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INX Media Case: चिदंबरम को मिली आंशिक राहत, फिलहाल नहीं जाएंगे तिहाड़ जेल

आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को सोमवार को उच्चतम न्यायालय से आंशिक राहत मिल गई. इस मामले में उन्हें फिलहाल तिहाड़ जेल नहीं भेजा जाएगा. पढ़ें पूरी खबर...

पी चिदंबरम
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Published : Sep 3, 2019, 8:11 AM IST

Updated : Sep 29, 2019, 6:16 AM IST

नई दिल्लीः तेजी से बदले घटनाक्रम में आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को सोमवार को उच्चतम न्यायालय से उस समय आंशिक राहत मिल गई जब शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में उन्हें फिलहाल तिहाड़ जेल नहीं भेजा जाएगा. इससे पहले, चिदंबरम ने उन्हें तिहाड़ जेल भेजने की बजाय घर में ही हिरासत में रखने की पेशकश की थी.

शीर्ष अदालत ने पहले अपराह्न करीब एक बजकर 40 मिनट पर निचली अदालत से कहा कि चिदंबरम की अंतरिम जमानत के अनुरोध पर आज ही विचार किया जाए और यदि उन्हें राहत नहीं दी जाती है तो उनकी सीबीआई हिरासत की अवधि तीन दिन के लिए बढ़ा दी जाएगी.

हालांकि, यह आदेश पारित करने के कुछ घंटों बाद सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले का अपराह्न करीब तीन बजे उल्लेख किया और कहा कि पहले पारित किए गए आदेश को लागू करने में अधिकार क्षेत्र की दिक्कतें आएंगी.

न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने तुषार मेहता की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने अपने आदेश में सुधार करते हुए चिदंबरम के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने और बाद में उन्हें सीबीआई की हिरासत में देने के निचली

अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की तारीख बृहस्पतिवार (पांच सितंबर) की बजाय मंगलवार (तीन सितंबर) कर दी.

शीर्ष अदालत ने मेहता द्वारा मौखिक रूप से किए गए उल्लेख पर अपने आदेश में सुधार किया. इससे पहले, मेहता ने कहा कि उनकी गणना के अनुसार चिदंबरम को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की 15 दिन की अवधि मंगलवार को पूरी हो जाएगी और

सीबीआई उन्हें तीन दिन के लिए और हिरासत में नहीं ले सकती है.

मेहता के कथन का संज्ञान लेते हुये पीठ ने कहा कि सीबीआई निचली अदालत से चिदंबरम को आज, मंगलवार तक पुलिस हिरासत में देने का अनुरोध करने के लिए स्वतंत्र है.

भोजनावकाश से पहले के सत्र में चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्ब्ल ने पीठ से कहा कि पूर्व मंत्री को गैर जमानती वारंट के आधार पर गिरफ्तार किया गया था और इसके बाद 12 दिन से वह सीबीआई की हिरासत में हैं. उन्होंने गैर जमानती

वारंट जारी करने और फिर कांग्रेस के नेता को सीबीआई की हिरासत में दिए जाने पर सवाल उठाए.

शीर्ष अदालत ने निचली अदालत से कहा था कि आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को अंतरिम जमानत देने के आग्रह पर आज ही विचार करे. इससे पहले चिदंबरम ने न्यायालय से कहा कि उन्हें न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल नहीं भेजा जाए बल्कि घर में ही नजरबंद कर दिया जाए.

शीर्ष अदालत ने कहा था कि यदि निचली अदालत सोमवार को ही चिदंबरम के अंतरिम जमानत के अनुरोध पर विचार नहीं करती है तो उनकी सीबीआई हिरासत की अवधि और तीन दिन के लिए बढ़ा दी जाएगी.

पीठ ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह निचली अदालत द्वारा चिदंबरम के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने और बाद में उन्हें जांच ब्यूरो की हिरासत में देने के आदेश को चुनौती देने के मामले में अपना जवाब दाखिल करे.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की सीबीआई हिरासत की अवधि आज खत्म हो रही है और उन्हें दिन में संबंधित निचली अदालत में पेश किया जाएगा.

