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इंटरनेट की बुनियादी संरचना ऑनलाइन पठन-पाठन की दिशा में बढ़ने के लिए तैयार नहीं : रिपोर्ट

भारतीय इंटरनेट की बुनियादी संरचना ऑनलाइन पठन-पाठन की दिशा में बढ़ने के लिए अभी पूरी तरह तैयार प्रतीत नहीं होती. एक रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि ऑनलाइन कक्षाओं के समय छात्रों को सबसे ज्यादा कनेक्टिविटी और सिग्नल के मुद्दों का सामना करना पड़ता है.

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Published : Apr 21, 2020, 6:53 PM IST

नई दिल्ली : कोरोना वायरस के कारण उपजी परिस्थिति में भारतीय इंटरनेट की बुनियादी संरचना ऑनलाइन पठन-पाठन की दिशा में बढ़ने के लिए अभी पूरी तरह तैयार नहीं है. शैक्षिक संस्थानों की वैश्विक रैंकिग तैयार करने वाली संस्था क्वाकक्वारेल्ली सायमंड्स (क्यूएस) की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है.

'कोविड-19 : दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के लिए जागने का समय' शीर्षक वाली रिपोर्ट क्यूएस गौज द्वारा किए गए सर्वेक्षण पर आधारित है. भारत में कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की रैंकिंग तैयार करने वाली संस्था क्यूएस आई गुआज का नियंत्रण लंदन स्थित क्यूएस के पास है.

रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि ऑनलाइन कक्षाओं के समय छात्रों को सबसे ज्यादा कनेक्टिविटी और सिग्नल के मुद्दों का सामना करना पड़ता है.

रिपोर्ट के मुताबिक, 'सर्वेक्षण में उल्लेख किया गया है कि भारत में प्रौद्योगिकी की बुनियादी संरचना इतनी गुणवत्तापूर्ण नहीं हो पायी है कि देश भर में छात्रों को ऑनलाइन कक्षाएं आसानी से उपलब्ध करायी जा सके. ऐसा देखा गया है कि सरकारी और निजी क्षेत्र भी तकनीकी चुनौतियों से उबर नहीं पाए हैं. मसलन, पर्याप्त बिजली आपूर्ति और प्रभावी कनेक्टिविटी की दिक्कतें हैं.'

इसमें कहा गया, 'कोविड-19 के संक्रमण के कारण दुनिया कक्षाएं मुहैया कराने के लिए परंपरागत तरीकों से ऑनलाइन माध्यम की दिशा में आगे बढ़ रही है. लेकिन, समुचित आधारभूत संरचना के अभाव में पठन-पाठन के लिए ऑनलाइन माध्यम पर पूरी तरह निर्भरता दूर का ही सपना है.'

पढ़ें : कोरोना से जंग: अब हैप्पीनेस क्लास भी छात्रों को मिलेगी ऑनलाइन, जानिए शेड्यूल

रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वेक्षण में 7,600 से ज्यादा लोगों ने जवाब दिए. इसमें घर पर इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों के बारे में पता चला कि 72.60 प्रतिशत लोगों ने मोबाइल हॉटस्पॉट का उपयोग किया, 15 प्रतिशत ने ब्रॉडबैंड का, 9.68 प्रतिशत ने वाई-फाई डोंगल का उपयोग किया तथा 1.85 प्रतिशत के पास इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं थी.

रिपोर्ट में कहा गया, 'आंकड़ों से पता चला कि घरेलू ब्रॉडबैंड का इस्तेमाल करने वालों में तीन प्रतिशत से ज्यादा को केबल कटने की दिक्कतें हुईं, 53 प्रतिशत ने कमजोर कनेक्टिविटी का सामना किया, 11.47 प्रतिशत को बिजली से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा और 32 प्रतिशत लोग सिग्नल से ही जूझते रहे. मोबाइल हॉटस्पॉट की बात हो तो 40.18 प्रतिशत को कमजोर कनेक्टिविटी, 3.19 प्रतिशत को बिजली की दिक्कतों और 56.63 प्रतिशत को सिग्नल से जुड़ी दिक्कतें हुई.'

