नई दिल्ली: : भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में लंबित 43 लाख से अधिक मामलों की समस्या के समाधान के लिए सुझाव दिए हैं.
उन्होंने हाईकोर्ट के न्यायधीशों की आयु सीमा 62 से बढ़ाकर 65 करने और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने का सुझाव दिया है.
इसके अलावा मुख्य न्यायाधीश ने अनुच्छेद 128 और अनुच्छेद 224 ए के तहत लंबित मामलों को सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को सौंपने की पुरानी परंपरा को शुरू करने को कहा है.
पत्र में मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि कोर्ट में लगभग 58,669 मामले लंबित हैं और हर रोज यह मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों की कमी ने मुख्य न्यायधीश के लिए संवैधानिक प्रावधानों की व्याख्या करने वाली 5 न्यायाधीश पीठ का गठन करना मुश्किल बना दिया है.
उन्होंने कहा, मुख्य न्यायधीश द्वारा 2007 में सरकार को सूचित किए जाने के बाद भी इसके लिए कोई मानदंड नहीं बनाए गए. उन्होंने कहा कि अगर हाईकोर्ट के जजों की संख्या बढ़ाई जा सकती है तो कम से कम दस साल में एक बार सुप्रीम कोर्ट के जजों की संख्या भी बढ़ाई जा सकती है.
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पत्र में कहा गया है कि हालांकि पिछले एक दशक में मुख्य न्यायाधीश और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के सहायक कैडर की संख्या 895 से बढ़कर 1079 हो गई है. जबकि सुप्रीम कोर्ट के जजों की इतनी नहीं बढ़ी.
उन्होंने हाई कोर्ट में जजों की कमी का हवाला देते हुए कहा कि वर्तमान में 37% यानी 399 पद खाली हैं और इसीलिए लंबित मामलों का समाधान नहीं हो पा रहा है.