नई दिल्ली: तिब्बत-अरुणाचल प्रदेश की सीमा के साथ अपने भूमिगत सैन्य अड्डे और बुनियादी ढांचे को उन्नत करने के लिये चीन नवीनतम पहल कर रहा है. इसे लेकर भारत के रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ सुबिमल भट्टाचार्य ने ईटीवी भारत से बातचीत की और इस मामले पर अपनी राय रखी.
रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ सुबिमल भट्टाचार्य ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, 'चीन अपने जमीन के बेस के साथ-साथ समुद्र के बेस को भी स्थापित करने की कोशिश कर रहा है. तिब्बत-अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास भूमिगत सैन्य सुविधाओं को स्थापित करने की कोशिश करने वाली चीनी सेना की नवीनतम रिपोर्टें चिंताजनक हैं.'
उन्होंने कहा कि भारत के प्रशासन को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए और किसी भी संभावित झड़पों को रोकने की कोशिश करनी चाहिए.
रिपोर्टें बताती हैं कि चीन अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारतीय सीमा की ओर, ल्हाका में अपनी भूमिगत सुविधाओं का उन्नयन कर रहा है.
रिपोर्टों से पता चलता है कि इस क्षेत्र में सुरंग बनाने की गतिविधि 2017 में शुरू हुई और पिछले साल अप्रैल से खुदाई पर ध्यान दिया गया.
यह भूमिगत सुविधा ल्होका में गोला-बारूद भंडारण के लिये हो सकती है.
'चीन कर रहा तिब्बत-अरुणाचल सीमा की ओर भुमिगत सुविधाओं का उन्नयन' - डोकलाम
तिब्बत-अरुणाचल प्रदेश की सीमा के साथ अपने भूमिगत सैन्य अड्डे और बुनियादी ढांचे को उन्नत करने की चीन की नवीनतम पहल को लेकर क्या है भारत के रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ सुबिमल की राय, जानें यहां...
नई दिल्ली: तिब्बत-अरुणाचल प्रदेश की सीमा के साथ अपने भूमिगत सैन्य अड्डे और बुनियादी ढांचे को उन्नत करने के लिये चीन नवीनतम पहल कर रहा है. इसे लेकर भारत के रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ सुबिमल भट्टाचार्य ने ईटीवी भारत से बातचीत की और इस मामले पर अपनी राय रखी.
रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ सुबिमल भट्टाचार्य ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, 'चीन अपने जमीन के बेस के साथ-साथ समुद्र के बेस को भी स्थापित करने की कोशिश कर रहा है. तिब्बत-अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास भूमिगत सैन्य सुविधाओं को स्थापित करने की कोशिश करने वाली चीनी सेना की नवीनतम रिपोर्टें चिंताजनक हैं.'
उन्होंने कहा कि भारत के प्रशासन को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए और किसी भी संभावित झड़पों को रोकने की कोशिश करनी चाहिए.
रिपोर्टें बताती हैं कि चीन अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारतीय सीमा की ओर, ल्हाका में अपनी भूमिगत सुविधाओं का उन्नयन कर रहा है.
रिपोर्टों से पता चलता है कि इस क्षेत्र में सुरंग बनाने की गतिविधि 2017 में शुरू हुई और पिछले साल अप्रैल से खुदाई पर ध्यान दिया गया.
यह भूमिगत सुविधा ल्होका में गोला-बारूद भंडारण के लिये हो सकती है.