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चीन द्विपक्षीय समझौते का कर रहा उल्लंघन, भारत ने दिया मुंहतोड़ जवाब - Ministry spokesperson Anurag Srivastava

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने एक बयान में कहा कि चीन 29-30 अगस्त की देर रात पैंगॉग झील के दक्षिण तटीय क्षेत्र में अपने दांव-पेंच से सैन्य यथास्थिति को बदलने के प्रयास में लगा था. श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय सेना ने सोमवार को बताया था कि भारतीय पक्ष ने उसके इन भड़काऊ कार्रवाइयों का जवाब दिया और एलएसी से लगे इलाके में हमारे हितों की रक्षा और राष्ट्रीय अखंडता को बचाए रखने के लिए उचित रक्षात्मक उपाय किए.

Anurag Srivastava
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Published : Sep 2, 2020, 8:11 PM IST

नई दिल्ली : चीन ने भारतीय सेना के सोमवार को दिए बयान पर जैसे ही सख्त प्रतिक्रिया व्यक्त की, विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को फिर कहा कि बीजिंग अपने कार्यों से सीमा पर शांति और शांतचित्तता सुनिश्चित करने के लिए द्विपक्षीय समझौते और दो एशियाई दिग्गजों के बीच बने प्रोटोकॉल का उल्लंघन जारी रखे हुए है. भारतीय सेना ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की ओर से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास पूर्वी लद्दाख स्थित पैंगॉग त्सो झील में भारतीय क्षेत्र में अतिक्रमण करने के ताजा प्रयास को नाकाम करने के बारे में सोमवार को बयान दिया था. जिसके बाद चीन ने यह प्रतिक्रिया व्यक्त की थी.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने एक बयान में कहा कि चीन 29-30 अगस्त की देर रात पैंगॉग झील के दक्षिण तटीय क्षेत्र में अपने दांव-पेंच से सैन्य यथास्थिति को बदलने के प्रयास में लगा था. श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय सेना ने सोमवार को बताया था कि भारतीय पक्ष ने उसके इन भड़काऊ कार्रवाइयों का जवाब दिया और एलएसी से लगे इलाके में हमारे हितों की रक्षा और राष्ट्रीय अखंडता को बचाए रखने के लिए उचित रक्षात्मक उपाय किए.

इसके अलावा यहां तक कि 31 अगस्त को जब दोनों पक्षों के सैन्य कमांडर स्थिति को और बिगड़ने से रोकने के लिए मीटिंग कर रहे थे तब भी चीनी सैनिक फिर से उकसाने वाली कार्रवाई में लगे थे. समय पर रक्षात्मक कार्रवाई हो जाने की वजह से भारतीय पक्ष यथास्थिति को एकतरफा बदलने से रोकने में सक्षम हो पाया.

भारत उकसा रहा- चीनी दूतावास

विदेश मंत्रालय का यह बयान तब आया जब नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास के प्रवक्ता जी रोंग ने आरोप लगाया गया कि भारतीय सैनिकों ने पिछले बहु-स्तरीय बातचीत और उसके बाद चीन व भारत के बीच बनी आम सहमति को धता बता पैंगॉग त्सो झील के दक्षिणी तट पर और चीन-भारत सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में रेकिन दर्रे के पास अवैध रूप से वास्तविक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन किया और खुलेआम उकसाने का काम किया, जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में फिर से तनाव बढ़ गया.

भारत के इस कदम से चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का घोर उल्लंघन हुआ है. भारत की ओर से दोनों देशों के बीच के समझौतों, प्रोटोकॉल और महत्वपूर्ण आम सहमति का गंभीर उल्लंघन हुआ है. साथ ही चीन-भारत सीमा क्षेत्रों में शांति और शांतचित्तता को गंभीर नुकसान पहुंचाया गया है. भारत ने जो किया है वह वास्तविक स्थिति को समान्य करने और मामले को ठंडा करने के लिए दोनों पक्षों की ओर से किए जा रहे प्रयासों के बिल्कुल उलट है और चीन इसका दृढ़ता से विरोध करता है.

