नई दिल्ली : उर्दू और अंग्रेजी के अलावा अब कश्मीरी, डोगरी और हिंदी भी जम्मू-कश्मीर की आधिकारिक भाषाओं की सूची में होंगी. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए राजभाषा विधेयक लाने को मंजूरी दे दी है.
इस फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक 2020 को संसद के आगामी मॉनसून सत्र में पेश किया जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में राजभाषा विधेयक 2020 लाने के फैसले को मंजूरी दी गई. जावड़ेकर ने विधेयक की विस्तृत जानकारी देने से यह कहते हुए इनकार दिया कि इस बारे में संसद में विस्तार से चर्चा होगी.
केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि सरकार ने डोगरी, हिंदी और कश्मीरी को जम्मू-कश्मीर की आधिकारिक भाषाओं की सूची में शामिल करने की क्षेत्र की जनता की एक बहुत पुरानी और लंबित मांग को पूरा किया है.
उन्होंने कहा, 'ऐसा करके सरकार ने न सिर्फ क्षेत्र की जनता की ओर से लंबे समय से की जा रही एक मांग पूरी की है बल्कि गत पांच अगस्त के निर्णय के अनुरूप समानता की भावना का भी ख्याल रखा गया है.'
उन्होंने कहा कि इससे भाषा के आधार पर भेदभाव की शिकायतें खत्म हो जाएंगी. सिंह ने कहा कि यह हास्यास्पद था कि जम्मू-कश्मीर की 70 फीसदी आबादी द्वारा बोली जाने वाली तीन भाषाओं- डोगरी, हिंदी और कश्मीरी को प्रदेश के आधिकारिक कामकाज में इस्तेमाल करने की मंजूरी नहीं थी.
कार्मिक राज्यमंत्री कहा, 'कैबिनेट का फैसला न सिर्फ शासन को सुगम बनाएगा, बल्कि नव निर्मित केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के शासन में लोगों की भागीदारी को भी आसान बनाएगा.'
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नेशनल कॉन्फ्रेंस के जम्मू मंडल के प्रमुख देवेंद्र सिंह राणा ने डोगरी को आधिकारिक भाषा के तौर पर शामिल करने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि सभी क्षेत्रीय भाषाओं को सम्मान मिलना चाहिए.
राणा ने कहा, 'मैं बहुत खुश हूं कि अंग्रेजी, उर्दू, कश्मीरी और हिंदी के साथ मेरी मातृभाषा डोगरी को जम्मू-कश्मीर की आधिकारिक भाषाओं में शामिल किया गया है.'
जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के प्रमुख प्रवक्ता रवींद्र शर्मा ने कहा, 'यह अच्छा है कि क्षेत्रीय भावनाओं का ध्यान रखा गया है लेकिन कई भाषाएं होने की अपनी ही समस्याएं हो सकती हैं.'