हैदराबाद/पटना : 25 सितंबर को मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने प्रेस वार्ता कर बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान किया. तीन चरणों में चुनाव कराने की घोषणा की गई. पहले चरण में 28 अक्टूबर को कुल 16 जिलों के 71 सीटों के लिए मतदान होंगे. 31 हजार बूथ पर वोट डाले जाएंगे. दूसरे चरण के लिए 3 नवंबर को मतदान होगा और 42 हजार पोलिंग स्टेशन पर वोट डाले जाएंगे. 17 जिलों की 94 सीटों के लिए मतदान होंगे. 7 नवंबर को तीसरे चरण का मतदान होगा. तीसरे चरण में कुल 33.5 हजार पोलिंग स्टेशन होंगे व 15 जिलों की 78 सीटों के लिए मतदान होंगे. वोटों की गिनती नवंबर 10 को होगी.
बिहार में कुल मतदाताओं की संख्या 7.29 करोड़
⦁ महिला मतदाता 3.39 करोड़
⦁ पुरुष मतदाता 3.79 करोड़
⦁ विधानसभा की कुल सीटें 243
कुल चार गठबंधन मैदान में
बिहार विधानसभा चुनाव में कुल चार गठबंधन मैदान में हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में जेडीयू 122 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इसमें से सात सीटें जीतनराम मांझी की पार्टी हम को दिया गया है. वहीं बीजेपी 121 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इसमें से पांच सीटें मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी को बीजेपी ने दिया है. लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव की अगुआई वाले महागठबंधन में आरजेडी 144, कांग्रेस 70 और लेफ्ट 29 सीटों पर मैदान में हैं. लेफ्ट पार्टियों में सीपीएम 4 सीटें, सीपीआई 6 और माले 19 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं. जन अधिकार पार्टी लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन बनाकर सीएम प्रत्याशी बने हैं. इस गठबंधन में भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी और बहुजन मुक्ति पार्टी शामिल हैं. वहीं चौथा गठबंधन उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व में बना है. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व में 6 पार्टियां बिहार विधानसभा चुनाव लड़ रही हैं. इसमें एआईएमआईएम, समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक, बहुजन समाज पार्टी, भारतीय समाज पार्टी और जनतांत्रिक पार्टी (सोशलिस्ट) शामिल हैं.
राम विलास के बेटे चिराग ने अलग राह चुनी
बिहार में विधानसभा चुनाव लोजपा बिहार एनडीए से अलग होकर लड़ रही है. 136 सीटों पर लोजपा चुनाव लड़ रही है. जनता दल यूनाइटेड के खिलाफ हर सीट पर उम्मीदवार उतार चुकी है. कुछ सीटों पर बीजेपी के साथ फ्रेंडली फाइट है. लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान सीट शेयरिंग से असंतुष्ट होकर एनडीए से बाहर निकले और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर काफी हमलावर हैं. वह दावा कर रहे हैं कि अगली सरकार भाजपा और लोजपा की बनेगी और मुख्यमंत्री भाजपा का होगा. मगर भाजपा ने साफ कर दिया है कि लोजपा से उसका चुनाव में कोई लेना-देना नहीं है.
28 अक्टूबर को 8 मंत्रियों के भाग्य का होगा फैसला
पहले चरण में 8 मंत्रियों में जहानाबाद से शिक्षा मंत्री कृष्णा नंदन प्रसाद वर्मा, गया से कृषि मंत्री प्रेम कुमार, जमालपुर से ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेश कुमार, बांका से राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामनारायण मंडल, दिनारा से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जय कुमार सिंह, चैनपुर से खनन मंत्री बृजकिशोर बिंद, बक्सर से परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला और लखीसराय से श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा शामिल हैं. इमामगंज से हम प्रमुख जीतन राम मांझी के भाग्य का फैसला होगा.
