नई दिल्ली : नीति आयोग के सदस्य वी.के. सारस्वत ने कश्मीर में इंटरनेट पाबंदी को लेकर अजीबोगरीब बयान दिया था. लेकिन बयान को लेकर विवादों में घिरने के बाद उन्होंने सफाई पेश करते हुए कश्मीरवासियों से माफी मांगी है.
सारस्वत ने अपने सफाई देते हुए कहा कि उनका बयान गलत संदर्भ में पेश किया जा रहा है. उन्होंने आगे कहा, 'अगर इस गलतफहमी से कश्मीर के लोगों को ठेस पहुंची है तो मैं माफी मांगता हूं और मैं नहीं चाहता कि कश्मीर के लोगों को लगे कि मैं उनको दिए जाने वाले इंटरनेट के अधिकार के खिलाफ हूं.'
इसके पहले उन्होंने कहा था कि कश्मीर में इंटरनेट न होने से क्या फर्क पड़ता है? आप वहां इंटरनेट पर क्या देखते हैं? वहां क्या ई-टेलिंग हो रही है? गंदी फिल्में देखने के अलावा, आप वहां कुछ भी नहीं करते हैं.
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इस बीच मार्क्सवावादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) महासचिव सीताराम येचुरी ने कश्मीर में इंटरनेट सेवा को गैरजरूरी बताने वाले नीति आयोग के सदस्य सारस्वत को देश का संविधान विस्तार से पढ़ने की नसीहत दी है.
सारस्वत ने विपक्षी दलों के नेताओं की कश्मीर जाने की मंशा पर भी सवाल उठाते हुए कहा था कि ऐसे लोग कश्मीर में दिल्ली की सड़कों की तरह फिर से आंदोलन शुरू कराना चाहते हैं.
येचुरी ने सारस्वत के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ट्वीट कर कहा, 'यह व्यक्ति (सारस्वत) नीति आयोग के सदस्य हैं. उन्हें खुद को अपडेट करने के लिए भारत का संविधान पढ़ने की जरूरत है और वह प्रस्तावना से इसकी शुरुआत कर सकते हैं.'
येचुरी ने कहा कि सीएए व एनआरसी के विरोध में देश के सभी शहरों और कस्बों में आंदोलन हो रहे हैं और वह (सारस्वत) इन आंदोलनों में पढ़ी जा रही संविधान की प्रस्तावना से खुद को अवगत करा सकते हैं.