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कुलभूषण केस: अकेले पाक जज ने किया विरोध, चीन ने भी दिया भारत के पक्ष में वोट

आईसीजे ने पाकिस्तान में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगाते हुए उस पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है. यह भारत के लिए बड़ी जीत है. इस फैसले में आईसीजे के 16 में से 15 न्यायाधीशों ने भारत के पक्ष में वोट किया. जिसमें चीन के न्यायाधीश भी शामिल हैं. पढ़ें पूरी खबर...

शुए हांकिन्स. सौ. icjcij
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Published : Jul 18, 2019, 2:44 PM IST

बीजिंग: कुलभूषण जाधव मामले में अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) ने फैसला सुनाया है उसमें चीन की न्यायाधीश बहुमत के साथ हैं. चीन के न्यायाधीश का भारत के पक्ष में मतदान करना पाकिस्तान के लिए एक झटका माना जा रहा है.

बता दें, आईसीजे में न्यायाधीश शुए हांकिन्स का मत 16 सदस्यीय पीठ में 15 न्यायाधीशों के मतों में शामिल है और उनके फैसले पर यहां अभी तत्काल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है. लेकिन इसे चीन में भारत की राजनयिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है.

दरअसल, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की राष्ट्रीय न्यायाधीशों की बेंच में पाकिस्तान का कोई न्यायाधीश शामिल नहीं है इसलिए पाकिस्तान ने अनुच्छेद 31 के पैराग्राफ दो में दिए गए अधिकार का उपयोग करते हुए कुलभूषण जाधव मामले के लिए विशेष जज के तौर पर तस्सदुक हुसैन जिलानी को चुना.

विशेष रूप से शामिल जज हुसैन जिलानी ने कई मौकों पर विरोध किया.

अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) ने बुधवार को व्यवस्था दी कि पाकिस्तान को भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को सुनाई गयी फांसी की सजा पर प्रभावी तरीके से फिर से विचार करना चाहिए और राजनयिक पहुंच प्रदान करनी चाहिए. इसे भारत के लिए बड़ी जीत माना जा रहा है.

पढ़ें-जाधव केस: भारत ने खर्च किया 1 रुपया, पाक करोड़ों खर्च करने के बाद भी हारा

भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव (49) को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में बंद कमरे में सुनवाई के बाद जासूसी और आतंकवाद के आरोपों पर फांसी की सजा सुनाई थी. इस पर भारत में काफी गुस्सा देखने को मिला था.

अदालत के अध्यक्ष जज अब्दुलकावी अहमद यूसुफ की अगुवाई वाली 16 सदस्यीय पीठ ने कुलभूषण सुधीर जाधव को दोषी ठहराये जाने और उन्हें सुनाई गयी सजा की 'प्रभावी समीक्षा करने और उस पर पुनर्विचार करने' का आदेश दिया.

पढ़ें-ICJ ने कुलभूषण जाधव की फांसी पर लगाई रोक, भारत को मिली जीत

जज के अलावा शुए (64)चीन के विदेश मंत्रालय में वरिष्ठ अधिकारी के तौर पर सेवांए दे चुकी हैं.

बीजिंग: कुलभूषण जाधव मामले में अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) ने फैसला सुनाया है उसमें चीन की न्यायाधीश बहुमत के साथ हैं. चीन के न्यायाधीश का भारत के पक्ष में मतदान करना पाकिस्तान के लिए एक झटका माना जा रहा है.

बता दें, आईसीजे में न्यायाधीश शुए हांकिन्स का मत 16 सदस्यीय पीठ में 15 न्यायाधीशों के मतों में शामिल है और उनके फैसले पर यहां अभी तत्काल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है. लेकिन इसे चीन में भारत की राजनयिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है.