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन लागू है. ऐसे में देशभर में स्कूल और कॉलेज अभी बंद हैं.

नई दिल्ली : कोरोना वायरस के कारण उपजी परिस्थिति में भारतीय इंटरनेट की बुनियादी संरचना ऑनलाइन पठन-पाठन की दिशा में बढ़ने के लिए अभी पूरी तरह तैयार नहीं है. शैक्षिक संस्थानों की वैश्विक रैंकिग तैयार करने वाली संस्था क्वाकक्वारेल्ली सायमंड्स (क्यूएस) की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है.

'कोविड-19 : दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के लिए जागने का समय' शीर्षक वाली रिपोर्ट क्यूएस गौज द्वारा किए गए सर्वेक्षण पर आधारित है. भारत में कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की रैंकिंग तैयार करने वाली संस्था क्यूएस आई गुआज का नियंत्रण लंदन स्थित क्यूएस के पास है.

रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि ऑनलाइन कक्षाओं के समय छात्रों को सबसे ज्यादा कनेक्टिविटी और सिग्नल के मुद्दों का सामना करना पड़ता है.

रिपोर्ट के मुताबिक, 'सर्वेक्षण में उल्लेख किया गया है कि भारत में प्रौद्योगिकी की बुनियादी संरचना इतनी गुणवत्तापूर्ण नहीं हो पायी है कि देश भर में छात्रों को ऑनलाइन कक्षाएं आसानी से उपलब्ध करायी जा सके. ऐसा देखा गया है कि सरकारी और निजी क्षेत्र भी तकनीकी चुनौतियों से उबर नहीं पाए हैं. मसलन, पर्याप्त बिजली आपूर्ति और प्रभावी कनेक्टिविटी की दिक्कतें हैं.'

इसमें कहा गया, 'कोविड-19 के संक्रमण के कारण दुनिया कक्षाएं मुहैया कराने के लिए परंपरागत तरीकों से ऑनलाइन माध्यम की दिशा में आगे बढ़ रही है. लेकिन, समुचित आधारभूत संरचना के अभाव में पठन-पाठन के लिए ऑनलाइन माध्यम पर पूरी तरह निर्भरता दूर का ही सपना है.'

पढ़ें : कोरोना से जंग: अब हैप्पीनेस क्लास भी छात्रों को मिलेगी ऑनलाइन, जानिए शेड्यूल

रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वेक्षण में 7,600 से ज्यादा लोगों ने जवाब दिए. इसमें घर पर इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों के बारे में पता चला कि 72.60 प्रतिशत लोगों ने मोबाइल हॉटस्पॉट का उपयोग किया, 15 प्रतिशत ने ब्रॉडबैंड का, 9.68 प्रतिशत ने वाई-फाई डोंगल का उपयोग किया तथा 1.85 प्रतिशत के पास इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं थी.

रिपोर्ट में कहा गया, 'आंकड़ों से पता चला कि घरेलू ब्रॉडबैंड का इस्तेमाल करने वालों में तीन प्रतिशत से ज्यादा को केबल कटने की दिक्कतें हुईं, 53 प्रतिशत ने कमजोर कनेक्टिविटी का सामना किया, 11.47 प्रतिशत को बिजली से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा और 32 प्रतिशत लोग सिग्नल से ही जूझते रहे. मोबाइल हॉटस्पॉट की बात हो तो 40.18 प्रतिशत को कमजोर कनेक्टिविटी, 3.19 प्रतिशत को बिजली की दिक्कतों और 56.63 प्रतिशत को सिग्नल से जुड़ी दिक्कतें हुई.'

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन लागू है. ऐसे में देशभर में स्कूल और कॉलेज अभी बंद हैं.

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