भारतीय सेना ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा था कि पीएलए के सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध के दौरान सैन्य और राजनयिक स्तर पर पिछले दिनों बातचीत के दौरान बनी आम सहमति का उल्लंघन किया और यथास्थिति को बदलने के लिए उकसाने वाली सैन्य गतिविधियों को अंजाम दिया.

क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए भी समान रूप से दृढ़

सेना के बयान में कहा गया है कि भारतीय सैनिकों ने दक्षिणी तट पर पैंगॉग त्सो झील पर पीएलए गतिविधियों को रोककर पहले वाली स्थिति कायम की, हमारी स्थिति को मजबूत करने और जमीनी तथ्यों को एकतरफा बदलने के चीनी इरादों को विफल करने के लिए कदम उठाए. भारतीय सेना बातचीत के जरिए शांति और शांतचित्तता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए भी समान रूप से दृढ़ है.

इस साल जून में गलवान घाटी में खूनी संघर्ष के परिणामस्वरूप 45 वर्षों में एलएसी पर पहली बार दोनों पक्षों के जवानों की जान गई. उसके बाद लद्दाख में हालात को सामान्य करने के लिए बनी आम सहमति की पीएलए की ओर से उल्लंघन के बाद भारत और चीन के बीच नया तनाव पैदा हो गया है.

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बीजिंग में मंगलवार को एक नियमित मीडिया ब्रीफिंग में आरोप लगाया गया कि भारतीय सैनिकों ने पैंगॉग त्सो झील और रेकिन पर्वत के दक्षिणी तट पर एलएसी का अवैध रूप से अतिक्रमण किया.

तनाव और जटिलता की स्थिति और बढ़ सकती है

हुआ ने कहा कि चीन मांग करता है कि भारतीय पक्ष अपने उकसावे को बंद करे और जो अवैध रूप से एलएसी का अतिक्रमण किए हैं अपने उन सीमाई सैनिकों को तत्काल वापस ले. साथ ही वैसी किसी भी कार्रवाई को तुरंत रोक दे जिनसे तनाव और जटिलता की स्थिति और बढ़ सकती है.

इसके अलावा चीन सरकार से जुड़े अंग्रेजी दैनिक ग्लोबल टाइम्स ने भी मंगलवार को ‘चीन को भारत के अवसरवादी कदम का पूरी तरह विरोध करना चाहिए’ शीर्षक से एक संपादकीय लिखा है. उसमें यह दावा करते हुए कि भारत ने ‘एक भड़काऊ उत्तेजक कदम’ उठाया जिससे चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का गंभीर रूप से उल्लंघन हुआ. इसने चीन-भारत के सीमा क्षेत्र में शांति और स्थिरता को कम किया.

यह बताते हुए कि चीन-भारत सीमा क्षेत्र में चीन को सैन्य संघर्ष के लिए अपनी सेना को तैयार करने की जरूरत है, अखबार ने दोनों पक्षों के बीच शांतिपूर्ण साधनों के माध्यम से टकराव के मुद्दों का हल करने का भी आह्वान किया है.

संपादकीय में कहा गया है कि, लेकिन जब भारत बिना विचार किए चीन को चुनौती देता है तो चीन को नरम नहीं पड़ना चाहिए. ऐसा आवश्यक होने पर सैन्य कार्रवाई कर जीत सुनिश्चित करनी चाहिए. यह कहते हुए कि चीन भारत की तुलना में कई गुना ज्यादा मजबूत है और भारत का चीन से कोई मुकाबला नहीं है. उसने लिखा है कि हमें भारत के किसी भी भ्रम को तोड़ना होगा कि वह अमेरिका जैसे अन्य शक्तियों के साथ मिलकर हमसे टकराव करके निपट सकता है. एशिया और विश्व इतिहास ने हमें बताया है कि अवसरवाद का लाभ उठाने के लिए जो कोई भी उत्सुक है वह कमजोर को धमकाता है जबकि मजबूत से डरता है. जब चीन-भारत सीमा मुद्दे की बात आती है तो भारत एक विशेष अवसरवादी हो जाता है.

