नई दिल्ली : असम में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर जमकर विरोध प्रदर्शन और आंदोलन हुआ. इसको लेकर असम समझौते की धारा छह पर 12 सदस्यीय समिति अगले एक महीने में अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप सकती है.
सरकार के सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि नॉर्थ ब्लाक ने समिति के सदस्यों से जल्द से जल्द रिपोर्ट पेश करने को कहा है. CAA के खिलाफ आंदोलन कर रहे, विशेष रूप से ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) के नेताओं ने सरकार से असम समझौते की धारा छह को बिना किसी देरी के लागू करने के लिए कहा है.
ऐतिहासिक असम समझौते की धारा छह में असमिया लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषाई पहचान और विरासत की रक्षा और संरक्षण के साथ-साथ संवैधानिक, विधायी और प्रशासनिक सुरक्षा प्रदान करने के बारे में बात की गई है.
गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा है कि एक बार समिति अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दे, सरकार धारा छह को लागू करने के लिए तैयार है.
गृह मंत्रालय ने जुलाई में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बिपल्ब कुमार सरमा की अध्यक्षता वाली 12 सदस्यीय समिति का पुनर्गठन किया और जल्द से जल्द रिपोर्ट देने को कहा है. अक्टूबर और नवंबर के महीने में, समिति ने विभिन्न संगठनों, असम के छात्र निकायों के साथ कई बैठकें की थी.
CAA विरोधी आंदोलनकारीयों को लगता है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम असम के लोगों की संस्कृति, पहचान और राजनीतिक अधिकारों को नष्ट कर सकता है इसलिए CAA विरोधी आंदोलनकारी असम समझौते की धारा छह को लागू करने की मांग कर रहे हैं.
इस मुद्दे पर बात करते हुए, असम के वरिष्ठ पत्रकार कल्याण बरुआ ने कहा कि धारा छह असम समझौते की महत्वपूर्ण धारा में से एक है.
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बरुआ ने जानकारी देते हुए कहा कि असम समझौते की धारा पांच अवैध विदेशियों का पता लगाने और निर्वासन के बारे में बात करती है. वहीं, खंड 6 असम के लोगों की संस्कृति, परंपरा सामाजिक पहचान को संरक्षण देने के बारे में बात करता है.
दिलचस्प बात यह है कि 12 सदस्यीय समिति में शिक्षाविद, पत्रकार, सेवानिवृत्त नौकरशाह, छात्र नेता शामिल हैं.