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हाईकोर्ट ने ममता सरकार से पूछा- दुर्गा पूजा समितियों को ₹ 50-50 हजार क्यों ? - दुर्गा पूजा समितियों को 50 हजार रुपये

पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से सामुदायिक दुर्गा पूजा समितियों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक मदद देने का एलान किया गया है. इस मुद्दे पर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सरकार से जवाब मांगा है.

HC on durga puja
फाइल फोटो
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Published : Oct 15, 2020, 5:25 PM IST

Updated : Oct 15, 2020, 6:22 PM IST

कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार से जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने जानना चाहा है कि दुर्गा पूजा के लिए सामुदायिक आयोजकों को 50-50 हजार रुपये क्यों दिए जा रहे हैं ?

दरअसल, ममता सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति संजीब बनर्जी और अर्जीत बनर्जी की पीठ ने सरकार से कुछ सवाल भी पूछे.

कोर्ट ने पूछा कि सरकार क्या ईद व अन्य त्योहारों के लिए भी लोगों की आर्थिक मदद कर रही है.

पीठ ने सरकार से यह भी पूछा की क्या इस तरह के खर्च के लिए दिशानिर्देश दिया गया है? क्योंकि यह आम जनता का पैसा है जो पूजा आयोजकों को अनुदान के रूप में दिया जा रहा है.

पढ़ें-बंगाल में पुलिस बर्बरता को लेकर मानवाधिकार आयोग पहुंचे भाजपा नेता

सरकार ने अपने जवाब में कहा कि यह राशि आयोजकों को लोगों के बीच कोविड-19 के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए दी गई है. वह इससे सैनिटाइज और मास्क आदि खरीदेंगे.

न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि व्यय का हिसाब पुख्ता होना चाहिए. पीठ ने सुझाव भी दिया कि सरकार की तरफ से पेश हो रहे महाधिवक्ता किशोर दत्ता और याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता बिकाश भट्टाचार्या ऐसे सभी मसलों पर बात करें और परिणाम के बारे में शुक्रवार को न्यायालय को सूचित करें. न्यायालय ने राज्य सरकार से कोविड-19 से लड़ने के लिए की गई तैयारियों के बारे में भी पूछा.

याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि सरकार का फैसवा संविधान के मूल के खिलाफ है और यह धर्मनिरपेक्षता की भावना को आहत करता है.

कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार से जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने जानना चाहा है कि दुर्गा पूजा के लिए सामुदायिक आयोजकों को 50-50 हजार रुपये क्यों दिए जा रहे हैं ?

दरअसल, ममता सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति संजीब बनर्जी और अर्जीत बनर्जी की पीठ ने सरकार से कुछ सवाल भी पूछे.

कोर्ट ने पूछा कि सरकार क्या ईद व अन्य त्योहारों के लिए भी लोगों की आर्थिक मदद कर रही है.

पीठ ने सरकार से यह भी पूछा की क्या इस तरह के खर्च के लिए दिशानिर्देश दिया गया है? क्योंकि यह आम जनता का पैसा है जो पूजा आयोजकों को अनुदान के रूप में दिया जा रहा है.

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सरकार ने अपने जवाब में कहा कि यह राशि आयोजकों को लोगों के बीच कोविड-19 के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए दी गई है. वह इससे सैनिटाइज और मास्क आदि खरीदेंगे.

न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि व्यय का हिसाब पुख्ता होना चाहिए. पीठ ने सुझाव भी दिया कि सरकार की तरफ से पेश हो रहे महाधिवक्ता किशोर दत्ता और याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता बिकाश भट्टाचार्या ऐसे सभी मसलों पर बात करें और परिणाम के बारे में शुक्रवार को न्यायालय को सूचित करें. न्यायालय ने राज्य सरकार से कोविड-19 से लड़ने के लिए की गई तैयारियों के बारे में भी पूछा.

याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि सरकार का फैसवा संविधान के मूल के खिलाफ है और यह धर्मनिरपेक्षता की भावना को आहत करता है.

Last Updated : Oct 15, 2020, 6:22 PM IST

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