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कैग रिपोर्ट : रेलवे का परिचालन अनुपात 2017-18 में पिछले 10 वर्ष में सबसे खराब - कैग रिपोर्ट

कैग की रिपोर्ट के अनुसार रेलवे का परिचालन अनुपात 2017-18 में 98.44 प्रतिशत दर्ज किया गया है, जो पिछले 10 वर्ष में सबसे खराब है. साथ ही रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि रेलवे को आंतरिक राजस्व बढ़ाने के लिए उपाय किए जाएं ताकि सकल और अतिरिक्त बजटीय संसाधनों पर निर्भरता रोकी जा सके.

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Published : Dec 2, 2019, 9:24 PM IST

Updated : Dec 2, 2019, 9:45 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय रेल का परिचालन अनुपात (OR) वित्त वर्ष 2017-18 में 98.44 प्रतिशत दर्ज किया गया है, जो पिछले 10 वर्षो में सबसे खराब है . यह बात नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट से सामने आई है. इसके साथ ही कैग ने सिफारिश की है कि रेलवे को आंतरिक राजस्व बढ़ाने के लिए उपाय करने चाहिए, ताकि सकल और अतिरिक्त बजटीय संसाधनों पर निर्भरता कम की जा सके.

रेलवे में इस परिचालन अनुपात (ओआर) का तात्पर्य यह है कि रेलवे ने 100 रुपये कमाने के लिए 98.44 रूपये व्यय किए. रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रेल का परिचालन अनुपात वित्त वर्ष 2017-18 में 98.44 प्रतिशत रहने का मुख्य कारण संचालन व्यय में उच्च वृद्धि है.

कैग रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2008-09 में रेलवे का परिचालन अनुपात 90.48 प्रतिशत था, जो 2009-10 में 95.28 प्रतिशत, 2010-11 में 94.59 प्रतिशत, 2011-12 में 94.85 प्रतिशत, 2012-13 में 90.19 प्रतिशत, 2013-14 में 93.6 प्रतिशत, 2014-15 में 91.25 प्रतिशत, 2015-16 में 90.49 प्रतिशत, 2016-17 में 96.5 प्रतिशत तथा 2017-18 में 98.44 प्रतिशत दर्ज किया गया.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रेल का कुल व्यय 2016-17 में 2,68,759.62 करोड़ रुपये से 2017-18 में बढ़कर 2,79,249.50 करोड़ रुपये हो गया, जबकि पूंजीगत व्यय 5.82 प्रतिशत से घटा है और वर्ष के दौरान राजस्व व्यय में 10.47 प्रतिशत की वृद्धि हुई .इसमें कहा गया है कि कर्मचारी लागत, पेंशन भुगतानों और रोलिंग स्टाक पर पट्टा किराया के प्रतिबद्ध व्यय 2017-18 में कुल संचालन व्यय का लगभग 71 प्रतिशत था.

रिपोर्ट में कहा गया है कि रेल का सबसे बड़ा संसाधन माल भाड़ा है और उसके बाद अतिरिक्त बजटीय संसाधन और यात्री आय है. यद्यपि अतिरिक्त बजटीय संसाधन और डीजल सेस की हिस्सेदारी 2017-18 में बढ़ गई है, तथापि 2012-17 के दौरान प्राप्ति के औसत आंकड़ों की तुलना में माल भाड़ा, यात्री आय, जीबीएस और अन्य हिस्सेदारी 2017-18 में घट गई.

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015-20 तक पांच वर्ष की अवधि के लिए लक्षित 1.5 लाख करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की तुलना में प्रथम तीन वर्षों - 2015 से 2018 के दौरान अनुमानित राशि लक्ष्य से कम है. रेलवे पिछले दो वर्षो के दौरान इस राशि को पूर्ण रूप से खर्च नहीं कर सकी थी.

पढ़ें- लोकसभा ने कराधान विधि संशोधन विधेयक को मंजूरी दी

कैग की रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि रेलवे को आंतरिक राजस्व बढ़ाने के लिए उपाय करने चाहिए ताकि सकल और अतिरिक्त बजटीय संसाधनों पर निर्भरता रोकी जा सके.