दोनों देशों के बीच के प्रोटोकॉल का स्पष्ट उल्लंघन

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता श्रीवास्तव ने अपने बयान में कहा कि दोनों पक्षों के विशेष प्रतिनिधि के रूप में विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी इस बात पर सहमत हुए थे कि स्थिति को ज़िम्मेदार तरीके से संभाला जाना चाहिए और किसी भी पक्ष को भड़काऊ कार्रवाई या मामलों की गंभीरता को और बढ़ाने वाली कार्रवाई नहीं करनी चाहिए. इसके साथ ही द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार शांति और शांतचित्तता सुनिश्चित करनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि एलएसी के साथ इस साल की शुरुआत से ही चीनी पक्ष की कार्रवाई और व्यवहार द्विपक्षीय समझौतों और सीमा पर शांति और शांतचित्तता सुनिश्चित करने के दोनों देशों के बीच के प्रोटोकॉल का स्पष्ट उल्लंघन है. ऐसा करना विशेष प्रतिनिधियों के रूप में दो विदेश मंत्रियों के बीच बनी समझ का भी पूरी तरह से तिरस्कार है.

श्रीवास्तव ने कहा कि भारत ने हालिया भड़काऊ एवं आक्रामक कार्रवाइयों का मामला कूटनीतिक और सैन्य दोनों माध्यमों से चीन के साथ उठाया है और बीजिंग से इस तरह की उत्तेजक कार्रवाई करने से रोकने के लिए अपने अग्रिम पंक्ति के सैनिकों को अनुशासित और नियंत्रित करने का आग्रह किया है.

उन्होंने कहा कि भारतीय पक्ष शांतिपूर्ण बातचीत के माध्यम से पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी के साथ सभी बकाया मुद्दों को हल करने के लिए दृढ़ता के साथ प्रतिबद्ध है.

इस संदर्भ में हमें उम्मीद है कि चीनी पक्ष ईमानदारी से पहले से बनी सहमति पर समझदारी से पालन करेगा और स्थिति को सुलझाने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और शांतचित्तता बहाल करने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करेगा.

अरूणिम भुयान

नई दिल्ली : चीन ने भारतीय सेना के सोमवार को दिए बयान पर जैसे ही सख्त प्रतिक्रिया व्यक्त की, विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को फिर कहा कि बीजिंग अपने कार्यों से सीमा पर शांति और शांतचित्तता सुनिश्चित करने के लिए द्विपक्षीय समझौते और दो एशियाई दिग्गजों के बीच बने प्रोटोकॉल का उल्लंघन जारी रखे हुए है. भारतीय सेना ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की ओर से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास पूर्वी लद्दाख स्थित पैंगॉग त्सो झील में भारतीय क्षेत्र में अतिक्रमण करने के ताजा प्रयास को नाकाम करने के बारे में सोमवार को बयान दिया था. जिसके बाद चीन ने यह प्रतिक्रिया व्यक्त की थी.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने एक बयान में कहा कि चीन 29-30 अगस्त की देर रात पैंगॉग झील के दक्षिण तटीय क्षेत्र में अपने दांव-पेंच से सैन्य यथास्थिति को बदलने के प्रयास में लगा था. श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय सेना ने सोमवार को बताया था कि भारतीय पक्ष ने उसके इन भड़काऊ कार्रवाइयों का जवाब दिया और एलएसी से लगे इलाके में हमारे हितों की रक्षा और राष्ट्रीय अखंडता को बचाए रखने के लिए उचित रक्षात्मक उपाय किए.