28 अक्टूबर को इनकी साख दांव पर
आरजेडी से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, पूर्व मंत्री विजय प्रकाश, बीजेपी उम्मीदवार श्रेयसी सिंह, मोकामा से आरजेडी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे बाहुबली अनंत सिंह भी पहले चरण में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. बीजेपी से बागी होकर लोजपा की टिकट पर लड़ रहे राजेंद्र सिंह और रामेश्वर चौरसिया, जेडीयू से अलग होकर लोजपा की टिकट पर लड़ रहे भगवान सिंह कुशवाहा भी मैदान में हैं.
पहले चरण में 1066 उम्मीदवार मैदान में
पहले चरण में आरजेडी के 42, जेडीयू के 35, बीजेपी के 29, कांग्रेस के 21, माले के 8, हम के 6, वीआईपी के 1, रालोसपा के 43, लोजपा के 42 और बसपा के 27 उम्मीदवारों सहित 1066 उम्मीदवार मैदान में हैं. 2015 के चुनाव में आरजेडी के 25, जेडीयू के 23, बीजेपी के 13, कांग्रेस के 8, हम के 1 और माले के 1 उम्मीदवारों ने इन क्षेत्रों से चुनाव में जीत दर्ज की थी.
महागठबंधन में सबसे ज्यादा दागी
पहले चरण में महागठबंधन दागी उम्मीदवारों के मामले में एनडीए से आगे है. महागठबंधन के 71 प्रत्याशियों में 43 के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज है. वहीं, एनडीए के 71 प्रत्याशियों में 37 उम्मीदवार दागी हैं. सबसे अधिक मोकामा से आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे अनंत सिंह पर 38 आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं, भाकपा माले के प्रत्याशी मनोज मंजिल पर 30 मामले दर्ज हैं. पार्टी वाइज देखा जाए तो आरजेडी के 41 में से 26 उम्मीदवार दागी हैं. कांग्रेस के 22 में से 11, लेफ्ट के 8 में से 5 उम्मीदवार दागी हैं. वहीं एनडीए में बीजेपी के 29 में से 18 उम्मीदवार दागी हैं. जेडीयू के 37 में से 14, हम के 6 में से 4 और वीआईपी के एक उम्मीदावर दागी हैं.
बिहार के इन जिलों में पीएम की रैली
⦁ 23 अक्टूबर को सासाराम, गया और भागलपुर में चुनावी रैली हुई.
⦁ 28 अक्टूबर को दरभंगा मुजफ्फरपुर और पटना में होगी.
⦁ 1 नवंबर को छपरा, पूर्वी चंपारण और समस्तीपुर में होगी.
⦁ 3 नवंबर को पश्चिमी चंपारण, सहरसा और अररिया में होगी.
मोदी की रैली ने बनाया माहौल
बिहार की जनता के सामने 23 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने फर्स्ट शो में जमकर दहाड़े. उन्होंने बिहार की जनता को लालू राज के पुराने दिन याद दिलाए. पहली रैली से ही प्रधानमंत्री आक्रामक रहे. शायद विपक्षी पार्टियों ने भी प्रधानमंत्री की इतनी आक्रामक रैली की कल्पना नहीं की होगी. बिहार में प्रधानमंत्री की 12 रैलियां शेड्यूल की गईं हैं. पहली ही रैली में प्रधानमंत्री ने विपक्ष की जमकर खिंचाई करते हुए सीधे तौर पर महागठबंधन में शामिल पार्टियों को अनुच्छेद 370 और राम मंदिर के मुद्दे पर देश का साथ न देने वाली पार्टियों के नाम से पुकार कर बिहार चुनाव के प्रचार को नई दिशा दी और एनडीए के प्रचार में कई गुना आक्रामकता बढ़ा दी है. प्रधानमंत्री का यह आक्रामक अंदाज बाकी बची 9 रैलियों में भी अगर इसी तरह दिखा तो यह विपक्षी पार्टियों के लिए सही में मुश्किलें पैदा कर सकता है और इस बात को लेकर विपक्षी कहीं ना कहीं अंदरखाने महसूस भी कर रहे हैं.
