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TSRTC हड़ताल : केसीआर बोले - बर्खास्त नहीं किया, कर्मचारियों ने खुद छोड़ दी नौकरी

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Published : Oct 7, 2019, 11:32 PM IST

Updated : Oct 7, 2019, 11:51 PM IST

TSRTC कर्मचारियों की हड़ताल उलझती जा रही है. एक तरफ मजदूर संघों ने तेलंगाना सरकार को चुनौती देने का एलान कर डाला है. उन्होंने 48 हजार प्रदर्शनकारी कर्मचारियों को बर्खास्त करने को लेकर ये कदम उठाने का फैसला किया है. वहीं तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने यह बयान देकर मामला घुमा दिया है कि राज्य सरकार ने नहीं बल्कि कर्मचारियों ने खुद नौकरी छोड़ दी है। जानें क्या है पूरा मामला...

मुख्यमंत्री केसी राव

हैदराबाद : तेलंगाना राज्य पथ परिवहन निगम (TSRTC) के मजदूर संघों ने राज्य सरकार को चुनौती देने की बात कही है. मामला 48 हजार प्रदर्शनकारी कर्मचारियों को बर्खास्त करने से जुड़ा है. मजदूर संघों का कहना है कि वे राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देंगे.

सोमवार को हैदराबाद में मजदूर संघ के एक नेता ने कहा कि सरकारी की तरफ से जैसे-जैसे इनकी बर्खास्तगी या निलंबन के लिए कदम उठाया जाएगा, हम अदालत जाएंगे.

तेलंगाना मजदूर यूनियन के अध्यक्ष ई अश्वत्थामा रेड्डी ने हालांकि स्पष्ट किया कि प्रदर्शनकारी कर्मचारियों को सरकार या निगम प्रबंधन की तरफ से अभी तक बर्खास्तगी या निलंबन का कोई नोटिस नहीं मिला है.

रेड्डी ने बताया, '...देश में कानून है. हमें नियमों के मुताबिक नियुक्त किया गया है. वे हमें ऐसे ही नहीं हटा सकते.' उन्होंने कहा, 'यहां अदालतें हैं. अगर जरूरी हुआ तो हम अदालत जाएंगे.'

इसी बीच सीएम केसीआर ने 48 हजार कर्मचारियों को बर्खास्त करने की खबरों का खंडन किया है. उन्होंने कहा है कि जिन कर्मचारियों ने डेडलाइन के अंदर ड्यूटी ज्वाइन नहीं की, उन्होंने खुद ही नौकरी से अलग होने का रास्ता चुना है.

तेलंगाना के मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक तेलंगाना राज्य पथ परिवहन निगम (TSRTC) के पास सिर्फ 1200 कर्मचारी हैं, अन्य लोगों ने नौकरी छोड़ने का फैसला (opted out of their jobs) लिया है.

ये भी पढ़ें : तेलंगाना में ट्रेनर एयरक्राफ्ट दुर्घटनाग्रस्त, दो पायलटों की मौत

विज्ञप्ति में मुख्यमंत्री राव के हवाले से लिखा गया, राज्य परिवहन निगम (RTC) और सरकार के मुताबिक निगम में सिर्फ 1200 कर्मचारी हैं. सरकार को इन कर्मचारियों को बर्खास्त करने की कोई जरूरत नहीं है.

मुख्यमंत्री केसी राव के हवाले से लिखा गया है कि कर्मचारियों ने समय रहते (within the deadline) अपनी ड्यूटी ज्वाइन नहीं की, इसलिए ये माना गया है कि उन्होंने खुद की बर्खास्तगी चुनी (opted self-dismissal) है. उन्होंने RTC प्रबंधन और सरकार के अनुरोध का कोई जवाब नहीं दिया.

उनका यह बयान राज्य सरकार द्वारा अनिश्चितकालीन हड़ताल को 'अवैध' घोषित किये जाने और सरकार के साथ उनके विलय की मांग को खारिज किये जाने के एक दिन बाद आया है.

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने रविवार को कहा था कि जो कर्मचारी सरकार द्वारा तय समयसीमा (शनिवार शाम छह बजे) तक काम पर नहीं लौटेंगे, उन्हें वापस नहीं लिया जाएगा.

हड़ताली कर्मचारी निगम के सरकार में विलय और विभिन्न पदों पर नियुक्ति समेत कुछ अन्य मांगों को लेकर शुक्रवार आधी रात से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं.

(इनपुट- पीटीआई)

हैदराबाद : तेलंगाना राज्य पथ परिवहन निगम (TSRTC) के मजदूर संघों ने राज्य सरकार को चुनौती देने की बात कही है. मामला 48 हजार प्रदर्शनकारी कर्मचारियों को बर्खास्त करने से जुड़ा है. मजदूर संघों का कहना है कि वे राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देंगे.

सोमवार को हैदराबाद में मजदूर संघ के एक नेता ने कहा कि सरकारी की तरफ से जैसे-जैसे इनकी बर्खास्तगी या निलंबन के लिए कदम उठाया जाएगा, हम अदालत जाएंगे.