इसके अलावा यहां तक कि 31 अगस्त को जब दोनों पक्षों के सैन्य कमांडर स्थिति को और बिगड़ने से रोकने के लिए मीटिंग कर रहे थे तब भी चीनी सैनिक फिर से उकसाने वाली कार्रवाई में लगे थे. समय पर रक्षात्मक कार्रवाई हो जाने की वजह से भारतीय पक्ष यथास्थिति को एकतरफा बदलने से रोकने में सक्षम हो पाया.

भारत उकसा रहा- चीनी दूतावास

विदेश मंत्रालय का यह बयान तब आया जब नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास के प्रवक्ता जी रोंग ने आरोप लगाया गया कि भारतीय सैनिकों ने पिछले बहु-स्तरीय बातचीत और उसके बाद चीन व भारत के बीच बनी आम सहमति को धता बता पैंगॉग त्सो झील के दक्षिणी तट पर और चीन-भारत सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में रेकिन दर्रे के पास अवैध रूप से वास्तविक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन किया और खुलेआम उकसाने का काम किया, जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में फिर से तनाव बढ़ गया.

भारत के इस कदम से चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का घोर उल्लंघन हुआ है. भारत की ओर से दोनों देशों के बीच के समझौतों, प्रोटोकॉल और महत्वपूर्ण आम सहमति का गंभीर उल्लंघन हुआ है. साथ ही चीन-भारत सीमा क्षेत्रों में शांति और शांतचित्तता को गंभीर नुकसान पहुंचाया गया है. भारत ने जो किया है वह वास्तविक स्थिति को समान्य करने और मामले को ठंडा करने के लिए दोनों पक्षों की ओर से किए जा रहे प्रयासों के बिल्कुल उलट है और चीन इसका दृढ़ता से विरोध करता है.

भारतीय सेना ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा था कि पीएलए के सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध के दौरान सैन्य और राजनयिक स्तर पर पिछले दिनों बातचीत के दौरान बनी आम सहमति का उल्लंघन किया और यथास्थिति को बदलने के लिए उकसाने वाली सैन्य गतिविधियों को अंजाम दिया.

क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए भी समान रूप से दृढ़

सेना के बयान में कहा गया है कि भारतीय सैनिकों ने दक्षिणी तट पर पैंगॉग त्सो झील पर पीएलए गतिविधियों को रोककर पहले वाली स्थिति कायम की, हमारी स्थिति को मजबूत करने और जमीनी तथ्यों को एकतरफा बदलने के चीनी इरादों को विफल करने के लिए कदम उठाए. भारतीय सेना बातचीत के जरिए शांति और शांतचित्तता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए भी समान रूप से दृढ़ है.

इस साल जून में गलवान घाटी में खूनी संघर्ष के परिणामस्वरूप 45 वर्षों में एलएसी पर पहली बार दोनों पक्षों के जवानों की जान गई. उसके बाद लद्दाख में हालात को सामान्य करने के लिए बनी आम सहमति की पीएलए की ओर से उल्लंघन के बाद भारत और चीन के बीच नया तनाव पैदा हो गया है.

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बीजिंग में मंगलवार को एक नियमित मीडिया ब्रीफिंग में आरोप लगाया गया कि भारतीय सैनिकों ने पैंगॉग त्सो झील और रेकिन पर्वत के दक्षिणी तट पर एलएसी का अवैध रूप से अतिक्रमण किया.

तनाव और जटिलता की स्थिति और बढ़ सकती है

हुआ ने कहा कि चीन मांग करता है कि भारतीय पक्ष अपने उकसावे को बंद करे और जो अवैध रूप से एलएसी का अतिक्रमण किए हैं अपने उन सीमाई सैनिकों को तत्काल वापस ले. साथ ही वैसी किसी भी कार्रवाई को तुरंत रोक दे जिनसे तनाव और जटिलता की स्थिति और बढ़ सकती है.

