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सीडीएस रावत ने कहा - प्रत्येक देश रणनीतिक नजरिए से देखता है अपनी सुरक्षा

हिन्द महासागर में चीन की बढ़ती मौजदूगी के बीच भारतीय सेना ने तंजावुर एयरबेस पर सुपर सोनिक मिसाइल से लैस लड़ाकू विमान सुखोई-30 तैनात कर दिए हैं. इस मौके पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने कहा कि इस क्षेत्र में नौसेना का परिचालन केवल आवाजाही की आजादी के लिए है. पढ़ें पूरी खबर...

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बिपिन रावत
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Published : Jan 20, 2020, 9:58 PM IST

Updated : Feb 17, 2020, 7:09 PM IST

तंजावुर : प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने सोमवार को हिन्द महासागर क्षेत्र (आईओआर) में चीन की बढ़ती मौजूदगी को अधिक महत्व नहीं दिया और कहा कि प्रत्येक देश अपनी सुरक्षा को रणनीतिक नजरिए से देखता है.

जनरल रावत ने तमिलनाडु के तंजावुर स्थित एयर फोर्स स्टेशन में सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान को शामिल किए जाने के मौके पर यह बात कही. उनसे पूछा गया था कि हिन्द महासागर में चीन की मौजूदगी किस प्रकार भारत के लिए चुनौती है.

लड़ाकू जहाजों का बेड़ा शामिल होने से भारतीय क्षमताओं को बढ़त मिलने की उम्मीद है, खासतौर से हिन्द महासागर क्षेत्र में, जहां चीन की मौजूदगी भी बढ़ रही है.

अफ्रीका के ऊपरी हिस्से में जिबूती में चीन का एक सैन्य आधार मौजूद है, और वह अपनी मौजूदगी बढ़ाने की फिराक में है. उन्होंने कहा, 'प्रत्येक राष्ट्र अपनी सुरक्षा को अपने रणनीतिक नजरिए से देखता है.'

जनरल रावत ने संवाददाताओं से कहा, 'समुद्र आवाजाही की स्वतंत्रता के लिए हैं. और इसलिए आप देखेंगे कि यदि किसी देश का किसी खास क्षेत्र में हित है तो वह उस क्षेत्र में आकर क्षेत्र में प्रभुत्व कायम करने की कोशिश करता है ताकि उसे आवाजाही की आजादी हो.'

किसी भी देश द्वारा समुद्री व्यापारिक मार्ग के संरक्षण जैसे पहलुओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, 'इसलिए, मैं नहीं सोचता हूं कि उसे उस नजरिए (चीन से मिलने वाली चुनौती) से देखना चाहिए.'

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में नौसेना का परिचालन केवल आवाजाही की आजादी के लिए है.

पढ़ें : तमिलनाडु : तंजावुर एयर फोर्स स्टेशन पर तैनात किए गए 8 सुखोई-30 एमकेआई

गौरतलब है कि सोमवार को तंजावुर एयरबेस पर आठ सुखोई-30 एमकेआई फ्लाइट जेट तैनात किए गए. जो सुपर सोनिक मिसाइल ब्रह्मोस को आसानी से ले जा सकेंगे.

सीडीएस जनरल रावत ने एयर चीफ मार्शल राकेश कुमार भदौरिया की उपस्थिति में सुखोई-30, 222 स्क्वाड्रन 'टाइगरशार्क्स' को तंजावुर एयरबेस पर शामिल किया.

एयर चीफ मार्शल ने कहा, 'ब्रह्मोस मिसाइल के साथ सुखोई-30 एमकेआई मजबूत समुद्री संयोजक है. यह हमारी हथियार क्षमता को और भी मजबूत बनाता है.'

भदौरिया ने कहा कि तंजावुर आदर्श जगह है क्योंकि इस स्थान से हिन्द महासागर के पूर्व-पश्चिम दोनों तरफ आसानी से पहुंचा जा सकता है. इसकी जलसेना को मजबूती प्रदान करेगा.

जनरल बिपिन रावत ने कहा, 'हम मानवरहित हवाई वाहन का मुकाबला करने के लिए एक रक्षा प्रणाली विकसित कर रहे हैं. हम जानते हैं कि भविष्य में, यूएवी का उपयोग सभी साइटों में किया जाएगा, इसलिए, हमें अपनी खुद की तकनीक के लिए अपने हवाई क्षेत्र की रक्षा करने की आवश्यकता है.'

तंजावुर : प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने सोमवार को हिन्द महासागर क्षेत्र (आईओआर) में चीन की बढ़ती मौजूदगी को अधिक महत्व नहीं दिया और कहा कि प्रत्येक देश अपनी सुरक्षा को रणनीतिक नजरिए से देखता है.

