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चीन हमें 1962 की सेना समझने की भूल न करे : लेफ्टिनेंट जनरल नरवाने

पूर्वी सेना के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एमएम नरवाने ने कहा है कि चीन को अब इस बात को समझना चाहिए कि भारतीय सेना अब 1962 वाली सेना नही है. साथ ही उन्होंने कहा है भारत की पाकिस्तान की धमकी से डरने वाला नहीं है.

एम एम निरवाने
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Published : Aug 27, 2019, 8:44 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 12:33 PM IST

कोलकाता: पूर्वी सेना के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एमएम नरवाने ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा है कि हम वो सेना नहीं हैं जो 1962 में थी. अब भारत बहुत आगे निकल चुका है.साथ उन्होने पाकिस्तान को जवाब देते हुए कहा है कि भारत पाकिस्तान की धमकियों से नहीं डरता है.

लेफ्टिनेंट जनरल एमएम नरवाने ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान परमाणु धमकी देना जारी रखे लेकिन भारत ऐसी धमकियों से भयभीत नहीं होगा.

नरवाने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की उस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे जो उन्होंने सोमवार को देश के नाम संबोधन में दोनों देशों की परमाणु क्षमताओं को लेकर की थी.

प्रेस वार्ता करते सेना प्रमुख

लेफ्टिनेंट जनरल नरवाने ने यहां भारत चैंबर आफ कॉमर्स में ‘डिफेंडिंग आवर बार्डर्स विषय पर एक चर्चा के दौरान कहा कि वो परमाणु धमकी देना जारी रख सकते हैं, हम उससे नहीं डरते.

बता दें कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को भारत द्वारा समाप्त करने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक में भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की किसी भी संभावना को स्पष्ट तौर पर खारिज किया था.

हालांकि, खान ने कहा था कि वह कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र महासभा सहित सभी अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाएंगे.

उन्होंने कहा था, क्या ये बड़े देश केवल अपने आर्थिक हितों को ही देखते रहेंगे? उन्हें याद रखना चाहिए कि दोनों देशों के पास परमाणु हथियार हैं.

नरवाने ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने पर कहा कि अनुच्छेद 370 के अधिकतर खंड इसलिए समाप्त कर दिये गए क्योंकि इसकी उपयोगिता समाप्त हो गई थी.

उन्होंने कहा कि यह सही नहीं है कि जम्मू कश्मीर के लोग परिवर्तन का स्वागत नहीं कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि अब दो हिस्सों में बंटे प्रदेश में से 55 प्रतिशत में लद्दाख है.

उन्होंने कहा, कश्मीर के हिस्से में, केवल पांच जिले हैं जो कि अशांति (गत वर्षों में घाटी में आतंकवाद के लिए) के लिए जिम्मेदार हैं, तो क्या केवल पांच जिले पूरे देश को बंधक बनाकर रखेंगे.

वहीं, चीन को लेकर नरवाने ने कहा है कि अब हम 1962 वाली सेना नहीं है. अगर चीन हमसे कहता है कि , 'इतिहास मत भूलना', तो हम उन्हें यह बता देंगे कि सेना की सभी यूनिटस ने 1962 में अच्छी तरह से लड़ाई लड़ी, सेना ने अपने निर्धारित कार्यों को पूरा किया.

उन्होंने कहा कि मैं 1962 को सेना पर काले धब्बे के रूप में नहीं देखता हूं. हमने इससे बहुत कुछ सीखा है.

उन्होंने कहा कि सेना ने वास्तविक नियंत्रण सीमा पर दबंग की तरह काम किया है.

पढ़ें- पुलवामा में आतंकियों ने दो को किया अगवा, एक की हत्या, दूसरा लापता

सेना प्रमुख ने आगे कहा कि वो चीन ही था जो डोकलाम गतिरोध में बिना तैयारी के आया था. वो सोच रहे थे हम उनकी धमकियों से डर कर पीछे हट जाएंगे. उन्होंने 1962 के युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि 1962 में भारत को मिली हार सेना की हार नहीं थी बल्कि एक राजनीतिक हार थी. क्योंकि उस युद्ध में सेना ने एक साथ डटकर जंग लड़ी थी.

