नई दिल्ली : वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम 106 दिन बाद तिहाड़ जेल से रिहा हो गए हैं. सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद बुधवार को देर शाम उन्हें तिहाड़ जेल से रिहा किया गया.
तिहाड़ जेल से बाहर आने के बाद चिदंबरम ने कहा, ' मुकदमे के पूर्व 106 दिन तक अनावश्यक पूछताछ में मेरे खिलाफ एक भी आरोप तय नहीं किया जा सका.' फिलहाल उन्होंने यह भी कहा कि वह इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करना नहीं चाहते. हालांकि उन्होंने बताया कि वे गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे.
जेल से रिहाई के बाद चिदंबरम सीधे कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पहुंचे और उनसे मुलाकात की. समझा जाता है कि चिदंबरम गुरुवार से संसद की कार्यवाही में भी भाग लेंगे. उनके बेटे कार्ति ने यह जानकारी दी.
गौरतलब है कि आईएनएक्स मीडिया केस में चिदंबरम पिछले तीन महीनों से ज्यादा समय से तिहाड़ जेल में बंद थे. जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस हृषिकेष रॉय और जस्टिस एस बोपन्ना ने ये फैसला सुनाया. बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम की जेल से रिहाई पर उनका स्वागत करने के लिए कांग्रेस समर्थक तिहाड़ जेल के बाहर इकट्ठा हो गए.
चिदंबरम की रिहाई से पहले उनके समर्थक जेल के द्वार संख्या तीन के बाहर इकट्ठा हुए, जिससे उस क्षेत्र में यातायात बाधित हो गया.
चिदंबरम के बेटे कार्ति जेल के बाहर उनका इंतजार कर रहे थे. उन्होंने कहा कि वह खुश हैं क्योंकि उनके पिता 106 दिनों के बाद घर लौट रहे हैं.
कार्ति ने संवाददाताओं से कहा, 'लंबा इंतजार रहा. मैं उच्चतम न्यायालय का शुक्रगुजार हूं कि उसने उन्हें जमानत दी. मैं सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा समेत पूरे कांग्रेस नेतृत्व का आभारी हूं जिन्होंने हमारा सहयोग किया.'
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक चिदंबरम को जमानत के लिए दो लाख रुपये का निजी मुचलका भरना पड़ा. उच्चतम न्यायालय ने उन्हें इतनी ही राशि की दो जमानती बांड भी जमा करने का निर्देश दिया. चिदंबरम के देश से बाहर जाने पर भी रोक लगाई गई है.
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि कोर्ट ने काफी विस्तृत फैसला सुनाया है. उन्होंने बताया कि उच्चतम न्यायालय ने कई बिंदुओं पर विचार करने के बाद फैसला दिया है. इसमें भगोड़ा नहीं होना, सबूतों के साथ छेड़छाड़ न करना और इनक्वायरी में सहयोग न करना तीन अहम सवालों पर विचार किया गया है.
सिंघवी ने बताया कि चिदंबरम को पहले भी तीनों बिंदुओं पर निर्दोष पाया गया था. आज भी कोर्ट ने इस बात को माना है. उन्होंने फैसले को संतुलित करार दिया.
बुधवार को उच्चतम न्यायालय ने कहा कि पी.चिदंबरम को मिली जमानत का लाभ इस मामले का कोई अन्य आरोपी नहीं ले पाएगा. कोर्ट ने चिदंबरम के इस मामले के संबंध में मीडिया में साक्षात्कार देने या किसी तरह का बयान देने पर भी रोक लगाई है.
उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 15 नवंबर के आदेश को भी निरस्त कर दिया. इस आदेश में हाईकोर्ट ने पी.चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज कर दी थी.
बता दें कि सीबीआई ने चिदंबमर को आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था. वहीं प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें धनशोधन मामले में 16 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था.
इससे पहले मंगलवार शाम को प्रकाशित कॉज लिस्ट में आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामला सूचीबद्ध किया गया.
गौरतलब है कि इस केस की सुनवाई के दौरान कांग्रेस के इस 74 वर्षीय नेता चिदंबरम की जमानत अपील का विरोध किया गया था.
सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय की ओर से सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने दावा किया था कि पूर्व वित्त मंत्री हिरासत में होने के बावजूद महत्वपूर्ण गवाहों पर अपना 'प्रभाव' रखते हैं जबकि पूर्व वित्त मंत्री का कहना था कि जांच एजेन्सी इस तरह के निराधार आरोप लगाकर उनकी प्रतिष्ठा और करियर 'बर्बाद' नहीं कर सकती है.
चिदंबरम की जमानत याचिका का विरोध करते हुए मेहता ने कहा था कि धन शोधन जैसा अपराध गंभीर किस्म का है और यह सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था को ही नहीं प्रभावित करता बल्कि व्यवस्था के प्रति जनता के विश्वास को डगमगाता है.
मेहता का कहना था कि जांच के दौरान निदेशालय ने 12 बैंक खातों की पहचान की है जिनमें इस अपराध से मिली रकम जमा की गयी और एजेन्सी के पास ऐसी 12 संपत्तियों का भी ब्योरा है जिन्हें कई दूसरे देशों में खरीदा गया है.
प्रवर्तन निदेशालय ने दावा किया था कि चिदंबरम ने 'निजी लाभ' के लिये वित्त मंत्री के 'प्रभावशाली कार्यालय' का इस्तेमाल किया और इस अपराध की रकम को हड़प गये.
निदेशालय ने यह भी दावा किया था कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री होने की वजह से चिदंबरम बहुत ही चतुर और प्रभावशाली व्यक्ति हैं और इस समय उनकी उपस्थिति ही गवाहों को भयभीत करने के लिये काफी है.
चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि उन्हें 'अनुचित तरीके' से पिछले 99 दिन से सिर्फ इसलिए जेल में रखा गया है क्योंकि वह आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में मुख्य आरोपी कार्ति चिदंबरम के पिता हैं और इस मामले से उन्हें जोड़ने के लिये उनके खिलाफ 'एक भी साक्ष्य' नहीं है.
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चिदंबरम को पहली बार आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई ने 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था. इस मामले में उन्हें शीर्ष अदालत ने 22 अक्टूबर को जमानत दे दी थी.
इसी दौरान 16 अक्टूबर को प्रवर्तन निदेशालय ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले से मिली रकम से संबंधित धन शोधन के मामले में चिदंबरम को गिरफ्तार कर लिया. पूर्व वित्त मंत्री इस समय 11 दिसंबर तक के लिये न्यायिक हिरासत में हैं.
सीबीआई ने 15 मई, 2017 को एक मामला दर्ज किया था जिसमें आरोप था कि 2007 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड द्वारा आईएनएक्स मीडिया समूह को 305 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश प्राप्त करने की मंजूरी देने में अनियमितताएं हुयीं. इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी धन शोधन का मामला दर्ज किया.