इसमें सिफारिश की गई है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान रेल द्वारा वहन किए गए पूंजीगत व्यय में कटौती हुई है. रेलवे पिछले दो वर्ष में आईबीआर-आईएफ के तहत जुटाए गए धन को खर्च नहीं कर सकी. रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे बाजार से प्राप्त निधियों का पूर्ण रूप से उपयोग सुनिश्चित करे.

नई दिल्ली : भारतीय रेल का परिचालन अनुपात (OR) वित्त वर्ष 2017-18 में 98.44 प्रतिशत दर्ज किया गया है, जो पिछले 10 वर्षो में सबसे खराब है . यह बात नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट से सामने आई है. इसके साथ ही कैग ने सिफारिश की है कि रेलवे को आंतरिक राजस्व बढ़ाने के लिए उपाय करने चाहिए, ताकि सकल और अतिरिक्त बजटीय संसाधनों पर निर्भरता कम की जा सके.

रेलवे में इस परिचालन अनुपात (ओआर) का तात्पर्य यह है कि रेलवे ने 100 रुपये कमाने के लिए 98.44 रूपये व्यय किए. रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रेल का परिचालन अनुपात वित्त वर्ष 2017-18 में 98.44 प्रतिशत रहने का मुख्य कारण संचालन व्यय में उच्च वृद्धि है.

कैग रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2008-09 में रेलवे का परिचालन अनुपात 90.48 प्रतिशत था, जो 2009-10 में 95.28 प्रतिशत, 2010-11 में 94.59 प्रतिशत, 2011-12 में 94.85 प्रतिशत, 2012-13 में 90.19 प्रतिशत, 2013-14 में 93.6 प्रतिशत, 2014-15 में 91.25 प्रतिशत, 2015-16 में 90.49 प्रतिशत, 2016-17 में 96.5 प्रतिशत तथा 2017-18 में 98.44 प्रतिशत दर्ज किया गया.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रेल का कुल व्यय 2016-17 में 2,68,759.62 करोड़ रुपये से 2017-18 में बढ़कर 2,79,249.50 करोड़ रुपये हो गया, जबकि पूंजीगत व्यय 5.82 प्रतिशत से घटा है और वर्ष के दौरान राजस्व व्यय में 10.47 प्रतिशत की वृद्धि हुई .इसमें कहा गया है कि कर्मचारी लागत, पेंशन भुगतानों और रोलिंग स्टाक पर पट्टा किराया के प्रतिबद्ध व्यय 2017-18 में कुल संचालन व्यय का लगभग 71 प्रतिशत था.

रिपोर्ट में कहा गया है कि रेल का सबसे बड़ा संसाधन माल भाड़ा है और उसके बाद अतिरिक्त बजटीय संसाधन और यात्री आय है. यद्यपि अतिरिक्त बजटीय संसाधन और डीजल सेस की हिस्सेदारी 2017-18 में बढ़ गई है, तथापि 2012-17 के दौरान प्राप्ति के औसत आंकड़ों की तुलना में माल भाड़ा, यात्री आय, जीबीएस और अन्य हिस्सेदारी 2017-18 में घट गई.

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015-20 तक पांच वर्ष की अवधि के लिए लक्षित 1.5 लाख करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की तुलना में प्रथम तीन वर्षों - 2015 से 2018 के दौरान अनुमानित राशि लक्ष्य से कम है. रेलवे पिछले दो वर्षो के दौरान इस राशि को पूर्ण रूप से खर्च नहीं कर सकी थी.

पढ़ें- लोकसभा ने कराधान विधि संशोधन विधेयक को मंजूरी दी

कैग की रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि रेलवे को आंतरिक राजस्व बढ़ाने के लिए उपाय करने चाहिए ताकि सकल और अतिरिक्त बजटीय संसाधनों पर निर्भरता रोकी जा सके.

इसमें सिफारिश की गई है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान रेल द्वारा वहन किए गए पूंजीगत व्यय में कटौती हुई है. रेलवे पिछले दो वर्ष में आईबीआर-आईएफ के तहत जुटाए गए धन को खर्च नहीं कर सकी. रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे बाजार से प्राप्त निधियों का पूर्ण रूप से उपयोग सुनिश्चित करे.

