नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को सभी अंतरराज्यीय नदी जल विवादों के निपटारे के लिए एकल स्थायी न्यायधिकरण बनाने को बुधवार को मंजूर दी. इसका लक्ष्य तेजी से राज्यों की शिकायतों को हल करना है.
मंत्रिमंडल में लिए गए फैसलों के बारे में सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पत्रकारों को बताया कि फिलहाल नौ न्यायाधिकरण काम कर रहे हैं.उन्होंने कहा कि ये न्यायाधिकरण विवादों के हल के लिए 17 से 27 साल लेंगे.
नए न्यायाधिकरण के साथ ही सरकार ने अंतर-राज्य जल विवाद अधिनियम, 1956 में संशोधन करके इसकी पीठें बनाने का प्रस्ताव दिया है ताकि जब भी जरूरत हो तो विवादों को वहां ले जाया जा सके.
सूत्रों ने मुताबिक पहले के विधेयक के मुताबिक, उच्चतम न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायाधिकरण का प्रमुख होगा. जब भी जरूरत होगी पीठें गठित की जाएंगी और विवाद के निपटारे के बाद पीठ समाप्त हो जाएगी.
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बता दें कि इस से पहले साल 2017 के विधेयक को संसद की मंजूरी नहीं मिल पाई थी.
जावड़ेकर ने बताया कि न्यायाधिकरण के लिए दो साल में अंतिम फैसला सुनाना अनिवार्य होगा.