दरअसल, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की राष्ट्रीय न्यायाधीशों की बेंच में पाकिस्तान का कोई न्यायाधीश शामिल नहीं है इसलिए पाकिस्तान ने अनुच्छेद 31 के पैराग्राफ दो में दिए गए अधिकार का उपयोग करते हुए कुलभूषण जाधव मामले के लिए विशेष जज के तौर पर तस्सदुक हुसैन जिलानी को चुना.

विशेष रूप से शामिल जज हुसैन जिलानी ने कई मौकों पर विरोध किया.

अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) ने बुधवार को व्यवस्था दी कि पाकिस्तान को भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को सुनाई गयी फांसी की सजा पर प्रभावी तरीके से फिर से विचार करना चाहिए और राजनयिक पहुंच प्रदान करनी चाहिए. इसे भारत के लिए बड़ी जीत माना जा रहा है.

पढ़ें-जाधव केस: भारत ने खर्च किया 1 रुपया, पाक करोड़ों खर्च करने के बाद भी हारा

भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव (49) को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में बंद कमरे में सुनवाई के बाद जासूसी और आतंकवाद के आरोपों पर फांसी की सजा सुनाई थी. इस पर भारत में काफी गुस्सा देखने को मिला था.

अदालत के अध्यक्ष जज अब्दुलकावी अहमद यूसुफ की अगुवाई वाली 16 सदस्यीय पीठ ने कुलभूषण सुधीर जाधव को दोषी ठहराये जाने और उन्हें सुनाई गयी सजा की 'प्रभावी समीक्षा करने और उस पर पुनर्विचार करने' का आदेश दिया.

पढ़ें-ICJ ने कुलभूषण जाधव की फांसी पर लगाई रोक, भारत को मिली जीत

जज के अलावा शुए (64)चीन के विदेश मंत्रालय में वरिष्ठ अधिकारी के तौर पर सेवांए दे चुकी हैं.

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CHINA-JUDGE-JADHAV
Chinese judge backing majority view on Jadhav's case a setback for Pak

By K J M Varma
         Beijing, Jul 17 (PTI) The 15-1 judgement of the ICJ in the Kulbhushan Jadhav case may have political and diplomatic ramifications for Pakistan as the Chinese jurist and Vice President of the world court backed the majority judgement, signalling a setback for Islamabad in the high-profile verdict.
          While there was no immediate official reaction here about the judgement by the International Court of Justice (ICJ), Judge Xue Hanqin's backing of the majority verdict, notwithstanding the all-weather China-Pakistan ties, is being seen in China as a diplomatic victory for India.
         The ICJ on Wednesday ruled that Pakistan must make an "effective review and reconsideration" of the conviction and death sentence of Indian national Jadhav and grant him consular access, in a victory for India in the high-profile case.
         Jadhav, 49, a retired Indian Navy officer, was sentenced to death by the Pakistani military court on charges of "espionage and terrorism" after a closed trial in April 2017.          His sentencing evoked a sharp reaction in India.
         A 16-member bench led by President of the Court Judge Abdulqawi Ahmed Yusuf by 15-1 votes ordered an "effective review and reconsideration of the conviction and sentence of Mr Kulbhushan Sudhir Jadhav".
         Besides being jurist, Xue, 64, served as senior official of the Chinese Foreign Ministry in various high level positions ever since she joined in 1980.
         Pakistan's ad hoc judge Tassaduq Hussain Jillani was the lone dissenter of the majority judgement on Jadhav's case.
         Xue, who studied law in Peking University and Columbia University School of Law has been part of the Chinese Foreign Ministry since 1980.
         She worked in a number of positions, including Deputy Director-General, Department of Treaty and Law, Director-General, Department of Treaty and Law.
         In bilateral relations, she was in charge of important negotiations such as negotiations between UK and China on legal matters relating to transfer of Hong Kong to China, and with the Portuguese Government in relation to Macau.
         She was also involved in the negotiations on property damage arising from the US bombing of the Chinese Embassy in Yugoslavia; negotiations on the delimitation of the maritime boundaries of territorial sea including the maritime dispute between China and Vietnam. PTI KJV AKJ
MRJ
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