चंडीगढ़ : कीटनाशक के उपयोग के कारण देशभर में कई घातक बीमारियों को बढ़ावा मिला है. इन बीमारियों को रोकने के लिए अब केंद्र सरकार ने 27 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाने और किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है. इन कीटनाशकों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल पंजाब में किया जाता है.
पंजाब कृषि विभाग के आंकड़ों की बात करें तो पंजाब में कीटनाशकों का इस्तेमाल साल दर साल बढ़ रहा है. पंजाब में भारत का 1.5 प्रतिशत क्षेत्र शामिल है. देशभर में कीटनाशकों की खपत में 18 प्रतिशत और रासायनिक उर्वरकों की 14 प्रतिशत खपत है.
धरती पर इतने सारे रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और कवकनाशी के उपयोग के साथ, पंजाब एक मरती हुई सभ्यता की ओर बढ़ रहा है. मालवा के बठिंडा, मानसा, मुक्तसर, संगरूर, फरीदकोट जिलों को कपास बेल्ट के रूप में जाना जाता है. इतना ही नहीं, इन इलाकों में कैंसर के केस भी काफी ज्यादा पाए जाते हैं, जिसका एक बड़ा कारण कीटनाशकों का यहां ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल होना है. आधिकारिक आकड़ों की अगर बात करें तो 2015 में भारत में 1 लाख 34 हजार खुदकुशियां हुई हैं, जिनमें से 24 हज़ार खुदकुशियों का कारण कीटनाशक रहा है.
हालांकि साल 2016-17 में, पंजाब में कीटनाशकों के उपयोग में लगातार गिरावट आई है. इसका मुख्य कारण सही तकनीक, कीटनाशकों की सही मात्रा और उनके समय पर उपयोग के बारे में जागरूकता है. कीटनाशकों का उपयोग फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए किया जाता है, लेकिन यह एक ऐसा जहर है, जिसके कारण लोगों में कई बीमारियां जन्म ले रही हैं.
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वहीं, सरकार ने अब किसानों के पक्ष में तीन फैसले लिए हैं. किसान अपनी उपज दूसरे राज्यों में बेच सकते हैं, किसान घर से अपनी उपज बेच सकेंगे और उन पर कोई कर नहीं लगाया जाएगा, साथ ही किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिलेगा. किसानों के लिए एक देश एक बाजार होगा. लेकिन अब यह देखा जाना बाकी है कि इससे छोटे और बड़े किसानों को क्या लाभ होगा.