इसके अलावा चीन सरकार से जुड़े अंग्रेजी दैनिक ग्लोबल टाइम्स ने भी मंगलवार को ‘चीन को भारत के अवसरवादी कदम का पूरी तरह विरोध करना चाहिए’ शीर्षक से एक संपादकीय लिखा है. उसमें यह दावा करते हुए कि भारत ने ‘एक भड़काऊ उत्तेजक कदम’ उठाया जिससे चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का गंभीर रूप से उल्लंघन हुआ. इसने चीन-भारत के सीमा क्षेत्र में शांति और स्थिरता को कम किया.

यह बताते हुए कि चीन-भारत सीमा क्षेत्र में चीन को सैन्य संघर्ष के लिए अपनी सेना को तैयार करने की जरूरत है, अखबार ने दोनों पक्षों के बीच शांतिपूर्ण साधनों के माध्यम से टकराव के मुद्दों का हल करने का भी आह्वान किया है.

संपादकीय में कहा गया है कि, लेकिन जब भारत बिना विचार किए चीन को चुनौती देता है तो चीन को नरम नहीं पड़ना चाहिए. ऐसा आवश्यक होने पर सैन्य कार्रवाई कर जीत सुनिश्चित करनी चाहिए. यह कहते हुए कि चीन भारत की तुलना में कई गुना ज्यादा मजबूत है और भारत का चीन से कोई मुकाबला नहीं है. उसने लिखा है कि हमें भारत के किसी भी भ्रम को तोड़ना होगा कि वह अमेरिका जैसे अन्य शक्तियों के साथ मिलकर हमसे टकराव करके निपट सकता है. एशिया और विश्व इतिहास ने हमें बताया है कि अवसरवाद का लाभ उठाने के लिए जो कोई भी उत्सुक है वह कमजोर को धमकाता है जबकि मजबूत से डरता है. जब चीन-भारत सीमा मुद्दे की बात आती है तो भारत एक विशेष अवसरवादी हो जाता है.

दोनों देशों के बीच के प्रोटोकॉल का स्पष्ट उल्लंघन

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता श्रीवास्तव ने अपने बयान में कहा कि दोनों पक्षों के विशेष प्रतिनिधि के रूप में विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी इस बात पर सहमत हुए थे कि स्थिति को ज़िम्मेदार तरीके से संभाला जाना चाहिए और किसी भी पक्ष को भड़काऊ कार्रवाई या मामलों की गंभीरता को और बढ़ाने वाली कार्रवाई नहीं करनी चाहिए. इसके साथ ही द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार शांति और शांतचित्तता सुनिश्चित करनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि एलएसी के साथ इस साल की शुरुआत से ही चीनी पक्ष की कार्रवाई और व्यवहार द्विपक्षीय समझौतों और सीमा पर शांति और शांतचित्तता सुनिश्चित करने के दोनों देशों के बीच के प्रोटोकॉल का स्पष्ट उल्लंघन है. ऐसा करना विशेष प्रतिनिधियों के रूप में दो विदेश मंत्रियों के बीच बनी समझ का भी पूरी तरह से तिरस्कार है.

श्रीवास्तव ने कहा कि भारत ने हालिया भड़काऊ एवं आक्रामक कार्रवाइयों का मामला कूटनीतिक और सैन्य दोनों माध्यमों से चीन के साथ उठाया है और बीजिंग से इस तरह की उत्तेजक कार्रवाई करने से रोकने के लिए अपने अग्रिम पंक्ति के सैनिकों को अनुशासित और नियंत्रित करने का आग्रह किया है.

उन्होंने कहा कि भारतीय पक्ष शांतिपूर्ण बातचीत के माध्यम से पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी के साथ सभी बकाया मुद्दों को हल करने के लिए दृढ़ता के साथ प्रतिबद्ध है.

इस संदर्भ में हमें उम्मीद है कि चीनी पक्ष ईमानदारी से पहले से बनी सहमति पर समझदारी से पालन करेगा और स्थिति को सुलझाने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और शांतचित्तता बहाल करने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करेगा.

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