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भ्रष्टाचार पर बड़ा खुलासा : अलवर कारागार में सजा नहीं, मौज काट रहे कैदी!

राजस्थान के अलवर जिले का केंद्रीय कारागार इन दिनों चर्चा में हैं. हालांकि यह पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले भी कई बार यह कारागार चर्चा में रह चुका है. बता दें कि कभी जेल में जांच-पड़ताल के दौरान मोबाइल फोन व सिम कार्ड सहित कई अन्य सामान मिलने का मामला सामने आया है तो कई बार अपराधी जेल से बाहर निकल कर घूमते हुए पाए गए. लेकिन इस बार मामला ऑनलाइन ट्रांजेक्शन का है, जिसकी शिकायत जेल के बंदियों द्वारा जेल महानिदेशक से की गई है. हालांकि अधिकारियों ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है.

online transaction came in alwar central jail
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Published : Jun 6, 2020, 4:18 PM IST

अलवर : किसी भी अपराधी को सजा देने के लिए जेल होती है, लेकिन राजस्थान के अलवर का केंद्रीय कारागार भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है. अपराधियों के लिए यह जेल किसी स्वर्ग से कम नहीं है. केवल आपके पास पैसे होने चाहिए. पैसे के बल पर आप जेल में मोबाइल फोन, लैपटॉप, आरओ का पानी व कूलर सहित सभी सुविधाओं का उपभोग कर सकते हैं.

मारपीट से बचना है तो देना पड़ेगा पैसा
केंद्रीय कारागार में आने वाले नए बंदियों से मारपीट व अवैध वसूली होती है. मारपीट से बचने के लिए उनसे पैसे लिए जाते हैं. इतना ही नहीं जेल में मिलने वाले काम से बचने के लिए भी पैसे लिए जाते हैं.

हर काम का पैसा है निर्धारित
केंद्रीय कारागार में प्रत्येक काम का पैसा निर्धारित है. जैसे अगर आप सामान्य मोबाइल काम में लेना चाहते हैं, तो उसके लिए 15 हजार देने होंगे. अगर एंड्राइड मोबाइल काम में लेना चाहते हैं, तो 20 हजार जमा करने होंगे. इसी तरह से 20 रुपये की बीड़ी का पैकेट 1500 रुपये में मिलता है. अगर आप तंबाकू खाना चाहते हैं, तो 10 से 15 रुपये का पैकेट आपको 1000 से 1500 में मिलेगा. इसी तरह से सिगरेट व अन्य गुटखे के भी दाम निर्धारित हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

ऑनलाइन ट्रांजेक्शन का पुख्ता सबूत
जेल में बंद एक बंदियों के खाते में लगातार ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के प्रमाण हैं. इस पूरे मामले की जांच पड़ताल के दौरान जेल के अंदर चलने वाले पैसे के खेल का पता करने के लिए ऑनलाइन लेनदेन का स्क्रीनशॉट मिला है, जिसमें साफ तौर पर एक ही व्यक्ति के खाते में लगातार पैसे जमा हो रहे हैं. इतना ही नहीं जेल में बंद कैदियों के परिजनों द्वारा यह पैसा जमा कराया जाता है.

जेल के अंदर बैठकर कैदी चला रहे मोबाइल
अलवर के केंद्रीय कारागार के अंदर चलने वाले पैसे के लेन-देन में मारपीट के पूरे खेल के मास्टरमाइंड गुल्ला गुर्जर जेल की बैरक नंबर 3 में बेफिक्र होकर अपने बिस्तर पर मोबाइल पर बात करता हुआ नजर आया है. इसकी फोटो जेल के हालात को साफ बयां करती नजर आ रही है.

शिकायत से हुआ खुलासा
इस पूरे खेल का खुलासा जेल में बंद बंदियों द्वारा हाल ही में जेल महानिदेशक व जेल आईजी को दी गई एक शिकायत से हुआ है. जिसमें बताया गया कि किस तरह से बंदियों से वसूली होती है. बैंक खाते व ऑनलाइन अकाउंट में पैसे डलवाए जाते हैं. इसके अलावा जेल के बैरक में बंद बंदियों के मोबाइल पर बात करते फोटो और वीडियो भी सामने आए हैं.

यह भी पढ़ें- थप्पड़ कांड : सेक्रेटरी का आरोप- फोगाट ने बंदूक के बल पर लिखवाया माफीनामा

बता दें कि अलवर केंद्रीय कारागार के वार्ड नंबर तीन की बैरक में बंद गुल्ल गुर्जर नाम के एक अपराधी द्वारा खुलेआम यह खेल खेला जा रहा है. गुल्ला गुर्जर धारा 376 के मामले में सजा काट रहा है और हाल ही में जेल के अंदर नंबरदार के रूप में लगा हुआ है. नंबरदार जेल के बंदी व जेल प्रशासन के बीच की कड़ी होते हैं.