इस बात से पता चलता है कि हम किसी भी खतरे को उठाने में सक्षम हैं.

(एक्सट्रा इनपुट पीटीआई)

कोलकाता: पूर्वी सेना के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एमएम नरवाने ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा है कि हम वो सेना नहीं हैं जो 1962 में थी. अब भारत बहुत आगे निकल चुका है.साथ उन्होने पाकिस्तान को जवाब देते हुए कहा है कि भारत पाकिस्तान की धमकियों से नहीं डरता है.

लेफ्टिनेंट जनरल एमएम नरवाने ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान परमाणु धमकी देना जारी रखे लेकिन भारत ऐसी धमकियों से भयभीत नहीं होगा.

नरवाने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की उस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे जो उन्होंने सोमवार को देश के नाम संबोधन में दोनों देशों की परमाणु क्षमताओं को लेकर की थी.

प्रेस वार्ता करते सेना प्रमुख

लेफ्टिनेंट जनरल नरवाने ने यहां भारत चैंबर आफ कॉमर्स में ‘डिफेंडिंग आवर बार्डर्स विषय पर एक चर्चा के दौरान कहा कि वो परमाणु धमकी देना जारी रख सकते हैं, हम उससे नहीं डरते.

बता दें कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को भारत द्वारा समाप्त करने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक में भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की किसी भी संभावना को स्पष्ट तौर पर खारिज किया था.

हालांकि, खान ने कहा था कि वह कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र महासभा सहित सभी अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाएंगे.

उन्होंने कहा था, क्या ये बड़े देश केवल अपने आर्थिक हितों को ही देखते रहेंगे? उन्हें याद रखना चाहिए कि दोनों देशों के पास परमाणु हथियार हैं.

नरवाने ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने पर कहा कि अनुच्छेद 370 के अधिकतर खंड इसलिए समाप्त कर दिये गए क्योंकि इसकी उपयोगिता समाप्त हो गई थी.

उन्होंने कहा कि यह सही नहीं है कि जम्मू कश्मीर के लोग परिवर्तन का स्वागत नहीं कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि अब दो हिस्सों में बंटे प्रदेश में से 55 प्रतिशत में लद्दाख है.

उन्होंने कहा, कश्मीर के हिस्से में, केवल पांच जिले हैं जो कि अशांति (गत वर्षों में घाटी में आतंकवाद के लिए) के लिए जिम्मेदार हैं, तो क्या केवल पांच जिले पूरे देश को बंधक बनाकर रखेंगे.

वहीं, चीन को लेकर नरवाने ने कहा है कि अब हम 1962 वाली सेना नहीं है. अगर चीन हमसे कहता है कि , 'इतिहास मत भूलना', तो हम उन्हें यह बता देंगे कि सेना की सभी यूनिटस ने 1962 में अच्छी तरह से लड़ाई लड़ी, सेना ने अपने निर्धारित कार्यों को पूरा किया.

उन्होंने कहा कि मैं 1962 को सेना पर काले धब्बे के रूप में नहीं देखता हूं. हमने इससे बहुत कुछ सीखा है.

उन्होंने कहा कि सेना ने वास्तविक नियंत्रण सीमा पर दबंग की तरह काम किया है.

पढ़ें- पुलवामा में आतंकियों ने दो को किया अगवा, एक की हत्या, दूसरा लापता

सेना प्रमुख ने आगे कहा कि वो चीन ही था जो डोकलाम गतिरोध में बिना तैयारी के आया था. वो सोच रहे थे हम उनकी धमकियों से डर कर पीछे हट जाएंगे. उन्होंने 1962 के युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि 1962 में भारत को मिली हार सेना की हार नहीं थी बल्कि एक राजनीतिक हार थी. क्योंकि उस युद्ध में सेना ने एक साथ डटकर जंग लड़ी थी.

इस बात से पता चलता है कि हम किसी भी खतरे को उठाने में सक्षम हैं.

(एक्सट्रा इनपुट पीटीआई)

Last Updated : Sep 28, 2019, 12:33 PM IST
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