नई दिल्ली : कांग्रेस में हुए फेरबदल को लेकर पार्टी के बर्खास्त प्रवक्ता संजय झा ने अपने नवीनतम ट्वीट में कांग्रेस पार्टी में फेरबदल को लेकर बयान दिया है. ट्वीट में लिखा है कि 'कल रात टाइटैनिक पर डेक कुर्सियों को फिर से व्यवस्थित किया गया था, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में बड़ा फेरबदल असंतुष्टों को एक स्पष्ट संदेश देता है, जिन्हें खुद को पार्टी की मजबूती पर आवाज उठाने के लिए एक कीमत चुकानी पड़ी थी.'
पार्टी के भीतर फेरबदल पर राहुल गांधी की स्पष्ट मुहर है. कांग्रेस ने उन 23 पत्र लेखकों में से कई को स्पष्ट संदेश दिया है कि असंतोष को पार्टी में एक सीमा तक स्वीकार किया जा सकता है.
एक तरफ, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को AICC के महासचिव के पद से हटा दिया गया. दूसरी तरफ, राहुल गांधी के वफादार रणदीप सिंह सुरजेवाला कर्नाटक के महासचिव प्रभारी के पद पर नियुक्त होने और सोनिया गांधी की छह सदस्यीय पैनल सलाहकार समिति में शामिल होने के साथ सबसे बड़े लाभार्थी बन गए.
हालांकि, आजाद अभी भी कांग्रेस वर्किंग कमेटी का हिस्सा हैं. सीडब्ल्यूसी में जगह पाने वाले अन्य सदस्यों में अधीर रंजन चौधरी, लुइजिन्हो फलेइरो, मोतीलाल वोरा और ताम्रध्वज साहू शामिल हैं.
इतने सालों तक आजाद, वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ कांग्रेस के वफादार होने के बावजूद सोनिया गांधी की सलाहकार समिति में शामिल नहीं हुए. हालांकि, मुकुल वासनिक, जो पत्र के हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक थे, को विशेष समिति में जगह मिली.
वासनिक, जिन्हें अहमद पटेल का करीबी सहयोगी माना जाता है, उन्हें 2019 में राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस प्रमुख के पद की भी पेशकश की गई थी लेकिन, जब वे पत्र में कांग्रेस के नेतृत्व पर सवाल उठाते हैं तो धारणा बदल जाती है.
गुलाम नबी आजाद का राज्यसभा कार्यकाल भी अगले साल समाप्त होने जा रहा है, जिसके बाद उनकी जगह मल्लिकार्जुन खड़गे लेंगे. उनके अलावा, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी और शशि थरूर को फेरबदल के बाद कोई महत्वपूर्ण स्थान नहीं मिला.
संरचनात्मक परिवर्तन टीम राहुल गांधी के लिए कांग्रेस पार्टी की मुख्य समितियों में स्थान पाने का एक अवसर बन गया. सुरजेवाला के अलावा, मणिकम टैगोर को तेलंगाना के प्रभारी के साथ-साथ सीडब्ल्यूसी के सदस्य के रूप में भी नियुक्त किया गया है.
असहमति पत्र के एक अन्य हस्ताक्षरकर्ता जितिन प्रसाद को राहुल गांधी के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक माना जाता था क्योंकि वह कांग्रेस पार्टी के युवा कैडर का हिस्सा थे. प्रसाद को अब राज्य के प्रभारी के रूप में पश्चिम बंगाल में स्थानांतरित कर दिया गया है, जिसमें 2021 में चुनाव होने वाले हैं.
राहुल गांधी ने पार्टी का एक स्पष्ट संदेश है. राहुल नें नए सेटअप में असंतुष्टों और वफादारों को लेकर एक बड़ा निर्णय लिया है. इस आलोचना को टालने की कोशिश की जा रही है कि तख्तापलट के विचार के पीछे जो लोग थे, उनको पदों से हटा दिया गया है.