भोपाल : कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली. कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारी से पहले सीआरपीसी की धारा 41 का पालन नहीं किया गया. साथ ही कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया.
बता दें कि चार फरवरी को कॉमेडियन मुनव्वर ने अपनी जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इससे पूर्व हाईकोर्ट और इंदौर जिला कोर्ट ने कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद कॉमेडियन मुनव्वर ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
जानें मामला
एक जनवरी को इंदौर के तुकोगंज थाना क्षेत्र के एक कैफे में कार्यक्रम आयोजित हुआ था. कार्यक्रम में कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी ने हिंदू देवी-देवताओं और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत कई नेताओं पर अनर्गल बात करने के आरोप लगाए थे. उनकी टिप्पणी के बाद कार्यक्रम में मौजूद हिंदू रक्षक संगठन के एकलव्य गौड़ और कई कार्यकर्ताओं ने मुनव्वर फारूकी को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया था.
कोर्ट ने खारिज की याचिका
पिछले एक महीने से कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी केंद्रीय जेल में बंद हैं. जमानत के लिए उन्होंने इंदौर जिला कोर्ट और हाईकोर्ट में आवेदन दिया था, लेकिन दोनों ही कोर्ट में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी. इसके बाद मुनव्वर फारुकी ने सुप्रीम कोर्ट मे जमानत याचिका दायर की थी.
सांसद कर रहे थे पैरवी
मुनव्वर फारुकी की जमानत याचिका पर इंदौर हाईकोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने पैरवी की थी. उन्होंने कई तरह के तर्क भी रखे थे, लेकिन अलग-अलग तरह के तर्कों को सुनने के बाद इंदौर हाईकोर्ट ने मुनव्वर फारुकी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था.
पढ़ें - भाई-भतीजावाद से मुक्त 'ओटीटी', नई प्रतिभा को मिला 'सारा आकाश'
कोर्ट में रखे गए कई तर्क
इस मामले में मुनव्वर फारूकी के अधिवक्ता विवेक तंखा, अंशुमन श्रीवास्तव ने हाई कोर्ट को बताया था कि मुनव्वर फारूकी द्वारा इस तरह की अभद्र टिप्पणी इंदौर में नहीं की गई और कार्यक्रम के आयोजन से पूर्व ही उसे पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया गया. सरकार की ओर से अधिवक्ता अमित लोहिया ने अपना पक्ष रखा. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने मुनव्वर को जमानत याचिका रद्द कर दिया था