सिब्बल ने कहा, 'मुझे (चिदंबरम) अंतरिम जमानत दी जाए या फिर घर में गिरफ्तार करके रखा जाये. उन्हें तिहाड़ जेल नहीं भेजा जाए. वह 74 साल के वृद्ध व्यक्ति हैं और पिछले 12 दिन से सीबीआई की हिरासत में हैं.'

इस पर पीठ ने सवाल किया, 'क्या उन्होंने (चिदंबरम) नियमित जमानत का अनुरोध किया है? इस पर सिब्बल ने कहा कि चिदंबरम सीबीआई की हिरासत में हैं और उन्होंने अभी तक नियमित जमानत के लिए आवेदन नहीं किया है.

सिब्बल ने कहा, 'उन्होंने (सीबीआई) मेरे (चिदंबरम) निवास पर रात के 12 बजे एक नोटिस चस्पा किया और मुझे दो घंटे के भीतर पेश होने के लिए कहा. इस नोटिस के सहारे ही उन्होंने गैर जमानती वारंट हासिल किया. न्यायालय से इस तथ्य को छिपाया

गया कि नोटिस के बाद सवेरे 1.10 पर हमने ईमेल के जरिए जवाब दिया था.' उन्होंने कहा कि हिरासत में देने का निचली अदालत का आदेश शीर्ष अदालत निरस्त कर सकती है.

सिब्बल ने कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा चिदंबरम की याचिका का निबटारा होने तक उन्हें अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए या फिर उन्हें गिरफ्तार करके घर में ही रखना चाहिए.

पीठ ने सिब्बल से कहा कि एक सक्षम अदालत इस मामले को देख रही है और चिदंबरम को हिरासत के आदेश को चुनौती देने का अधिकार है.

पढ़ें-सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस की सुनवाई का 17वां दिन, जानें पूरा विवरण

पीठ ने कहा कि हम क्यों नियमित अदालत और उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को लांघें. इस पर सिब्बल ने कहा कि वह इसके लिए न्यायालय को संतुष्ट करेंगे. उन्होंने कहा कि यह हतप्रभ करने वाला है कि सीबीआई ने इस व्यक्ति (चिदंबरम) के साथ यह सब किया है.

पीठ ने जब यह कहा कि चिदंबरम को नियमित जमानत के लिए आवेदन करना चाहिए तो सिब्बल ने सवाल किया, 'उन्हे तिहाड़ जेल क्यों भेजा जाना चाहिए?' उन्होंने कहा कि यदि चिदंबरम को तिहाड़ जेल भेज दिया गया तो शीर्ष अदालत में उनकी याचिका निरर्थक हो जाएगी.

पीठ ने जब सीबीआई से कहा कि वह चिदंबरम की याचिका पर जवाब दाखिल करे और इस मामले को पांच सितंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया तो सिब्बल ने कहा, 'उन्हें उस समय तक घर में ही गिरफ्तार रहने दीजिये. वह भाग नहीं रहे हैं. इस याचिका को निरर्थक मत होने दीजिए.'

पीठ ने जब यह कहा कि चिदंबरम के वकील निचली अदालत से अंतरिम राहत का अनुरोध कर सकते हैं तो सिब्बल ने कहा कि न्यायाधीश इसे अस्वीकार कर देंगे.

सिब्बल का कहना था, 'वे (सीबीआई) इस तरह से किसी व्यक्ति को अपमानित नहीं कर सकते.' उन्होंने कहा कि न्यायालय चिदंबरम की याचिका पर सुनवाई होने तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दे सकता है.

सीबीआई की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल के एम नटराज ने चिदंबरम को अंतरिम राहत देने का विरोध किया और कहा कि आरोपी यह नहीं कह सकता कि पुलिस हिरासत या न्यायिक हिरासत में भेजा जाए. उन्होंने कहा कि निचली अदालत

हिरासत के सवाल पर निर्णय करेगी और इसके लिए शीर्ष अदालत को कोई अंतरिम निर्देश पारित नहीं करना चाहिए.

पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'न्यायालय में दी गई दलीलों के मद्देनजर याचिकाकर्ता (चिदंबरम) को संबंधित अदालत में अंतरिम जमानत या पुलिस हिरासत की अवधि बढ़ाने अथवा किसी अन्य राहत , यदि कानून के अनुसार उपलब्ध हो, के लिए आवेदन की अनुमति दी जाती है.'