जनरल रावत ने तमिलनाडु के तंजावुर स्थित एयर फोर्स स्टेशन में सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान को शामिल किए जाने के मौके पर यह बात कही. उनसे पूछा गया था कि हिन्द महासागर में चीन की मौजूदगी किस प्रकार भारत के लिए चुनौती है.

लड़ाकू जहाजों का बेड़ा शामिल होने से भारतीय क्षमताओं को बढ़त मिलने की उम्मीद है, खासतौर से हिन्द महासागर क्षेत्र में, जहां चीन की मौजूदगी भी बढ़ रही है.

अफ्रीका के ऊपरी हिस्से में जिबूती में चीन का एक सैन्य आधार मौजूद है, और वह अपनी मौजूदगी बढ़ाने की फिराक में है. उन्होंने कहा, 'प्रत्येक राष्ट्र अपनी सुरक्षा को अपने रणनीतिक नजरिए से देखता है.'

जनरल रावत ने संवाददाताओं से कहा, 'समुद्र आवाजाही की स्वतंत्रता के लिए हैं. और इसलिए आप देखेंगे कि यदि किसी देश का किसी खास क्षेत्र में हित है तो वह उस क्षेत्र में आकर क्षेत्र में प्रभुत्व कायम करने की कोशिश करता है ताकि उसे आवाजाही की आजादी हो.'

किसी भी देश द्वारा समुद्री व्यापारिक मार्ग के संरक्षण जैसे पहलुओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, 'इसलिए, मैं नहीं सोचता हूं कि उसे उस नजरिए (चीन से मिलने वाली चुनौती) से देखना चाहिए.'

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में नौसेना का परिचालन केवल आवाजाही की आजादी के लिए है.

पढ़ें : तमिलनाडु : तंजावुर एयर फोर्स स्टेशन पर तैनात किए गए 8 सुखोई-30 एमकेआई

गौरतलब है कि सोमवार को तंजावुर एयरबेस पर आठ सुखोई-30 एमकेआई फ्लाइट जेट तैनात किए गए. जो सुपर सोनिक मिसाइल ब्रह्मोस को आसानी से ले जा सकेंगे.

सीडीएस जनरल रावत ने एयर चीफ मार्शल राकेश कुमार भदौरिया की उपस्थिति में सुखोई-30, 222 स्क्वाड्रन 'टाइगरशार्क्स' को तंजावुर एयरबेस पर शामिल किया.

एयर चीफ मार्शल ने कहा, 'ब्रह्मोस मिसाइल के साथ सुखोई-30 एमकेआई मजबूत समुद्री संयोजक है. यह हमारी हथियार क्षमता को और भी मजबूत बनाता है.'

भदौरिया ने कहा कि तंजावुर आदर्श जगह है क्योंकि इस स्थान से हिन्द महासागर के पूर्व-पश्चिम दोनों तरफ आसानी से पहुंचा जा सकता है. इसकी जलसेना को मजबूती प्रदान करेगा.

जनरल बिपिन रावत ने कहा, 'हम मानवरहित हवाई वाहन का मुकाबला करने के लिए एक रक्षा प्रणाली विकसित कर रहे हैं. हम जानते हैं कि भविष्य में, यूएवी का उपयोग सभी साइटों में किया जाएगा, इसलिए, हमें अपनी खुद की तकनीक के लिए अपने हवाई क्षेत्र की रक्षा करने की आवश्यकता है.'

Intro:Body:

Chief of Defence Staff General Bipin Rawat  says "Thanjavur is ideal location, it can dominate the sea and provide man power"



Today thanjavur airbase was inducted with 8 Sukhoi-30 MKI fighter jets, which have been modified to carry BrahMos supersonic cruise missile.



Chief of Defense Staff Bipin Rawat inducted the Sukhoi-30, 222 squadron "Tigersharks," in the presence of top officials including Air Chief Marshal Rakesh Kumar Singh Bhadauria.



Later in the press meet, IAF Chief RKS Bhadauria "SU-30MKI with BrahMos is the strongest maritime combination that we have, in terms of weapon capability" he said.



IAF chief adds "Thanjavur is the ideal location because of access to both the east & west sides&Indian Ocean Region. It will bring huge capability in support of Navy."



Chief of Defence Staff General Bipin Rawat said that, "By virtue of the fact that Thanjavur is strategically very well located in the southern peninsula, from here it can dominate the seas, provide very close and integrated support to Indian Navy. It can also provide support to the land forces"



When talking about Unmanned aerial vehicle Bipin Rawat adds, "We are developing a defense system to compete Unmanned aerial vehicle. We know in the future, UAV will be used in all sites, Therefore, we need to protect our airspace with our own technology."

 


Conclusion:
Last Updated : Feb 17, 2020, 7:09 PM IST
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