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एलएसी विवाद : चीनी सेना ने ठंड से बचने के लिए बनाए थर्मल शेल्टर

चीनी सेना पूर्वी लद्दाख में एलसीए पर सैनिकों के रहने के लिए लगातार इंजताम करने में जुटा है. इसी क्रम में चीन ने एलएसी पर अग्रिम मोर्चों पर थर्मल शेल्टर स्थापित किया है. सभी सुविधाओं से लैस यह शेल्टर माइनस 55 डिग्री सेल्सियस से भी कम तापमान और 5,500 मीटर की ऊंचाई पर काम कर सकते हैं. पढ़ें वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

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थर्मल शेल्टर
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Published : Oct 8, 2020, 9:43 PM IST

नई दिल्ली : चीन की युद्ध रणनीति में, मास्टर सैन्य रणनीतिकार सन त्जु (Sun Tzu) का प्रमुख स्थान है. अपने सिद्धांतों के पालन में, चीनी सेना (पीएलए) ने भारत के खिलाफ एक मनोवैज्ञानिक युद्ध को जीत लिया है, जो भारत की सेना के मनोबल को गिराने के लिए चीनी सैन्य क्षमताओं को उजागर करने और डींग मारने पर केंद्रित है.

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अप्रैल-मई से चल रहा गतिरोध खिंचता चला जा रहा है. कठोर सर्दी होने के बावजूद दोनों देशों की सेनाओं के बीच सुलह के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं.

इन सबके बीच दोनों सेनाओं को जो बात परेशान कर रही है वह है- रसद और बुनियादी ढांचा, क्योंकि बर्फबारी के कारण रास्ते बंद होने से रसद की आपूर्ति काफी चुनौतीपूर्ण होगी.

अत्यधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर तैनात सैनिकों के लिए गर्म भोजन ले जाने वाले ड्रोन से लेकर सैन्य शस्त्रागार के लिए उच्च तकनीक कपड़े पहुंचाए जा रहे हैं.

चीनी सेना ने गुरुवार को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर कई अग्रिम मोर्चों पर तैयार किए गए अपने फैब्रिक थर्मल शेल्टर्स का प्रदर्शन किया.

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपनी वेबसाइट पर एक तस्वीर छापी है, जिसमें पीएलए सैनिकों के लिए तैयार किए गए थर्मल शेल्टर को दिखाया गया है. यह शेल्टर्स चीनी सैनिकों को ठंड से बचाएंगे.

ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, थर्मल शेल्टर्स को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि उन्हें सैनिकों की संख्या के अनुसार बढ़ाया और कम किया जा सकता है. इसमें सोने के कक्ष, कैंटीन, वॉशिंग रूम, शौचालय, गोदाम, माइक्रोग्रिड और हीटिंग उपकरण शामिल हैं, जो माइनस 55 डिग्री सेल्सियस से भी कम तापमान और 5,500 मीटर की ऊंचाई पर ठीक से काम कर सकते हैं.

लेकिन ऐसा कर, चीनी सेना अपनी मुख्य कमजोरियों को नजरअंदाज कर रही है, क्योंकि संघर्ष क्षेत्र में आराम की तलाश लड़ाई के अनुभव की कमी को दर्शाता है.

दूसरी ओर, भारतीय सेना के पास भारत-चीन सीमा पर सेवा करने वाले सैनिक हैं, जो सियाचिन में दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में तैनात किए गए हैं. जहां पूर्वी लद्दाख की तुलना में मौसम के तत्व अधिक प्रतिकूल हैं.

भारतीय सेना के लिए रसद और बुनियादी ढांचा से संबंधित सुविधाओं में पिछले कुछ वर्षों में तेजी से सुधार हुआ है.

भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच सोमवार को सातवें कोर कमांडर-स्तरीय बैठक होने वाली है. इससे पहले चीनी सेना की यह नई चाल गौर करने वाली है.

भले ही दोनों पक्ष सीमा पर सैनिकों और सामग्री की भारी तैनाती नहीं करने पर सहमत हुए हैं, लेकिन निचले इलाकों में भी हालात नियंत्रण से बाहर जाने के संकेत मिल रहे हैं.