पीठ ने कहा, 'संबंधित अदालत अंतरिम जमानत/पुलिस हिरासत की अवधि बढ़ाने के याचिकाकर्ता के आवेदन पर विचार करके आज ही आदेश पारित करेगी. यदि अंतरिम जमानत देने /पुलिस हिरासत की अवधि बढ़ाने का अनुरोध अस्वीकार कर दिया जाता है तो संबंधित अदालत याचिकाकर्ता की पुलिस हिरासत की अवधि तीन दिन के लिए और बढ़ा देगी.'

बाद में सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले का उल्लेख किया. भोजनावकाश से पहले की कार्यवाही में वह शामिल नहीं हो सके क्योंकि वह उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन द्वारा अपने सदस्य और भाजपा नेता अरूण जेटली की स्मृति में आयोजित शोक सभा में वयस्त थे.

मेहता ने कहा, 'यदि मैं इसका विरोध नहीं करूं तो मैं किसी भी अन्य आम आदमी का विरोध नहीं कर सकूंगा जो हिरासत के आदेश को चुनौती देने के लिए सीधे शीर्ष अदालत में याचिका दायर करेगा.'

उन्होंने कहा कि 50 व्यक्ति अपनी हिरासत के आदेश को चुनौती देने के लिए कतार में हैं. आम नागरिक की स्वतंत्रता भी समान रूप से महत्वपूर्ण है.

सीबीआई ने वित्त मंत्री पी चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 में आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेश से 305 करोड़ का निवेश प्राप्त करने के लिए विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड की मंजूरी में कथित रूप से अनियमितताओं को लेकर 15 मई 2017 को प्राथमिकी दर्ज की थी.

(इनपुट- पीटीआई)

नई दिल्लीः तेजी से बदले घटनाक्रम में आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को सोमवार को उच्चतम न्यायालय से उस समय आंशिक राहत मिल गई जब शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में उन्हें फिलहाल तिहाड़ जेल नहीं भेजा जाएगा. इससे पहले, चिदंबरम ने उन्हें तिहाड़ जेल भेजने की बजाय घर में ही हिरासत में रखने की पेशकश की थी.

शीर्ष अदालत ने पहले अपराह्न करीब एक बजकर 40 मिनट पर निचली अदालत से कहा कि चिदंबरम की अंतरिम जमानत के अनुरोध पर आज ही विचार किया जाए और यदि उन्हें राहत नहीं दी जाती है तो उनकी सीबीआई हिरासत की अवधि तीन दिन के लिए बढ़ा दी जाएगी.

हालांकि, यह आदेश पारित करने के कुछ घंटों बाद सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले का अपराह्न करीब तीन बजे उल्लेख किया और कहा कि पहले पारित किए गए आदेश को लागू करने में अधिकार क्षेत्र की दिक्कतें आएंगी.

न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने तुषार मेहता की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने अपने आदेश में सुधार करते हुए चिदंबरम के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने और बाद में उन्हें सीबीआई की हिरासत में देने के निचली

अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की तारीख बृहस्पतिवार (पांच सितंबर) की बजाय मंगलवार (तीन सितंबर) कर दी.

शीर्ष अदालत ने मेहता द्वारा मौखिक रूप से किए गए उल्लेख पर अपने आदेश में सुधार किया. इससे पहले, मेहता ने कहा कि उनकी गणना के अनुसार चिदंबरम को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की 15 दिन की अवधि मंगलवार को पूरी हो जाएगी और

सीबीआई उन्हें तीन दिन के लिए और हिरासत में नहीं ले सकती है.

मेहता के कथन का संज्ञान लेते हुये पीठ ने कहा कि सीबीआई निचली अदालत से चिदंबरम को आज, मंगलवार तक पुलिस हिरासत में देने का अनुरोध करने के लिए स्वतंत्र है.

भोजनावकाश से पहले के सत्र में चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्ब्ल ने पीठ से कहा कि पूर्व मंत्री को गैर जमानती वारंट के आधार पर गिरफ्तार किया गया था और इसके बाद 12 दिन से वह सीबीआई की हिरासत में हैं. उन्होंने गैर जमानती

वारंट जारी करने और फिर कांग्रेस के नेता को सीबीआई की हिरासत में दिए जाने पर सवाल उठाए.

