे या फिर केंद्रीय नेतृत्व ने अपने स्तर से फैसला किया. संघ सूत्रों के मुताबिक अभी इस मामले की पड़ताल चल रही है. आगे संघ-भाजपा की समन्वय बैठक जब होगी, तब इस मामले में तैयार रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा होगी.

(आईएएनएस इनपुट)

नई दिल्ली : महाराष्ट्र में बीजेपी को 105 सीटों पर जीत मिली थी. पार्टी शिवसेना के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन कर सरकार बनाने के प्रति आश्वस्त थी. हालांकि, परिणामों का एलान होने के बाद शिवसेना ने ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले की बात की. इसके तहत बीजेपी को शिवसेना के साथ सत्ता शेयर करनी थी. हालांकि, बीजेपी ने ऐसे किसी भी फॉर्मूले से इनकार कर दिया. इसके बाद कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना ने 160 से ज्यादा विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई है.

चुनाव परिणामों के एलान और सरकार गठन के दौरान महाराष्ट्र में काफी समय तक राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल रहा. अब शिवसेना के बीजेपी से अलग होने पर ये पड़ताल की जा रही है, कि हिंदुत्व की समान विचारधारा पर आधारित होने पर भी दोनों दलों में इतनी दूरी कैसे हुई कि विरोधी दलों के साथ सरकार बनाने की मजबूरी आ गई. इस सवाल का भी जवाब ढूंढा जा रहा है कि क्या शिवसेना ने नतीजे आने के पहले ही भाजपा से दूर जाने का मूड बना लिया था. शिवसेना के इस अड़ियल रवैये के पीछे क्या भाजपा का व्यवहार जिम्मेदार था या फिर इस क्षेत्रीय दल की महत्वाकांक्षा.

संघ सूत्रों के मुताबिक डॉ. कृष्णगोपाल की अध्यक्षता वाली समन्यव कमेटी महाराष्ट्र के चुनाव में शुरू से लेकर सरकार बनने और बिगड़ने तक की गतिविधियों की पड़ताल कर रही है. इसमें टिकट वितरण से लेकर शिवसेना के साथ भाजपा नेताओं की बैठकों और उसमें लिए गए फैसलों आदि के बारे में विस्तृत पड़ताल चल रही है.

नागपुर के संघ मामलों के जानकार दिलीप देवधर ने कहा, 'संघ की कमेटी ऐसे मामलों की बड़ी बारीक समीक्षा करती है. आगे होने वाली बैठकों में इस पर संघ व भाजपा के नेताओं की बीच विस्तृत चर्चा होने की उम्मीद है.'

दिलीप देवधर के मुताबिक महाराष्ट्र में टिकट वितरण के दौरान इस बात को लेकर नाराज हुआ था कि बाहर के लोगों को टिकट देने के चक्कर में अंदर के पुराने लोगों के टिकट काट दिए गए. डेढ़ दर्जन से अधिक विधायकों के टिकट काटे जाने पर उन्होंने संघ से गुहार लगाई थी. हालांकि उस वक्त संघ ने भाजपा के मामले में दखलंदाजी करने की जरूरत नहीं समझी थी. अमूमन संघ के अंदरखाने से भाजपा के किसी निर्णय पर तब तक कोई सवाल नहीं उठते, जब तक कि उसके नतीजे बुरे न हों.

महाराष्ट्र के चुनाव में कई निर्णयों से हुए नुकसान होने के बाद अब संघ ने इन मामलों की समीक्षा शुरू की है. संघ यह पता लगा रहा है कि सिटिंग एमएलए के टिकट देवेंद्र फडणवीस की सिफारिश पर कटे या फिर केंद्रीय नेतृत्व ने अपने स्तर से फैसला किया. संघ सूत्रों के मुताबिक अभी इस मामले की पड़ताल चल रही है. आगे संघ-भाजपा की समन्वय बैठक जब होगी, तब इस मामले में तैयार रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा होगी.

(आईएएनएस इनपुट)

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महाराष्ट्र में हुई चूक की पड़ताल में जुटी संघ-भाजपा समन्वय कमेटी

नई दिल्ली, (आईएएनएस)| महाराष्ट्र में जनादेश के बावजूद सरकार बनाने में भाजपा के झटका खा जाने के बाद अब संघ की समन्वय कमेटी इस पूरे घटनाक्रम की पड़ताल कर रही है. कई सवालों के जवाब ढूंढे जा रहे हैं. मसलन, हर बार रुठकर मान जाने वाली शिवसेना से इस बार बात इतनी कैसे बिगड़ गई?



हिंदुत्व की समान विचारधारा पर आधारित होने पर भी दोनों दलों में इतनी दूरी कैसे हुई कि विरोधी दलों के साथ सरकार बनाने की मजबूरी आ गई. इस सवाल का भी जवाब ढूंढा जा रहा है कि क्या शिवसेना ने नतीजे आने के पहले ही भाजपा से दूर जाने का मूड बना लिया था. शिवसेना के इस अड़ियल रवैये के पीछे क्या भाजपा का व्यवहार जिम्मेदार था या फिर इस क्षेत्रीय दल की महत्वाकांक्षा.



संघ सूत्रों के मुताबिक डॉ. कृष्णगोपाल की अध्यक्षता वाली समन्यव कमेटी महाराष्ट्र के चुनाव में शुरू से लेकर सरकार बनने और बिगड़ने तक की गतिविधियों की पड़ताल कर रही है. इसमें टिकट वितरण से लेकर शिवसेना के साथ भाजपा नेताओं की बैठकों और उसमें लिए गए फैसलों आदि के बारे में विस्तृत पड़ताल चल रही है.



नागपुर के संघ मामलों के जानकार दिलीप देवधर ने आईएएनएस से कहा, 'संघ की कमेटी ऐसे मामलों की बड़ी बारीक समीक्षा करती है. आगे होने वाली बैठकों में इस पर संघ व भाजपा के नेताओं की बीच विस्तृत चर्चा होने की उम्मीद है.'



दिलीप देवधर के मुताबिक महाराष्ट्र में टिकट वितरण के दौरान इस बात को लेकर नाराज हुआ था कि बाहर के लोगों को टिकट देने के चक्कर में अंदर के पुराने लोगों के टिकट काट दिए गए. डेढ़ दर्जन से अधिक विधायकों के टिकट काटे जाने पर उन्होंने संघ से गुहार लगाई थी. हालांकि उस वक्त संघ ने भाजपा के मामले में दखलंदाजी करने की जरूरत नहीं समझी थी. अमूमन संघ के अंदरखाने से भाजपा के किसी निर्णय पर तब तक कोई सवाल नहीं उठते, जब तक कि उसके नतीजे बुरे न हों.



महाराष्ट्र के चुनाव में कई निर्णयों से हुए नुकसान होने के बाद अब संघ ने इन मामलों की समीक्षा शुरू की है. संघ यह पता लगा रहा है कि सिटिंग एमएलए के टिकट देवेंद्र फडणवीस की सिफारिश पर कटे या फिर केंद्रीय नेतृत्व ने अपने स्तर से फैसला किया. संघ सूत्रों के मुताबिक अभी इस मामले की पड़ताल चल रही है. आगे संघ-भाजपा की समन्वय बैठक जब होगी, तब इस मामले में तैयार रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा होगी.


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