नई दिल्ली : पूर्वोत्तर दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. इसी बीच हिंसाग्रस्त सड़कों पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल लोगों से शांति की अपील करते दिखाई दिए. डोभाल ने आम लोगों से बातचीत के दौरान कहा कि हमारा एक देश है, हम सबको साथ मिलकर रहना है. देश को मिलकर आगे बढ़ना है. हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में ड्रोन से निगरानी की जा रही है.
डोभाल ने लोगों को आश्वासन दिया कि स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है और कानूनी एजेंसियों पर वह भरोसा रखें. उन्होंने कहा कि पुलिस अपना काम कर रही है.
कौन हैं अजीत डोभाल?
अजीत कुमार डोभाल देश के पांचवें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं. वह केरल कैडर के सेवानिवृत्त भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी हैं.
डोभाल का जन्म सन् 1945 में उत्तराखंड में हुआ था. उन्होंने आईपीएस अधिकारी के रूप में अपने कौरियर की शुरुआत 1968 में की. वह मिजोरम और पंजाब में उग्रवाद विरोधी अभियानों में सक्रिय रूप से शामिल थे.
2005 में सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया. इसके बाद 2014 में उन्हें देश के पांचवें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया.
डोभाल के कैरियर की कुछ अहम घटनाएं
डोभाल पहले भी कई मुश्किल मौकों पर उल्लेखनीय भूमिका में दिखे हैं. डोभाल की ऐसी ही कुछ उपलब्धियों में 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार की गिनती होती है.
'ऑपरेशन ब्लू स्टार' में डोभाल ने खालिस्तानी उग्रवाद को खत्म करने के मकसद से खुफिया जानकारी जुटाने में अहम भूमिका निभाई थी.
डोभाल ने 1971 और 1999 के बीच भारतीय एयरलाइंस के विमान को कम से कम 15 बार हाईजैक होने से बचाया था.
वह भारत के सबसे युवा पुलिस अधिकारी हैं, जिन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है. कीर्ति चक्र शांति के समय दिया जाने वाला वीरता पुरस्कार है.
डोभाल को चीन के साथ डोकलाम गतिरोध को हल करने का श्रेय भी दिया जाता है.
उन्होंने आतंकियों पर जानकारी जुटाने के लिए पाकिस्तान में सात वर्ष का समय बिताया है. एक वर्ष तक जासूस की तरह काम करने के बाद उन्होंने इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग में काम किया था.
1990 में डोभाल कश्मीर गए और आतंकवाद पर प्रभावी नकेल कसी. इसके बाद ही 1996 में जम्मू-कश्मीर चुनावों का रास्ता साफ हो पाया था.
2016 की सर्जिकल स्ट्राइक में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी और 2019 में पुलवामा में आतंकी हमले के जवाब में बालाकोट पर हवाई हमला उनके ही देख रेख में हुआ था.
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