न्यूयॉर्क: ताओ पोरचोन-लिंच दुनिया की सबसे बुजुर्ग योग शिक्षिका हैं. वह इस वर्ष पूरे 101 साल की हो जाएंगी. इस उम्र में भी वह ना केवल युवाओं की तरह जोश से भरी हुई हैं, बल्कि सकारत्मकता से भी भरपूर हैं. वह अपने छात्रों के लिए एक प्रेरणा हैं. उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है.
उनका जन्म पुदुचेरी में हुआ था, उसे सात साल की उम्र में योग के बारे में पता चला, जब उन्होंने कुछ लड़कों को समुद्र तट पर योग करते देखा. जिसके बाद उन्होंने तय किया कि बिना वक्त गंवाए उन्हें कुछ ऐसा कर दिखाना है जिससे उनकी पहचान बन सके.
तब से उन्होंने योग सिखाना शुरू कर दिया था और अब वह न्यूयॉर्क शहर में नियमित रूप से योग की कक्षाएं लेती हैं. उन्होंने अपनी दिनचर्या पर बात करते हुए कहा, 'जब भी मैं सुबह उठती हूं तो सबसे पहले सूरज को देखती हूं और खुद से कहती हूं कि मेरा आज का दिन सबसे अच्छा होगा.' वहीं, उनकी एक सहेली ने कहा, 'उसका जीवन एक योग मार्ग है. और यही योग मार्ग उनका जीवन है.'
ताओ कहती हैं, 'मैं कुदरत में यकीन करती हूं. सांस लेने में यकीन करती हूं. मैं किसी ऐसी शक्ति की उपासना नहीं करना चाहती थी जो इस दुनिया के बाहर हो. मैं अपने भीतर किसी चीज की भक्ति में डूबना चाहती थी.' अपनी ताकत की तुलना वह पेड़ों से करती हैं. सर्दी के मौसम में पत्तों से रिक्त पेड़ दिखाकर वह कहती हैं, 'पेड़ों को देखो. वे सैकड़ों साल जीते हैं. इस वक्त वे सब नंगे हो गए हैं, कंकालों की तरह. मृत दिखते हैं. लेकिन वे मरे नहीं हैं. वे खुद को रिसाइकल कर रहे हैं. वे बूढ़े नहीं हो रहे हैं. वे मजबूत हो रहे हैं.'
13 अगस्त 1918 को जन्मी ताओ ने सिर्फ 7 महीने की उम्र में अपनी मां को खो दिया था. उनके पिता ने उन्हें अपने भाई-भाभी को सौंप दिया जिन्होंने भारत के पुदुचेरी में उन्हें पाला पोसा. उनका परिवार शाकाहारी था. हिंदी और फ्रेंच उनकी पहली भाषाएं थीं. उनके चाचा रेलवे प्रोजेक्ट्स डिजाइन किया करते थे. ताओ उनके साथ देश-देश घूमती थीं.
बता दें, इस वर्ष की शुरुआत में पोर्चन-लिंच को असाधारण उपलब्धि के लिए भारत सरकार द्वारा प्रतिष्ठित पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. पिछले बीस वर्षों से वह बालरूम डांस प्रतियोगिताओं में भाग लेती आई हैं जिनमें अमेरिका का सुप्रसिद्ध शो अमेरिकाज गोट टैलेंट भी शामिल है. साथ ही उन्होंने कई प्रतियोगिताओं में जीत भी हासिल की है.