शीर्ष अदालत ने निचली अदालत से कहा था कि आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को अंतरिम जमानत देने के आग्रह पर आज ही विचार करे. इससे पहले चिदंबरम ने न्यायालय से कहा कि उन्हें न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल नहीं भेजा जाए बल्कि घर में ही नजरबंद कर दिया जाए.

शीर्ष अदालत ने कहा था कि यदि निचली अदालत सोमवार को ही चिदंबरम के अंतरिम जमानत के अनुरोध पर विचार नहीं करती है तो उनकी सीबीआई हिरासत की अवधि और तीन दिन के लिए बढ़ा दी जाएगी.

पीठ ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह निचली अदालत द्वारा चिदंबरम के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने और बाद में उन्हें जांच ब्यूरो की हिरासत में देने के आदेश को चुनौती देने के मामले में अपना जवाब दाखिल करे.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की सीबीआई हिरासत की अवधि आज खत्म हो रही है और उन्हें दिन में संबंधित निचली अदालत में पेश किया जाएगा.

सिब्बल ने कहा, 'मुझे (चिदंबरम) अंतरिम जमानत दी जाए या फिर घर में गिरफ्तार करके रखा जाये. उन्हें तिहाड़ जेल नहीं भेजा जाए. वह 74 साल के वृद्ध व्यक्ति हैं और पिछले 12 दिन से सीबीआई की हिरासत में हैं.'

इस पर पीठ ने सवाल किया, 'क्या उन्होंने (चिदंबरम) नियमित जमानत का अनुरोध किया है? इस पर सिब्बल ने कहा कि चिदंबरम सीबीआई की हिरासत में हैं और उन्होंने अभी तक नियमित जमानत के लिए आवेदन नहीं किया है.

सिब्बल ने कहा, 'उन्होंने (सीबीआई) मेरे (चिदंबरम) निवास पर रात के 12 बजे एक नोटिस चस्पा किया और मुझे दो घंटे के भीतर पेश होने के लिए कहा. इस नोटिस के सहारे ही उन्होंने गैर जमानती वारंट हासिल किया. न्यायालय से इस तथ्य को छिपाया

गया कि नोटिस के बाद सवेरे 1.10 पर हमने ईमेल के जरिए जवाब दिया था.' उन्होंने कहा कि हिरासत में देने का निचली अदालत का आदेश शीर्ष अदालत निरस्त कर सकती है.

सिब्बल ने कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा चिदंबरम की याचिका का निबटारा होने तक उन्हें अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए या फिर उन्हें गिरफ्तार करके घर में ही रखना चाहिए.

पीठ ने सिब्बल से कहा कि एक सक्षम अदालत इस मामले को देख रही है और चिदंबरम को हिरासत के आदेश को चुनौती देने का अधिकार है.

पढ़ें-सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस की सुनवाई का 17वां दिन, जानें पूरा विवरण

पीठ ने कहा कि हम क्यों नियमित अदालत और उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को लांघें. इस पर सिब्बल ने कहा कि वह इसके लिए न्यायालय को संतुष्ट करेंगे. उन्होंने कहा कि यह हतप्रभ करने वाला है कि सीबीआई ने इस व्यक्ति (चिदंबरम) के साथ यह सब किया है.

पीठ ने जब यह कहा कि चिदंबरम को नियमित जमानत के लिए आवेदन करना चाहिए तो सिब्बल ने सवाल किया, 'उन्हे तिहाड़ जेल क्यों भेजा जाना चाहिए?' उन्होंने कहा कि यदि चिदंबरम को तिहाड़ जेल भेज दिया गया तो शीर्ष अदालत में उनकी याचिका निरर्थक हो जाएगी.

पीठ ने जब सीबीआई से कहा कि वह चिदंबरम की याचिका पर जवाब दाखिल करे और इस मामले को पांच सितंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया तो सिब्बल ने कहा, 'उन्हें उस समय तक घर में ही गिरफ्तार रहने दीजिये. वह भाग नहीं रहे हैं. इस याचिका को निरर्थक मत होने दीजिए.'

पीठ ने जब यह कहा कि चिदंबरम के वकील निचली अदालत से अंतरिम राहत का अनुरोध कर सकते हैं तो सिब्बल ने कहा कि न्यायाधीश इसे अस्वीकार कर देंगे.