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 19:19 HRS IST




             
  • रेलवे का परिचालन अनुपात 2017..18 में 98.44 प्रतिशत, 10 वर्षो में सबसे खराब : कैग रिपोर्ट



नयी दिल्ली, दो दिसंबर :भाषा: भारतीय रेल का परिचालन अनुपात :ओआर: वित्त वर्ष 2017-18 में 98.44 प्रतिशत दर्ज किया गया जो पिछले 10 वर्षो में सबसे खराब है । यह बात नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक :कैग: की एक रिपोर्ट से सामने आई है । इसके साथ ही कैग ने सिफारिश की है कि रेलवे को आंतरिक राजस्व बढ़ाने के लिए उपाय करने चाहिए ताकि सकल और अतिरिक्त बजटीय संसाधनों पर निर्भरता कम की जा सके।







रेलवे में इस परिचालन अनुपात :ओआर: का तात्पर्य यह है कि रेलवे ने 100 रूपये कमाने के लिये 98.44 रूपये व्यय किये ।







रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रेल का परिचालन अनुपात वित्त वर्ष 2017-18 में 98.44 प्रतिशत रहने का मुख्य कारण संचालन व्यय में उच्च वृद्धि है।



इसमें बताया गया है कि वित्त वर्ष 2008..09 में रेलवे का परिचालन अनुपात 90.48 प्रतिशत था जो 2009..10 में 95.28 प्रतिशत, 2010..11 में 94.59 प्रतिशत, 2011..12 में 94.85 प्रतिशत, 2012..13 में 90.19 प्रतिशत, 2013..14 में 93.6 प्रतिशत, 2014..15 में 91.25 प्रतिशत, 2015..16 में 90.49 प्रतिशत, 2016..17 में 96.5 प्रतिशत तथा 2017..18 में 98.44 प्रतिशत दर्ज किया गया । रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रेल का कुल व्यय 2016..17 में 2,68,759.62 करोड़ रूपये से 2017..18 में बढ़कर 2,79,249.50 करोड़ रूपये हो गया । जबकि पूंजीगत व्यय 5.82 प्रतिशत से घटा है और वर्ष के दौरान राजस्व व्यय में 10.47 प्रतिशत की वृद्धि हुई । इसमें कहा गया है कि कर्मचारी लागत, पेंशन भुगतानों और रोलिंग स्टाक पर पट्टा किराया के प्रतिबद्ध व्यय 2017..18 में कुल संचालन व्यय का लगभग 71 प्रतिशत था । रिपोर्ट में कहा गया है कि रेल का सबसे बड़ा संसाधन माल भाड़ा है और उसके बाद अतिरिक्त बजटीय संसाधन और यात्री आय है । यद्यपि अतिरिक्त बजटीय संसाधन और डीजल सेस की हिस्सेदारी 2017..18 में बढ़ गई है । तथापि 2012..17 के दौरान प्राप्ति के औसत आंकड़ों की तुलना में माल भाड़ा, यात्री आय, जीबीएस और अन्य हिस्सेदारी 2017..18 में घट गई । नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015..20 तक पांच वर्ष की अवधि के लिये लक्षित 1.5 लाख करोड़ रूपये की वित्तीय सहायता की तुलना में प्रथम तीन वर्षो :2015 से 2018: के दौरान अनुमानित राशि लक्ष्य से कम है । रेलवे पिछले दो वर्षो के दौरान इस राशि को पूर्ण रूप से खर्च नहीं कर सका था ।



कैग की रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि रेलवे को आंतरिक राजस्व बढ़ाने के लिए उपाय करने चाहिए ताकि सकल और अतिरिक्त बजटीय संसाधनों पर निर्भरता रोकी जा सके।



इसमें सिफारिश की गई है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान रेल द्वारा वहन किए गए पूंजीगत व्यय में कटौती हुई है। रेलवे पिछले दो वर्ष में आईबीआर-आईएफ के तहत जुटाए गए धन को खर्च नहीं कर सका।



रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे बाजार से प्राप्त निधियों का पूर्ण रूप से उपयोग करना सुनिश्चित करे।


Conclusion:
Last Updated : Dec 2, 2019, 9:45 PM IST
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