तेलंगाना मजदूर यूनियन के अध्यक्ष ई अश्वत्थामा रेड्डी ने हालांकि स्पष्ट किया कि प्रदर्शनकारी कर्मचारियों को सरकार या निगम प्रबंधन की तरफ से अभी तक बर्खास्तगी या निलंबन का कोई नोटिस नहीं मिला है.

रेड्डी ने बताया, '...देश में कानून है. हमें नियमों के मुताबिक नियुक्त किया गया है. वे हमें ऐसे ही नहीं हटा सकते.' उन्होंने कहा, 'यहां अदालतें हैं. अगर जरूरी हुआ तो हम अदालत जाएंगे.'

इसी बीच सीएम केसीआर ने 48 हजार कर्मचारियों को बर्खास्त करने की खबरों का खंडन किया है. उन्होंने कहा है कि जिन कर्मचारियों ने डेडलाइन के अंदर ड्यूटी ज्वाइन नहीं की, उन्होंने खुद ही नौकरी से अलग होने का रास्ता चुना है.

तेलंगाना के मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक तेलंगाना राज्य पथ परिवहन निगम (TSRTC) के पास सिर्फ 1200 कर्मचारी हैं, अन्य लोगों ने नौकरी छोड़ने का फैसला (opted out of their jobs) लिया है.

ये भी पढ़ें : तेलंगाना में ट्रेनर एयरक्राफ्ट दुर्घटनाग्रस्त, दो पायलटों की मौत

विज्ञप्ति में मुख्यमंत्री राव के हवाले से लिखा गया, राज्य परिवहन निगम (RTC) और सरकार के मुताबिक निगम में सिर्फ 1200 कर्मचारी हैं. सरकार को इन कर्मचारियों को बर्खास्त करने की कोई जरूरत नहीं है.

मुख्यमंत्री केसी राव के हवाले से लिखा गया है कि कर्मचारियों ने समय रहते (within the deadline) अपनी ड्यूटी ज्वाइन नहीं की, इसलिए ये माना गया है कि उन्होंने खुद की बर्खास्तगी चुनी (opted self-dismissal) है. उन्होंने RTC प्रबंधन और सरकार के अनुरोध का कोई जवाब नहीं दिया.

उनका यह बयान राज्य सरकार द्वारा अनिश्चितकालीन हड़ताल को 'अवैध' घोषित किये जाने और सरकार के साथ उनके विलय की मांग को खारिज किये जाने के एक दिन बाद आया है.

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने रविवार को कहा था कि जो कर्मचारी सरकार द्वारा तय समयसीमा (शनिवार शाम छह बजे) तक काम पर नहीं लौटेंगे, उन्हें वापस नहीं लिया जाएगा.

हड़ताली कर्मचारी निगम के सरकार में विलय और विभिन्न पदों पर नियुक्ति समेत कुछ अन्य मांगों को लेकर शुक्रवार आधी रात से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं.

(इनपुट- पीटीआई)

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PRI GEN NAT
.HYDERABAD MDS9
TL-RTC-STRIKE-CM
RTC stir: Not sacked, 48k employees opted out of jobs: KCR
Hyderabad, Oct 7 (PTI) Telangana Chief Minister
K Chandrasekhar Rao on Monday said the Government did not
dismiss any agitating employees as it is self-explanatory that
those who did not report for duty within the deadline
opted out of their jobs themselves.
         An official release issued by the chief minister's
office reiterated that as far as the Government or the
Telangana State Road Transport Corporation is concerned, there
are only 1,200 employees and the rest opted out of their jobs.
         "In the view of the Government and RTC, there are only
1200 employees. The government has no necessity to dismiss the
remaining employees.
          Since they have not joined their duties within the
deadline, it is assumed that they opted self-dismissal (self
dismissed).. they all left (jobs) by themselves. They did not
respond to the requests made by the RTC management or the
government," the release quoted Rao as saying.
          Different employees' and workers' unions of the TSRTC
began an indefinite strike on Friday midnight across Telangana
following a call given by the Joint Action Committee of the
corporation, demanding merger of the RTC with the government
and recruitment to various posts, among other things.
         Indicating itsfirmstand against thestrike, the
state government had earlier said the stir was illegal and set
6 pm on October 5 as deadline for the agitating employees to
report for duty.
         Barring those 1,200 who are recognised as employees of
the RTC, those who did not meet the deadline and "opted out"
of jobs, should not gather at bus depots and disrupt peace at
these depots, the release said.
         "I have ordered the DGP to keep special police force
at the bus depots and take stern action against those who
disturb peace," the chief minister said.
According to Rao, 10,400 busesare currently with the
Corporation and in future 50 per cent, 5200, will be owned by
the organisation, while 30 per cent will be taken on hire
model and rest 20 per cent allotted to private parties.
         Rao claimed that people of the state were appreciating
his action against the protesting employees.
Earlier, an union leader said trade bodies of
Telangana State Road Transport Corporation will challenge the
state government's decision to sack about 48,000 agitating
employees, as and when they are served with dismissal
or suspension notices.
Telangana Mazdoor Union president E Ashwathama Reddy,
however, clarified that the agitating workers have not
received any dismissal or suspension notice from the
government or the RTC management.PTI GDK
BN
BN
10072231
NNNN
Last Updated : Oct 7, 2019, 11:51 PM IST
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