सिब्बल का कहना था, 'वे (सीबीआई) इस तरह से किसी व्यक्ति को अपमानित नहीं कर सकते.' उन्होंने कहा कि न्यायालय चिदंबरम की याचिका पर सुनवाई होने तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दे सकता है.

सीबीआई की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल के एम नटराज ने चिदंबरम को अंतरिम राहत देने का विरोध किया और कहा कि आरोपी यह नहीं कह सकता कि पुलिस हिरासत या न्यायिक हिरासत में भेजा जाए. उन्होंने कहा कि निचली अदालत

हिरासत के सवाल पर निर्णय करेगी और इसके लिए शीर्ष अदालत को कोई अंतरिम निर्देश पारित नहीं करना चाहिए.

पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'न्यायालय में दी गई दलीलों के मद्देनजर याचिकाकर्ता (चिदंबरम) को संबंधित अदालत में अंतरिम जमानत या पुलिस हिरासत की अवधि बढ़ाने अथवा किसी अन्य राहत , यदि कानून के अनुसार उपलब्ध हो, के लिए आवेदन की अनुमति दी जाती है.'

पीठ ने कहा, 'संबंधित अदालत अंतरिम जमानत/पुलिस हिरासत की अवधि बढ़ाने के याचिकाकर्ता के आवेदन पर विचार करके आज ही आदेश पारित करेगी. यदि अंतरिम जमानत देने /पुलिस हिरासत की अवधि बढ़ाने का अनुरोध अस्वीकार कर दिया जाता है तो संबंधित अदालत याचिकाकर्ता की पुलिस हिरासत की अवधि तीन दिन के लिए और बढ़ा देगी.'

बाद में सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले का उल्लेख किया. भोजनावकाश से पहले की कार्यवाही में वह शामिल नहीं हो सके क्योंकि वह उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन द्वारा अपने सदस्य और भाजपा नेता अरूण जेटली की स्मृति में आयोजित शोक सभा में वयस्त थे.

मेहता ने कहा, 'यदि मैं इसका विरोध नहीं करूं तो मैं किसी भी अन्य आम आदमी का विरोध नहीं कर सकूंगा जो हिरासत के आदेश को चुनौती देने के लिए सीधे शीर्ष अदालत में याचिका दायर करेगा.'

उन्होंने कहा कि 50 व्यक्ति अपनी हिरासत के आदेश को चुनौती देने के लिए कतार में हैं. आम नागरिक की स्वतंत्रता भी समान रूप से महत्वपूर्ण है.

सीबीआई ने वित्त मंत्री पी चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 में आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेश से 305 करोड़ का निवेश प्राप्त करने के लिए विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड की मंजूरी में कथित रूप से अनियमितताओं को लेकर 15 मई 2017 को प्राथमिकी दर्ज की थी.

(इनपुट- पीटीआई)

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Print Printपीटीआई-भाषा संवाददाता 19:34 HRS IST

आईएनएक्स मीडिया मामला: चिदंबरम को न्यायालय से मिली आंशिक राहत, फिलहाल तिहाड़ जेल नहीं जाएंगे

(अभिषेक अंशु और मनोहर लाल) 



नयी दिल्ली, दो सितबर (भाषा) तेजी से बदले घटनाक्रम में आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को सोमवार को उच्चतम न्यायालय से उस समय आंशिक राहत मिल गयी जब शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में उन्हें फिलहाल तिहाड़ जेल नहीं भेजा जायेगा। इससे पहले, चिदंबरम ने उन्हें तिहाड़ जेल भेजने की बजाय घर में ही हिरासत में रखने की पेशकश की ।



शीर्ष अदालत ने पहले अपराह्न करीब एक बजकर 40 मिनट पर निचली अदालत से कहा कि चिदंबरम की अंतरिम जमानत के अनुरोध पर आज ही विचार किया जाये और यदि उन्हें राहत नहीं दी जाती है तो उनकी सीबीआई हिरासत की अवधि तीन दिन के लिये बढ़ा दी जायेगी।



हालांकि, यह आदेश पारित करने के कुछ घंटों बाद सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले का अपराह्न करीब तीन बजे उल्लेख किया और कहा कि पहले पारित किये गये आदेश को लागू करने में अधिकार क्षेत्र की दिक्कतें आयेंगीं।



