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केंद्र ने कोर्ट को बताया- नहीं की गई कीटाणुनाशक फॉगिंग की सिफारिश - कीटाणुनाशक फॉगिंग की सिफारिश नहीं

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट किया कि किसी भी अधिसूचना में ऐसी किसी भी कीटाणुनाशक फॉगिंग की सिफारिश नहीं की गई है जिससे किसी भी तरह का शारीरिक और मनोवैज्ञानिक असर पड़ता हो.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Sep 7, 2020, 5:13 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट किया कि उसकी किसी भी सूचना में लोगों या बाहरी वातावरण पर कीटाणुनाशक फॉगिंग की सिफारिश नहीं की गई है. केंद्र ने कीटाणुनाशक फॉगिंग पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली याचिका के जवाब में अपना हलफनामा प्रस्तुत किया. याचिका में कहा गया था कि वातावरण को कीटाणुरहित करने के उद्देश्य से कार्बनिक कीटाणुनाशक दवाओं का छिड़काव किया जाता है.

केंद्र ने हलफनामे में लिखा है कि राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने जनवरी, 2020 में स्वास्थ्य सुरक्षा सुविधाओं में संक्रमण निवारण और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय दिशानिर्देश जारी किए थे जिसमें, सैनिटाइजेशन के लिए प्रोटोकॉल का पालन किया जाना था. कीटाणुनाशक फॉगिंग नियमित रोगी देखभाल क्षेत्रों के लिए नहीं है.

साथ ही यह भी कहा गया कि ऑपेरशन थिएटरों में भी इसका कोई उपयोग नहीं है. क्योंकि व्यक्तियों के साथ यह संवेदनशील उपकरणों को भी नुकसान पहुंचा सकता है.

बाहरी वातावरण की सफाई के लिए मार्च में जारी की गई एडवाइजरी में भी कीटाणुनाशक छिड़काव पर जोर नहीं दिया गया. कार्यस्थलों में भी वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए मई और जून में जारी की गई एडवाइजरी में हाथों को बार-बार धोने की सलाह दी गई है, लेकिन कीटाणुनाशक छिड़काव की सलाह नहीं दी गई.

यह भी पढ़ें - कोविड-19 : बुजुर्गों के लिए उठाए कदमों का ब्योरा दें राज्य सरकारें


कुछ मीडिया रिपोर्टों में फॉगिंग दिखाने पर सरकार ने इसका संज्ञान लिया था और 8 अप्रैल को संयुक्त निगरानी समूह की बैठक बुलाई थी जिसमें, सिफारिश की गई थी कि किसी भी रासायनिक कीटाणुनाशक का छिड़काव शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से हानिकारक है. यह भी कहा गया कि यह त्वचा के लिए भी हानिकारक हो सकता है.

नई दिल्ली : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट किया कि उसकी किसी भी सूचना में लोगों या बाहरी वातावरण पर कीटाणुनाशक फॉगिंग की सिफारिश नहीं की गई है. केंद्र ने कीटाणुनाशक फॉगिंग पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली याचिका के जवाब में अपना हलफनामा प्रस्तुत किया. याचिका में कहा गया था कि वातावरण को कीटाणुरहित करने के उद्देश्य से कार्बनिक कीटाणुनाशक दवाओं का छिड़काव किया जाता है.

केंद्र ने हलफनामे में लिखा है कि राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने जनवरी, 2020 में स्वास्थ्य सुरक्षा सुविधाओं में संक्रमण निवारण और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय दिशानिर्देश जारी किए थे जिसमें, सैनिटाइजेशन के लिए प्रोटोकॉल का पालन किया जाना था. कीटाणुनाशक फॉगिंग नियमित रोगी देखभाल क्षेत्रों के लिए नहीं है.

साथ ही यह भी कहा गया कि ऑपेरशन थिएटरों में भी इसका कोई उपयोग नहीं है. क्योंकि व्यक्तियों के साथ यह संवेदनशील उपकरणों को भी नुकसान पहुंचा सकता है.

बाहरी वातावरण की सफाई के लिए मार्च में जारी की गई एडवाइजरी में भी कीटाणुनाशक छिड़काव पर जोर नहीं दिया गया. कार्यस्थलों में भी वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए मई और जून में जारी की गई एडवाइजरी में हाथों को बार-बार धोने की सलाह दी गई है, लेकिन कीटाणुनाशक छिड़काव की सलाह नहीं दी गई.

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कुछ मीडिया रिपोर्टों में फॉगिंग दिखाने पर सरकार ने इसका संज्ञान लिया था और 8 अप्रैल को संयुक्त निगरानी समूह की बैठक बुलाई थी जिसमें, सिफारिश की गई थी कि किसी भी रासायनिक कीटाणुनाशक का छिड़काव शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से हानिकारक है. यह भी कहा गया कि यह त्वचा के लिए भी हानिकारक हो सकता है.

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