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निजाम के धन पर करीब 120 वंशजों का दावा: निजाम के पौत्र

हैदराबाद के सातवें निजाम के धन के मामले में ब्रिटेन उच्च न्यायालय ने भारत के पक्ष में फैसला दिया है. इसके बाद एक नया प्रकरण सामने खड़ा हो गया है. इसमें सातवें निजाम के पौत्र ने कहा है कि 3.5 करोड़ पाउंड की धनराशी 120 वंशजों में बांटनी होगी. पढ़ें पूरी खबर...

फाइल फोटो
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Published : Oct 3, 2019, 11:51 PM IST

हैदराबाद: हैदराबाद के सातवें निजाम के करीब 3.5 करोड़ पाउंड धन को लेकर ब्रिटेन की एक अदालत के भारत के पक्ष में फैसला सुनाया है. इसके एक दिन बाद उनके एक पौत्र ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह राशि 120 वंशजों के बीच बांटनी होगी.

सातवें निजाम नवाब मीर उस्मान अली खान बहादुर के पौत्र तथा निजाम परिवार कल्याण संघ के अध्यक्ष नवाब नजफ अली खान ने कहा कि करीब 120 परिजन हैं, जिनकी इस धन में हिस्सेदारी है. वे सब धन के बंटवारे को लेकर बातचीत करेंगे तथा फैसला करेंगे.

नजफ अली खान ने कहा कि उन्होंने मुझे पूरे अधिकार दिये हैं और मैं उनकी नुमांइदगी कर रहा हूं.

ब्रिटेन के हाई कोर्ट ने 1947 में विभाजन के वक्त हैदराबाद के दिवंगत सातवें निजाम के धन को लेकर बुधवार को भारत के पक्ष में फैसला सुनाया तथा पाकिस्तान के दावे को खारिज कर दिया.

पढ़ें-हैदराबाद निजाम फंड : 'PAK के साथ अदालत के बाहर समझौते का प्रयास किया गया'

सत्तर साल से अधिक पुरानी कानूनी लड़ाई में ब्रिटिश अदालत के फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए और हैदराबाद के आठवें निजाम प्रिंस मुकर्रम जाह और उनके छोटे भाई मुफ्फकम जाह ने नेटवेस्ट बैंक पीएलसी में पड़े साढ़े तीन करोड़ पाउंड को लेकर कानूनी लड़ाई में पाकिस्तान के खिलाफ भारत सरकार से हाथ मिला लिया था.

नजफ अली खान ने कहा कि ये दोनों अकेले धन नहीं ले सकते.

उन्होंने कहा कि प्रिंस और उनके छोटे भाई समेत परिवार के सभी सदस्य राशि बांटने को लेकर बैठकर बातचीत करेंगे.

खान ने कहा कि अगर प्रिंस और उनके भाई इस बात पर सहमत नहीं होते तो हम अदालत में जाएंगे.

हैदराबाद: हैदराबाद के सातवें निजाम के करीब 3.5 करोड़ पाउंड धन को लेकर ब्रिटेन की एक अदालत के भारत के पक्ष में फैसला सुनाया है. इसके एक दिन बाद उनके एक पौत्र ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह राशि 120 वंशजों के बीच बांटनी होगी.

सातवें निजाम नवाब मीर उस्मान अली खान बहादुर के पौत्र तथा निजाम परिवार कल्याण संघ के अध्यक्ष नवाब नजफ अली खान ने कहा कि करीब 120 परिजन हैं, जिनकी इस धन में हिस्सेदारी है. वे सब धन के बंटवारे को लेकर बातचीत करेंगे तथा फैसला करेंगे.

नजफ अली खान ने कहा कि उन्होंने मुझे पूरे अधिकार दिये हैं और मैं उनकी नुमांइदगी कर रहा हूं.

ब्रिटेन के हाई कोर्ट ने 1947 में विभाजन के वक्त हैदराबाद के दिवंगत सातवें निजाम के धन को लेकर बुधवार को भारत के पक्ष में फैसला सुनाया तथा पाकिस्तान के दावे को खारिज कर दिया.

पढ़ें-हैदराबाद निजाम फंड : 'PAK के साथ अदालत के बाहर समझौते का प्रयास किया गया'

सत्तर साल से अधिक पुरानी कानूनी लड़ाई में ब्रिटिश अदालत के फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए और हैदराबाद के आठवें निजाम प्रिंस मुकर्रम जाह और उनके छोटे भाई मुफ्फकम जाह ने नेटवेस्ट बैंक पीएलसी में पड़े साढ़े तीन करोड़ पाउंड को लेकर कानूनी लड़ाई में पाकिस्तान के खिलाफ भारत सरकार से हाथ मिला लिया था.

नजफ अली खान ने कहा कि ये दोनों अकेले धन नहीं ले सकते.

उन्होंने कहा कि प्रिंस और उनके छोटे भाई समेत परिवार के सभी सदस्य राशि बांटने को लेकर बैठकर बातचीत करेंगे.

खान ने कहा कि अगर प्रिंस और उनके भाई इस बात पर सहमत नहीं होते तो हम अदालत में जाएंगे.

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PRI GEN NAT
.HYDERABAD MDS6
TL-NIZAM-CLAIMANTS
Around 120 descendants have stake in Nizam's funds:Grandson
Hyderabad, Oct 3 (PTI)A day after a UK court ruled in
India's favour over funds belonging to the late 7th Nizam of
Hyderabad now worth around 35 million pounds, one of his
grandsons here on Thursday said the amount would have to be
shared among around 120 descendants who according to him have
stakes in it.
NawabNajafAliKhan, grandson of Nizam VII Nawab Mir
OsmanAliKhan Bahadur and president of the Nizam Family
Welfare Association,said approximately there were 120 family
members who have their right of share in the money and they
would all discuss and decide about distribution of the funds.
They have given me absolute mandate and I am
representing them, NajafAliKhan told PTI here.
The UK High Court had on Wednesday ruled in favour of
India and dismissed Pakistan's claim over the funds belonging
to the late 7th Nizam of Hyderabad at the time of Partition in
1947, settling a over 70-year long legal dispute.
The Nizam's descendants, Prince Mukarram Jah - the
titular eighth Nizam of Hyderabad - and his younger brother
Muffakham Jah, joined hands with the Indian government in the
legal battle against Pakistan for possession of over around 35
million pounds lying with NatWest Bank plc in London.
"They (Prince Mukarram Jahand and Muffakham Jah) alone
cannot take over the amount...," Najaf Ali Khan said.
The family members, including the Prince and his younger
brother, would sit and discuss over the disbursal of the
amount and if the issue was not sorted out there was an option
to move the court, he said.
"If they (the Prince and his brother) don't agree (over
distribution) we will approach court... definitely... why
not? NajafAliKhan said, when asked will they move the court
if the issue on distribution of fund was not resolved.
He, however, said there was a four-week window available
for Pakistan to go in for appeal.
After that, our solicitors with consensus will solve the
problem on how to distribute the money, he said.
He further said the major obstacle (over fund
distribution) was Pakistan. Now it is among the other parties
to have an understanding...nobody wants to fight for the
money. Ultimately,we will sit and sort out the issue and we
will decide.
Welcoming the court verdict, NajafAliKhan on Wednesday
said hehad tried for an out of court settlement with Pakistan
in 2008with regard to the disputed amountbut the
neighbouring country did not respond. PTI VVK
VS
VS
10031941
NNNN
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