न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने तुषार मेहता की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने अपने आदेश में सुधार करते हुये चिदंबरम के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने और बाद में उन्हें सीबीआई की हिरासत में देने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की तारीख बृहस्पतिवार (पांच सितंबर) की बजाय मंगलवार (तीन सितंबर) कर दी।



शीर्ष अदालत ने मेहता द्वारा मौखिक रूप से किये गये उल्लेख पर अपने आदेश में सुधार किया। इससे पहले, मेहता ने कहा कि उनकी गणना के अनुसार चिदंबरम को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की 15 दिन की अवधि मंगलवार को पूरी हो जायेगी और सीबीआई उन्हें तीन दिन के लिये और हिरासत में नहीं ले सकती है।



मेहता के कथन का संज्ञान लेते हुये पीठ ने कहा कि सीबीआई निचली अदालत से चिदंबरम को मंगलवार तक पुलिस हिरासत में देने का अनुरोध करने के लिये स्वतंत्र है।



भोजनावकाश से पहले के सत्र में चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्ब्ल ने पीठ से कहा कि पूर्व मंत्री को गैर जमानती वारंट के आधार पर गिरफ्तार किया गया था और इसके बाद 12 दिन से वह सीबीआई की हिरासत में हैं। उन्होंने गैर जमानती वारंट जारी करने और फिर कांग्रेस के नेता को सीबीआई की हिरासत में दिये जाने पर सवाल उठाये।



शीर्ष अदालत ने निचली अदालत से कहा था कि आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को अंतरिम जमानत देने के आग्रह पर आज ही विचार करे। इससे पहले चिदंबरम ने न्यायालय से कहा कि उन्हें न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल नहीं भेजा जाये बल्कि घर में ही नजरबंद कर दिया जाये।



शीर्ष अदालत ने कहा था कि यदि निचली अदालत सोमवार को ही चिदंबरम के अंतरिम जमानत के अनुरोध पर विचार नहीं करती है तो उनकी सीबीआई हिरासत की अवधि और तीन दिन के लिये बढ़ा दी जायेगी।



पीठ ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह निचली अदालत द्वारा चिदंबरम के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने और बाद में उन्हें जांच ब्यूरो की हिरासत में देने के आदेश को चुनौती देने के मामले में अपना जवाब दाखिल करे।



कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की सीबीआई हिरासत की अवधि आज खत्म हो रही है और उन्हें दिन में संबंधित निचली अदालत में पेश किया जायेगा।



सिब्बल ने कहा, ‘‘मुझे (चिदंबरम) अंतरिम जमानत दी जाये या फिर घर में गिरफ्तार करके रखा जाये। उन्हें तिहाड़ जेल नहीं भेजा जाये। वह 74 साल के वृद्ध व्यक्ति हैं और पिछले 12 दिन से सीबीआई की हिरासत में हैं।’’ 



इस पर पीठ ने सवाल किया, ‘‘क्या उन्होंने (चिदंबरम) नियमित जमानत का अनुरोध किया है? इस पर सिब्बल ने कहा कि चिदंबरम सीबीआई की हिरासत में हैं और उन्होंने अभी तक नियमित जमानत के लिये आवेदन नहीं किया है।’ 



सिब्बल ने कहा, ‘‘उन्होंने (सीबीआई) मेरे (चिदंबरम) निवास पर रात के 12 बजे एक नोटिस चस्पा किया और मुझे दो घंटे के भीतर पेश होने के लिये कहा। इस नोटिस के सहारे ही उन्होंने गैर जमानती वारंट हासिल किया। न्यायालय से इस तथ्य को छिपाया गया कि नोटिस के बाद सवेरे 1.10 पर हमने ईमेल के जरिये जवाब दिया था।’’ उन्होंने कहा कि हिरासत में देने का निचली अदालत का आदेश शीर्ष अदालत निरस्त कर सकती है।



सिब्बल ने कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा चिदंबरम की याचिका का निबटारा होने तक उन्हें अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए या फिर उन्हें गिरफ्तार करके घर में ही रखना चाहिए।



पीठ ने सिब्बल से कहा कि एक सक्षम अदालत इस मामले को देख रही है और चिदंबरम को हिरासत के आदेश को चुनौती देने का अधिकार है।



