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केंद्र ने न्यायालय से कहा - अनुच्छेद 35A भेदभावपूर्ण और विकास में बाधक था

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 35 ए को समाप्त करने को लेकर अपना जवाब सौंपा. सरकार की तरफ से कहा गया कि अनुच्छेद 35 ए जम्मू कश्मीर में सामाजिक और आर्थिक विकास में गंभीर बाधा था.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Nov 11, 2019, 11:52 PM IST

नई दिल्ली : अनुच्छेद 35 ए को समाप्त करने को सही ठहराते हुए केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि यह प्रावधान भेदभावपूर्ण था और सामाजिक-आर्थिक विकास में गंभीर बाधा था.

गौरतलब है कि अनुच्छेद 35 ए पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य के निवासियों को विशेष अधिकार प्रदान करता था. हालांकि, इसके तहत राज्य के बाहर के लोगों से विवाह करने वाली प्रदेश की महिलाओं से भेदभाव होता था.

गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव ज्ञानेश कुमार द्वारा शीर्ष अदालत में दायर हलफनामे में कहा गया है, 'विगत वर्षों में महसूस किया गया है कि यह व्यवस्था राज्य का अहित कर रही थी और आतंकवाद और अलगाववाद जैसी गंभीर समस्याओं में बड़ा योगदान दे रही थी.'

न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ विभिन्न याचिकाओं पर 14 नवंबर से सुनवाई करने वाली है, जिसमें अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को समाप्त करने के केंद्र के फैसले की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है.

पांच अगस्त को केंद्र द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को समाप्त करने के फैसले के परिणामस्वरूप अनुच्छेद 35 ए इतिहास बन गया.

राष्ट्रपति के आदेश के जरिये 1954 में भारत के संविधान में शामिल अनुच्छेद 35 ए जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को विशेषाधिकार प्रदान करता था और राज्य के बाहर के लोगों को कोई भी अचल संपत्ति खरीदने से रोकता था.

लिट्टे पर और 5 वर्षों के लिए प्रतिबंध की पुष्टि

यह राज्य की महिला को राज्य के बाहर के व्यक्ति से शादी करने पर संपत्ति अधिकारों से वंचित करता था. यह प्रावधान ऐसी महिलाओं के उत्तराधिकारियों पर भी लागू होता था.

हलफनामे में कहा गया है कि यह प्रावधान 'तत्कालीन राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एक गंभीर बाधा साबित हुआ.' हलफनामे में कहा गया है, 'इसने राज्य में निवेश को रोक दिया है और युवाओं के लिए रोजगार सृजन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है, जिसके परिणामस्वरूप अन्य विकास संकेतकों पर भी बुरा प्रभाव पड़ा.'

नई दिल्ली : अनुच्छेद 35 ए को समाप्त करने को सही ठहराते हुए केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि यह प्रावधान भेदभावपूर्ण था और सामाजिक-आर्थिक विकास में गंभीर बाधा था.

गौरतलब है कि अनुच्छेद 35 ए पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य के निवासियों को विशेष अधिकार प्रदान करता था. हालांकि, इसके तहत राज्य के बाहर के लोगों से विवाह करने वाली प्रदेश की महिलाओं से भेदभाव होता था.

गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव ज्ञानेश कुमार द्वारा शीर्ष अदालत में दायर हलफनामे में कहा गया है, 'विगत वर्षों में महसूस किया गया है कि यह व्यवस्था राज्य का अहित कर रही थी और आतंकवाद और अलगाववाद जैसी गंभीर समस्याओं में बड़ा योगदान दे रही थी.'

न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ विभिन्न याचिकाओं पर 14 नवंबर से सुनवाई करने वाली है, जिसमें अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को समाप्त करने के केंद्र के फैसले की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है.

पांच अगस्त को केंद्र द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को समाप्त करने के फैसले के परिणामस्वरूप अनुच्छेद 35 ए इतिहास बन गया.