जिस तरह सालों से यह खेल चल रहा है. ऐसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि इसमें जेल प्रशासन व जेल के आकाओं का हाथ हो सकता है. आपको बता दें कि अलवर के केंद्रीय कारागार में यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी अपराधी जेल से बाहर निकल कर घूमते हुए पाए गए हैं. वहीं अनेक बार जेल में जांच-पड़ताल के दौरान मोबाइल फोन व सिम कार्ड सहित कई अन्य सामान मिल चुके हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है.

अलवर : किसी भी अपराधी को सजा देने के लिए जेल होती है, लेकिन राजस्थान के अलवर का केंद्रीय कारागार भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है. अपराधियों के लिए यह जेल किसी स्वर्ग से कम नहीं है. केवल आपके पास पैसे होने चाहिए. पैसे के बल पर आप जेल में मोबाइल फोन, लैपटॉप, आरओ का पानी व कूलर सहित सभी सुविधाओं का उपभोग कर सकते हैं.

मारपीट से बचना है तो देना पड़ेगा पैसा
केंद्रीय कारागार में आने वाले नए बंदियों से मारपीट व अवैध वसूली होती है. मारपीट से बचने के लिए उनसे पैसे लिए जाते हैं. इतना ही नहीं जेल में मिलने वाले काम से बचने के लिए भी पैसे लिए जाते हैं.

हर काम का पैसा है निर्धारित
केंद्रीय कारागार में प्रत्येक काम का पैसा निर्धारित है. जैसे अगर आप सामान्य मोबाइल काम में लेना चाहते हैं, तो उसके लिए 15 हजार देने होंगे. अगर एंड्राइड मोबाइल काम में लेना चाहते हैं, तो 20 हजार जमा करने होंगे. इसी तरह से 20 रुपये की बीड़ी का पैकेट 1500 रुपये में मिलता है. अगर आप तंबाकू खाना चाहते हैं, तो 10 से 15 रुपये का पैकेट आपको 1000 से 1500 में मिलेगा. इसी तरह से सिगरेट व अन्य गुटखे के भी दाम निर्धारित हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

ऑनलाइन ट्रांजेक्शन का पुख्ता सबूत
जेल में बंद एक बंदियों के खाते में लगातार ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के प्रमाण हैं. इस पूरे मामले की जांच पड़ताल के दौरान जेल के अंदर चलने वाले पैसे के खेल का पता करने के लिए ऑनलाइन लेनदेन का स्क्रीनशॉट मिला है, जिसमें साफ तौर पर एक ही व्यक्ति के खाते में लगातार पैसे जमा हो रहे हैं. इतना ही नहीं जेल में बंद कैदियों के परिजनों द्वारा यह पैसा जमा कराया जाता है.

जेल के अंदर बैठकर कैदी चला रहे मोबाइल
अलवर के केंद्रीय कारागार के अंदर चलने वाले पैसे के लेन-देन में मारपीट के पूरे खेल के मास्टरमाइंड गुल्ला गुर्जर जेल की बैरक नंबर 3 में बेफिक्र होकर अपने बिस्तर पर मोबाइल पर बात करता हुआ नजर आया है. इसकी फोटो जेल के हालात को साफ बयां करती नजर आ रही है.

शिकायत से हुआ खुलासा
इस पूरे खेल का खुलासा जेल में बंद बंदियों द्वारा हाल ही में जेल महानिदेशक व जेल आईजी को दी गई एक शिकायत से हुआ है. जिसमें बताया गया कि किस तरह से बंदियों से वसूली होती है. बैंक खाते व ऑनलाइन अकाउंट में पैसे डलवाए जाते हैं. इसके अलावा जेल के बैरक में बंद बंदियों के मोबाइल पर बात करते फोटो और वीडियो भी सामने आए हैं.

यह भी पढ़ें- थप्पड़ कांड : सेक्रेटरी का आरोप- फोगाट ने बंदूक के बल पर लिखवाया माफीनामा

बता दें कि अलवर केंद्रीय कारागार के वार्ड नंबर तीन की बैरक में बंद गुल्ल गुर्जर नाम के एक अपराधी द्वारा खुलेआम यह खेल खेला जा रहा है. गुल्ला गुर्जर धारा 376 के मामले में सजा काट रहा है और हाल ही में जेल के अंदर नंबरदार के रूप में लगा हुआ है. नंबरदार जेल के बंदी व जेल प्रशासन के बीच की कड़ी होते हैं.

जिस तरह सालों से यह खेल चल रहा है. ऐसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि इसमें जेल प्रशासन व जेल के आकाओं का हाथ हो सकता है. आपको बता दें कि अलवर के केंद्रीय कारागार में यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी अपराधी जेल से बाहर निकल कर घूमते हुए पाए गए हैं. वहीं अनेक बार जेल में जांच-पड़ताल के दौरान मोबाइल फोन व सिम कार्ड सहित कई अन्य सामान मिल चुके हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है.

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