पीठ ने कहा कि हम क्यों नियमित अदालत और उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को लांघें। इस पर सिब्बल ने कहा कि वह इसके लिये न्यायालय को संतुष्ट करेंगे। उन्होंने कहा कि यह हतप्रभ करने वाला है कि सीबीआई ने इस व्यक्ति (चिदंबरम) के साथ यह सब किया है।



पीठ ने जब यह कहा कि चिदंबरम को नियमित जमानत के लिये आवेदन करना चाहिए तो सिब्बल ने सवाल किया, ‘‘मुझे तिहाड़ जेल क्यों भेजा जाना चाहिए?‘‘ उन्होंने कहा कि यदि चिदंबरम को तिहाड़ जेल भेज दिया गया तो शीर्ष अदालत में उनकी याचिका निरर्थक हो जायेगी।



पीठ ने जब सीबीआई से कहा कि वह चिदंबरम की याचिका पर जवाब दाखिल करे और इस मामले को पांच सितंबर के लिये सूचीबद्ध कर दिया तो सिब्बल ने कहा, ‘‘उन्हें उस समय तक घर में ही गिरफ्तार रहने दीजिये। वह भाग नहीं रहे हैं। इस याचिका को निरर्थक मत होने दीजिये।’’ 



पीठ ने जब यह कहा कि चिदंबरम के वकील निचली अदालत से अंतरिम राहत का अनुरोध कर सकते हैं तो सिब्बल ने कहा कि न्यायाधीश इसे अस्वीकार कर देंगे।



सिब्बल का कहना था, ‘‘वे (सीबीआई) इस तरह से किसी व्यक्ति को अपमानित नहीं कर सकते।’’ उन्होंने कहा कि न्यायालय चिदंबरम की याचिका पर सुनवाई होने तक यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दे सकता है।



सीबीआई की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल के एम नटराज ने चिदंबरम को अंतरिम राहत देने का विरोध किया और कहा कि आरोपी यह नहीं कह सकता कि पुलिस हिरासत या न्यायिक हिरासत में भेजा जाये। उन्होंने कहा कि निचली अदालत हिरासत के सवाल पर निर्णय करेगी और इसके लिये शीर्ष अदालत को कोई अंतरिम निर्देश पारित नहीं करना चाहिए।



पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘न्यायालय में दी गयी दलीलों के मद्देनजर याचिकाकर्ता (चिदंबरम) को संबंधित अदालत में अंतरिम जमानत या पुलिस हिरासत की अवधि बढ़ाने अथवा किसी अन्य राहत , यदि कानून के अनुसार उपलब्ध हो, के लिये आवेदन की अनुमति दी जाती है।’’ 



पीठ ने कहा, ‘‘संबंधित अदालत अंतरिम जमानत/पुलिस हिरासत की अवधि बढ़ाने के याचिकाकर्ता के आवेदन पर विचार करके आज ही आदेश पारित करेगी। यदि अंतरिम जमानत देने /पुलिस हिरासत की अवधि बढ़ाने का अनुरोध अस्वीकार कर दिया जाता है तो संबंधित अदालत याचिकाकर्ता की पुलिस हिरासत की अवधि तीन दिन के लिये और बढ़ा देगी।’’ 



बाद में सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले का उल्लेख किया। भोजनावकाश से पहले की कार्यवाही में वह शामिल नहीं हो सके क्योंकि वह उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन द्वारा अपने सदस्य और भाजपा नेता अरूण जेटली की स्मृति में आयोजित शोक सभा में वयस्त थे।



मेहता ने कहा, ‘‘यदि मैं इसका विरोध नहीं करूं तो मैं किसी भी अन्य आम आदमी का विरोध नहीं कर सकूंगा जो हिरासत के आदेश को चुनौती देने के लिये सीधे शीर्ष अदालत में याचिका दायर करेगा।’’ 



उन्होंने कहा कि 50 व्यक्ति अपनी हिरासत के आदेश को चुनौती देने के लिये कतार में हैं। आम नागरिक की स्वतंत्रता भी समान रूप से महत्वपूर्ण है।



सीबीआई ने वित्त मंत्री पी चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 में आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेश से 305 करोड़ का निवेश प्राप्त करने के लिये विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड की मंजूरी में कथित रूप से अनियमितताओं को लेकर 15 मई 2017 को प्राथमिकी दर्ज की थी। 


Conclusion:
Last Updated : Sep 29, 2019, 6:16 AM IST
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