नई दिल्ली : चीन के प्रमुख अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अमेरिका की ओर से भारत के प्रति समर्थन जताए जाने पर अपनी खीझ निकाली है. अखबार ने कहा कि इससे लगता है कि भारत की सामरिक ताकत बढ़ गई है, लेकिन यह एक गलत अनुमान है. इसलिए अच्छा होगा कि दोनों देशोें के रक्षा मंत्री बैठकर आपसी विवाद निपटाएं.
भारतीय जनमत बहुत गहराई से सीमा के मुद्दों में शामिल
संपादकीय में कहा गया है, 'हमें उम्मीद है कि रक्षा मंत्रियों की बैठक दोनों देशों के नेताओं को सर्वसम्मति पर वापस आने के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ होगी. प्रत्येक पक्ष सीमा पर तनाव को कम करने के लिए अपना उचित प्रयास करेगा.' चीन का मुखपत्र कहलाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने शुक्रवार को मॉस्को में रक्षा मंत्रियों की बैठक का समर्थन किया है. हालांकि, वह इस तथ्य की ओर इशारा करता है कि सीमा पर भारतीय नीतियों को राष्ट्रवाद और जनमत (पब्लिक ओपिनियन) द्वारा निर्धारित किया जा रहा है. ग्लोबल टाइम्स ने कहा, 'भारतीय जनमत बहुत गहराई से और व्यापक रूप से सीमा के मुद्दों में शामिल है. भारतीय सैनिकों का स्पष्ट रूप से घरेलू राष्ट्रवाद द्वारा अपहरण कर लिया गया है. इसलिए, चीन और भारत के बीच सीमा विवाद के संयुक्त नियंत्रण के अलावा, भारत को सार्वजनिक राय और राष्ट्रवाद का प्रबंधन भी करना चाहिए. यह उनके देश और अपने लोगों के लिए सबसे अच्छा विकल्प है.'
अमेरिका की ओर से भारत के प्रति समर्थन जताने पर खीझ
ग्लोबल टाइम्स ने कहा, 'अब समस्या यह है कि भारत ने सीमा मुद्दे पर एक आक्रामक रेखा खींची है, जो सीमा पर शांति और स्थिरता को बनाए रखने की चीन की इच्छा को एक कमजोरी के रूप में दशार्ती है. 'चीनी अखबार ने अमेरिका की ओर से भारत के प्रति समर्थन जताए जाने पर भी खीझ प्रकट की. इसने कहा, 'नई दिल्ली के कुछ लोगों का यह भी मानना है कि अमेरिका के चीन के प्रति दमन और भारत के प्रति समर्थन ने भारत की सामरिक ताकत को बढ़ा दिया है. 'चीनी अखबार ने इसे एक गलत अनुमान करार दिया है.
रक्षा मंत्रियों की मुलाकात एक सकारात्मक संकेत
चीनी स्टेट काउंसलर और रक्षा मंत्री वेई फेंघे और भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को मॉस्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के दौरान मुलाकात की. हाल के महीनों में सीमाओं पर तनाव बढ़ने के बाद से दोनों देशों के बीच यह सर्वोच्च स्तर की सैन्य बैठक थी. दोनों सेनाएं वर्तमान में पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी तट और रेकिन पर्वत दर्रे पर आमने-सामने हैं और जमीन पर स्थिति काफी तनावपूर्ण है. ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि तथ्य यह है कि दो रक्षा मंत्री आमने-सामने बैठे हैं, यह अपने आप में एक सकारात्मक संकेत है और दोनों देशों के लिए अपने सीमा विवादों का प्रबंधन करने और जमीन पर स्थिति को नरम करने के लिए आवश्यक माहौल प्रदान करता है.
विदेश मंत्री भी 10 सितंबर को मिलने की योजना बना रहे
चीनी अखबार के संपादकीय में कहा गया है, 'चीनी स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वेई फेंघे और भारतीय विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर भी 10 सितंबर को मिलने की योजना बना रहे हैं. 'ग्लोबल टाइम्स ने वेई और सिंह के बीच बैठक को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा है कि चीन और भारत का यह मुद्दा एक बैठक में हल नहीं किया जा सकता है, लेकिन दो रक्षा मंत्रियों की भूमिका सीमा पर चल रहे गतिरोध को कम करने में महत्वपूर्ण होगी. ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि चीन और भारत दोनों बड़ी शक्तियां हैं, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य संघर्ष के लिए राष्ट्रीय बलों को जुटाने की क्षमता रखते हैं लेकिन, इस समय दोनों पक्षों को शांति बरतने और प्रमुख मुद्दों को स्पष्ट करने की आवश्यकता है.