राष्ट्रपति के आदेश के जरिये 1954 में भारत के संविधान में शामिल अनुच्छेद 35 ए जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को विशेषाधिकार प्रदान करता था और राज्य के बाहर के लोगों को कोई भी अचल संपत्ति खरीदने से रोकता था.

लिट्टे पर और 5 वर्षों के लिए प्रतिबंध की पुष्टि

यह राज्य की महिला को राज्य के बाहर के व्यक्ति से शादी करने पर संपत्ति अधिकारों से वंचित करता था. यह प्रावधान ऐसी महिलाओं के उत्तराधिकारियों पर भी लागू होता था.

हलफनामे में कहा गया है कि यह प्रावधान 'तत्कालीन राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एक गंभीर बाधा साबित हुआ.' हलफनामे में कहा गया है, 'इसने राज्य में निवेश को रोक दिया है और युवाओं के लिए रोजगार सृजन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है, जिसके परिणामस्वरूप अन्य विकास संकेतकों पर भी बुरा प्रभाव पड़ा.'

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SC-CENTRE-35A
Centre tells SC: Art 35A discriminatory, serious obstacle to development, fostered separatism and militancy
          New Delhi, Nov 11 (PTI) Justifying the abrogation of Article 35A, which accorded special rights and privileges to natives of erstwhile state of Jammu and Kashmir, the Centre has told the Supreme Court that the provision was discriminatory especially against women marrying outsiders and a serious obstacle to the socio-economic development.
          It has been felt, over the years, that this regime has worked to the detriment of the state and has significantly contributed to the grave problems of "terrorism, militancy and separatism which plague it", an affidavit filed in the apex court by Gyanesh Kumar, Additional Secretary of the Ministry of Home Affairs, said.
          A five-judge Constitution bench headed by Justice N V Ramana is all set to commence hearing from November 14 on a batch of petitions challenging constitutional validity of the Centre's decision to abrogate the provisions of Article 370.
          Article 35A became history on August 5 as a consequence of the Centre's decision to abrogate the provisions of Article 370 which had given special status to the erstwhile Jammu and Kashmir.
          Incorporated in the Constitution by a 1954 Presidential Order, it accords special rights and privileges to the citizens of Jammu and Kashmir and bars people from outside the state from acquiring any immovable property in the state
          It also denies property rights to a woman who marries a person from outside the state. The provision, which leads to such women from the state forfeiting their rights over property, also applies to their heirs.
          The affidavit said the provision itself "proved to be a serious obstacle to the socio-economic development of the erstwhile state.
          "It has prevented investments in the state, and adversely impacted job creation for the youth which again resulted in a cascading effect on other developmental indicators. It has led to a discriminatory regime against citizens of the erstwhile state from the rest of the country as well as a large number of residents...."
          Highlighting the fact that once a woman marries an outsider, she loses the property rights, the MHA officer said, "I state and submit that women of the erstwhile state were also discriminated against if they chose to marry a Non-Permanent Resident."
          In an oblique reference to Pakistan, the affidavit said, "the inimical forces from across the border have exploited the situation.... The growth potential of the erstwhile state was largely untapped despite large monetary support from the Government of India."
          It said that the tourism potential has remained severely under exploited due to Article 35A and these factors have contributed to "fostering a separatist mind-set, which breeds militancy and terrorism, fuelled from across the border."
          The Centre said that the erstwhile state has suffered huge loss of lives due to terrorism since 1990.
          "The unfortunate situation prevailing on the ground affected not only the people of the erstwhile state but also the brave and dedicated members of the Armed Forces and the police forces, coming from different parts of the country, many of whom made the ultimate sacrifice in the course of the performance of their duties.
          "I state and submit that since 1990 to till August 4, 2019, a total of 41,861 persons have lost their lives in 70,960 incidents of terrorist violence. This includes 14,035 civilians; 5,291 personnel of security forces and 22,535 terrorists," the affidavit said. PTI SJK MNL ABA
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