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CJI का PM को पत्र, लंबित मामलों की जल्द सुनवाई के लिए दिए कई सुझाव

मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई ने लंबित मामलों के समाधान के लिए पीएम मोदी को पत्र लिखकर उच्च न्यायलय के जजों की संख्या बढ़ाने का सुझाव दिया है.

रंजन गोगोई और पीएम मोदी ( फाइल फोटो)
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Published : Jun 22, 2019, 6:38 PM IST

नई दिल्ली: : भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में लंबित 43 लाख से अधिक मामलों की समस्या के समाधान के लिए सुझाव दिए हैं.

उन्होंने हाईकोर्ट के न्यायधीशों की आयु सीमा 62 से बढ़ाकर 65 करने और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने का सुझाव दिया है.

इसके अलावा मुख्य न्यायाधीश ने अनुच्छेद 128 और अनुच्छेद 224 ए के तहत लंबित मामलों को सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को सौंपने की पुरानी परंपरा को शुरू करने को कहा है.

पत्र में मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि कोर्ट में लगभग 58,669 मामले लंबित हैं और हर रोज यह मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों की कमी ने मुख्य न्यायधीश के लिए संवैधानिक प्रावधानों की व्याख्या करने वाली 5 न्यायाधीश पीठ का गठन करना मुश्किल बना दिया है.

उन्होंने कहा, मुख्य न्यायधीश द्वारा 2007 में सरकार को सूचित किए जाने के बाद भी इसके लिए कोई मानदंड नहीं बनाए गए. उन्होंने कहा कि अगर हाईकोर्ट के जजों की संख्या बढ़ाई जा सकती है तो कम से कम दस साल में एक बार सुप्रीम कोर्ट के जजों की संख्या भी बढ़ाई जा सकती है.

पढ़ें- प्रधानमंत्री मोदी अर्थशास्त्रियों और क्षेत्र के विशेषज्ञों से करेंगे बातचीत

पत्र में कहा गया है कि हालांकि पिछले एक दशक में मुख्य न्यायाधीश और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के सहायक कैडर की संख्या 895 से बढ़कर 1079 हो गई है. जबकि सुप्रीम कोर्ट के जजों की इतनी नहीं बढ़ी.

उन्होंने हाई कोर्ट में जजों की कमी का हवाला देते हुए कहा कि वर्तमान में 37% यानी 399 पद खाली हैं और इसीलिए लंबित मामलों का समाधान नहीं हो पा रहा है.

नई दिल्ली: : भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में लंबित 43 लाख से अधिक मामलों की समस्या के समाधान के लिए सुझाव दिए हैं.

उन्होंने हाईकोर्ट के न्यायधीशों की आयु सीमा 62 से बढ़ाकर 65 करने और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने का सुझाव दिया है.

इसके अलावा मुख्य न्यायाधीश ने अनुच्छेद 128 और अनुच्छेद 224 ए के तहत लंबित मामलों को सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को सौंपने की पुरानी परंपरा को शुरू करने को कहा है.

पत्र में मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि कोर्ट में लगभग 58,669 मामले लंबित हैं और हर रोज यह मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों की कमी ने मुख्य न्यायधीश के लिए संवैधानिक प्रावधानों की व्याख्या करने वाली 5 न्यायाधीश पीठ का गठन करना मुश्किल बना दिया है.

उन्होंने कहा, मुख्य न्यायधीश द्वारा 2007 में सरकार को सूचित किए जाने के बाद भी इसके लिए कोई मानदंड नहीं बनाए गए. उन्होंने कहा कि अगर हाईकोर्ट के जजों की संख्या बढ़ाई जा सकती है तो कम से कम दस साल में एक बार सुप्रीम कोर्ट के जजों की संख्या भी बढ़ाई जा सकती है.

पढ़ें- प्रधानमंत्री मोदी अर्थशास्त्रियों और क्षेत्र के विशेषज्ञों से करेंगे बातचीत

पत्र में कहा गया है कि हालांकि पिछले एक दशक में मुख्य न्यायाधीश और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के सहायक कैडर की संख्या 895 से बढ़कर 1079 हो गई है. जबकि सुप्रीम कोर्ट के जजों की इतनी नहीं बढ़ी.

उन्होंने हाई कोर्ट में जजों की कमी का हवाला देते हुए कहा कि वर्तमान में 37% यानी 399 पद खाली हैं और इसीलिए लंबित मामलों का समाधान नहीं हो पा रहा है.

Intro:The Chief Justice of India, Ranjan Gogoi, has written 3 letters to the Prime Minister, Narendra Modi expressing concern and suggesting measures for solving the problem of of pending more than 43 lakhs cases in the Supreme Court and High Courts.


Body:In two letters he has suggested to bring 2 constitutional ammendements for increasing the retirement age from 62 to 65 in HC and increasing the number of judges in SC from 31. In the third letter, he has asked to bring the old tradition of assigning pending cases to the retired judges, under Article 128 and Article 224A.

In his letter the CJI said, that around 58,669 cases are pending which continues to grow with fresh number of cases being filed. He further said that 26 cases were pending for 25 years,100 cases for 20 years,593 cases for 15 years and 4977 cases for 10 years.

He also said that shortage of judges made it difficult for the CJI to constitute necessary 5 judge bench to for cases which require interpretation of constitutional provisions.

He also noted that no norms were laid by the government even when CJI had informed the centre in 2007 that if the HC judges strengths were being enhanced triennially, it could at least be done once a decade for the Supreme Court.

The letter stated,"Though the size of the feeder cadre of chief Justice and judges of the HC has increased in the last decade from 895 to 1,079 judge strength in the SC has not been increased proportionally."

He also cited shortage of judges in HC as the reason of not being able to address the pending cases. Presently, 399 posts I.e. 37% of sanctioned posts are vacant .


Conclusion:
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