यह भी पढ़ें- चीन ने डैम-इन्वेंटरी मैप में अरुणाचल के क्षेत्रों को किया शामिल

सीमा मुद्दे पर चीन की ताजा स्थिति बहुत सख्त दिख रही है, जिसमें क्षेत्र की बहाली की मांग करने वाली प्रतिगामी मांग को अपनाना शामिल है. चीन का यह कदम 1959 में चीनी प्रधानमंत्री चाउ एन लाई द्वारा एक पत्र में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के भेजे एकतरफा परिसीमन के आधार पर है.

नई दिल्ली : चीन की युद्ध रणनीति में, मास्टर सैन्य रणनीतिकार सन त्जु (Sun Tzu) का प्रमुख स्थान है. अपने सिद्धांतों के पालन में, चीनी सेना (पीएलए) ने भारत के खिलाफ एक मनोवैज्ञानिक युद्ध को जीत लिया है, जो भारत की सेना के मनोबल को गिराने के लिए चीनी सैन्य क्षमताओं को उजागर करने और डींग मारने पर केंद्रित है.

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अप्रैल-मई से चल रहा गतिरोध खिंचता चला जा रहा है. कठोर सर्दी होने के बावजूद दोनों देशों की सेनाओं के बीच सुलह के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं.

इन सबके बीच दोनों सेनाओं को जो बात परेशान कर रही है वह है- रसद और बुनियादी ढांचा, क्योंकि बर्फबारी के कारण रास्ते बंद होने से रसद की आपूर्ति काफी चुनौतीपूर्ण होगी.

अत्यधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर तैनात सैनिकों के लिए गर्म भोजन ले जाने वाले ड्रोन से लेकर सैन्य शस्त्रागार के लिए उच्च तकनीक कपड़े पहुंचाए जा रहे हैं.

चीनी सेना ने गुरुवार को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर कई अग्रिम मोर्चों पर तैयार किए गए अपने फैब्रिक थर्मल शेल्टर्स का प्रदर्शन किया.

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपनी वेबसाइट पर एक तस्वीर छापी है, जिसमें पीएलए सैनिकों के लिए तैयार किए गए थर्मल शेल्टर को दिखाया गया है. यह शेल्टर्स चीनी सैनिकों को ठंड से बचाएंगे.

ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, थर्मल शेल्टर्स को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि उन्हें सैनिकों की संख्या के अनुसार बढ़ाया और कम किया जा सकता है. इसमें सोने के कक्ष, कैंटीन, वॉशिंग रूम, शौचालय, गोदाम, माइक्रोग्रिड और हीटिंग उपकरण शामिल हैं, जो माइनस 55 डिग्री सेल्सियस से भी कम तापमान और 5,500 मीटर की ऊंचाई पर ठीक से काम कर सकते हैं.

लेकिन ऐसा कर, चीनी सेना अपनी मुख्य कमजोरियों को नजरअंदाज कर रही है, क्योंकि संघर्ष क्षेत्र में आराम की तलाश लड़ाई के अनुभव की कमी को दर्शाता है.

दूसरी ओर, भारतीय सेना के पास भारत-चीन सीमा पर सेवा करने वाले सैनिक हैं, जो सियाचिन में दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में तैनात किए गए हैं. जहां पूर्वी लद्दाख की तुलना में मौसम के तत्व अधिक प्रतिकूल हैं.

भारतीय सेना के लिए रसद और बुनियादी ढांचा से संबंधित सुविधाओं में पिछले कुछ वर्षों में तेजी से सुधार हुआ है.

भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच सोमवार को सातवें कोर कमांडर-स्तरीय बैठक होने वाली है. इससे पहले चीनी सेना की यह नई चाल गौर करने वाली है.

भले ही दोनों पक्ष सीमा पर सैनिकों और सामग्री की भारी तैनाती नहीं करने पर सहमत हुए हैं, लेकिन निचले इलाकों में भी हालात नियंत्रण से बाहर जाने के संकेत मिल रहे हैं.

यह भी पढ़ें- चीन ने डैम-इन्वेंटरी मैप में अरुणाचल के क्षेत्रों को किया शामिल

सीमा मुद्दे पर चीन की ताजा स्थिति बहुत सख्त दिख रही है, जिसमें क्षेत्र की बहाली की मांग करने वाली प्रतिगामी मांग को अपनाना शामिल है. चीन का यह कदम 1959 में चीनी प्रधानमंत्री चाउ एन लाई द्वारा एक पत्र में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के भेजे एकतरफा परिसीमन के आधार पर है.

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