नीतीश, तेजस्वी, पप्पू, कुशवाहा, ओवैसी और राहुल क्या बोले
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हर बार की तरह इस बार भी सभी दलों के निशाने पर हैं. वह अपनी रैलियों में अपने काम का हिसाब देने के अलावा विपक्ष को भी जवाव दे रहे हैं. तेजस्वी यादव हर सभा में 10 लाख सरकारी नौकरी देने का वादा कर रहे हैं. साथ ही नीतीश कुमार को कोस रहे हैं. पप्पू यादव और उपेंद्र कुशवाहा भी नीतीश कुमार को कोस रहे हैं और जनता से एक मौका देने की मांग कर रहे हैं. दोनों का दावा है कि जनता ने मौका दिया तो वह बिहार को विकास की बुलंदियों तक पहुंचा देंगे. ओवैसी और राहुल लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार को घेर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार पर विपक्ष सबसे ज्यादा बेरोजगारी और कोरोना को लेकर निशाना साध रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार जवाब में बता रहे हैं कि उनकी जगह अगर विपक्षी दल सत्ता में होते तो और ज्यादा खराब स्थिति होती. दोनों बार-बार अपने काम के साथ लालू राज को याद दिला रहे हैं.
तेजस्वी ने जैसे ही 10 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देने की बात कही, एनडीए चेत गई. भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में 19 लाख रोजगार के नए अवसर पैदा करने की बात कही. इस कदम को काउंटर स्टेप के रूप में देखा रजा रहा है.
लोजपा बार-बार नीतीश पर प्रहार करती है, लेकिन भाजपा को लेकर कुछ नहीं कहा. यहां तक कि पीएम ने भी अभी तक की रैली में लोजपा के बारे में कुछ नहीं कहा, हालांकि, भाजपा के नेता जरूर लोजपा को लेकर उनके खिलाफ बयान देते रहे हैं.
घोषणा पत्र के प्रमुख बिंदु
नीतीश मुख्यमंत्री बने तो ये काम करेंगे
⦁ युवा शक्ति के जरिए बिहार की प्रगति.
⦁ सशक्त महिला-सक्षम महिला.
⦁ हर खेत तक सिंचाई का पानी.
⦁ स्वच्छ गांव-समृद्ध गांव.
⦁ स्वच्छ शहर-विकसित शहर.
⦁ सुलभ संपर्कता.
⦁ सबके लिए अतिरिक्त स्वास्थ्य सुविधा.
भाजपा का घोषणा पत्र
⦁ कोरोना वैक्सीन का मुफ्त टीकाकरण.
⦁ एक करोड़ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का वादा.
⦁ युवाओं को 19 लाख नए रोजगार देने का वादा किया है.
महागठबंधन का घोषणा पत्र
⦁ 10 लाख लोगों को रोजगार देने का संकल्प.
⦁ बिहार में कृषि ऋण माफ करेंगे.
⦁ नियोजित शिक्षकों को समान काम समान वेतन.
⦁ जीविका दीदी को नियमित राशि बढ़ाएंगे.
⦁ सरकार बनी तो बिहटा में एयरपोर्ट बनेगा.
लोजपा का घोषणा पत्र
⦁ युवा आयोग का गठन.
⦁ काबिल डॉक्टरों की नियुक्ति.
⦁ अस्पतालों में समुचित व्यवस्था.
⦁ दुग्ध उद्योग को प्राथमिकता.
⦁ समान काम-समान वेतन लागू.
⦁ प्रवासी मजदूरों के लिए अलग मंत्रालय बनेगा.
⦁ कम्युनिटी मोबिलाइजर जीविका मित्र को वेतन.
⦁ बिहार में मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज खोले जाएंगे.
⦁ प्रखंड मुख्यालय, ग्राम पंचायत मुख्यालय,बाजारों में महिलाओं के लिए अलग से शौचालय.
⦁ बाढ़ और सूखा को रोकने के लिए राज्य की सभी नदियों को कैनाल बनाकर जोड़ा जाएगा.