नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सभी राज्य सरकारों से अपील की है कि वे स्वास्थ्य देखभाल पर अपना खर्च बढ़ाएं. उन्होंने कहा कि सरकारें अपने बजट का कम से कम 8 प्रतिशत स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च करें, जिससे राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के 2.5 प्रतिशत जीडीपी का लक्ष्य 2025 तक पाया जा सके.
डॉ. हर्षवर्धन ने गुरुवार को यहां केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण परिषद (CCHFW) के 13 वें सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा, 'यदि सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री एक लक्ष्य को लेकर साथ आ जाएं तो कोई भी कार्य असंभव नहीं होगा. मैंने सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों से अपील की है कि वे स्वास्थ्य देखभाल पर किया जाने वाला खर्च बढ़ाएं.' उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार स्वास्थ्य सेवा के लिए प्रतिबद्ध है.
डॉ. हर्षवर्धन ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों से टीबी और अन्य गंभीर बीमारियों को खत्म करने में भी सहयोग की अपील की. हालांकि, CCHFW कार्यक्रम के दौरान भारत में अंधेपन, मातृत्व और नवजात की मृत्यु के साथ-साथ असमय आत्महत्या की घटनाओं जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई.
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गौरतलब है कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा संकलित एक सर्वेक्षण के अनुसार, अंधापन, मध्यम गंभीर दृश्य हानि और दृश्य हानि में कमी आयी है.
आपको बता दें, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत में वर्ष 2010 के लिए अंधापन, मध्यम गंभीर दृश्य हानि और दृश्य हानि के लिए क्रमशः 0.68 प्रतिशत, 4.62 प्रतिशत और 5.30 प्रतिशत का अनुमान लगाया था. हालांकि, एक मौजूदा सर्वेक्षण में अंधापन में बेसलाइन स्तर की तुलना में 47.1 प्रतिशत, मध्यम गंभीर दृश्य हानि में 52.6 प्रतिशत और दृश्य हानि में 51.9 प्रतिशत की कमी देखी गई है.
सर्वेक्षण में कहा गया है, 'दृश्य हानि में 25 प्रतिशत की कमी का लक्ष्य भारत ने प्राप्त किया है.'
मीडिया से बात करते हुए. डॉ. हर्षवर्धन ने जानकारी दी कि, गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन) कार्यक्रम लॉंच किया गया है.
मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या पर बोलते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, मानसिक स्वास्थ्य सरकार की प्रथमिकता में है इस लिए पांच साल पहले इपर नीति बनाई गई है. 2018 ने नेशनल मेंटल हेल्थ ऐक्ट लाया गया, जिसके बाद पूरे देश में मानसिक स्वास्थ्य सुविधाएं सुद्रिण की जा रही हैं. देश भर के प्राधमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मानसिक स्वास्थ्य संबंधिस सुविधाएं उप्लब्ध कराई जा रही हैं.
डॉ. हर्षवर्धन ने आगे कहा कि स्वास्थ्य को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक सामाजिक आंदोलन बनने की जरूरत है.