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सभी नदियों के जल विवाद का निकलेगा हल, कैबिनेट ने एकल न्यायाधिकरण के गठन को मंजूरी दी

देश के सभी नदी जल विवादों के हल के लिए एकल न्यायाधिकरण के गठन किया जाएगा. इस न्यायाधिकरण का प्रमुख सेवानिवृत्त न्यायाधीश को बनाया जाएगा.

प्रकाश जावड़ेकर( फाइल फोटो)
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Published : Jul 11, 2019, 8:02 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को सभी अंतरराज्यीय नदी जल विवादों के निपटारे के लिए एकल स्थायी न्यायधिकरण बनाने को बुधवार को मंजूर दी. इसका लक्ष्य तेजी से राज्यों की शिकायतों को हल करना है.

मंत्रिमंडल में लिए गए फैसलों के बारे में सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पत्रकारों को बताया कि फिलहाल नौ न्यायाधिकरण काम कर रहे हैं.उन्होंने कहा कि ये न्यायाधिकरण विवादों के हल के लिए 17 से 27 साल लेंगे.

नए न्यायाधिकरण के साथ ही सरकार ने अंतर-राज्य जल विवाद अधिनियम, 1956 में संशोधन करके इसकी पीठें बनाने का प्रस्ताव दिया है ताकि जब भी जरूरत हो तो विवादों को वहां ले जाया जा सके.

सूत्रों ने मुताबिक पहले के विधेयक के मुताबिक, उच्चतम न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायाधिकरण का प्रमुख होगा. जब भी जरूरत होगी पीठें गठित की जाएंगी और विवाद के निपटारे के बाद पीठ समाप्त हो जाएगी.

पढ़ें- चेन्नई जल संकटः देश-विदेश में बढ़ी चिंता, सीएम बोले- जल्द होगा समाधान

बता दें कि इस से पहले साल 2017 के विधेयक को संसद की मंजूरी नहीं मिल पाई थी.

जावड़ेकर ने बताया कि न्यायाधिकरण के लिए दो साल में अंतिम फैसला सुनाना अनिवार्य होगा.

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को सभी अंतरराज्यीय नदी जल विवादों के निपटारे के लिए एकल स्थायी न्यायधिकरण बनाने को बुधवार को मंजूर दी. इसका लक्ष्य तेजी से राज्यों की शिकायतों को हल करना है.

मंत्रिमंडल में लिए गए फैसलों के बारे में सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पत्रकारों को बताया कि फिलहाल नौ न्यायाधिकरण काम कर रहे हैं.उन्होंने कहा कि ये न्यायाधिकरण विवादों के हल के लिए 17 से 27 साल लेंगे.

नए न्यायाधिकरण के साथ ही सरकार ने अंतर-राज्य जल विवाद अधिनियम, 1956 में संशोधन करके इसकी पीठें बनाने का प्रस्ताव दिया है ताकि जब भी जरूरत हो तो विवादों को वहां ले जाया जा सके.

सूत्रों ने मुताबिक पहले के विधेयक के मुताबिक, उच्चतम न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायाधिकरण का प्रमुख होगा. जब भी जरूरत होगी पीठें गठित की जाएंगी और विवाद के निपटारे के बाद पीठ समाप्त हो जाएगी.

पढ़ें- चेन्नई जल संकटः देश-विदेश में बढ़ी चिंता, सीएम बोले- जल्द होगा समाधान

बता दें कि इस से पहले साल 2017 के विधेयक को संसद की मंजूरी नहीं मिल पाई थी.

जावड़ेकर ने बताया कि न्यायाधिकरण के लिए दो साल में अंतिम फैसला सुनाना अनिवार्य होगा.

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.NEWDELHI PAR17
RS-NEWSPRINT
MP demands withdrawal of customs duty on newsprint
         New Delhi, Jul 11 (PTI) Independent member from Kerala MP
Veerendra Kumar on Thursday demanded in Rajya Sabha that the
government withdraw the customs duty of 10 per cent slapped on
newsprint as it will hit the already stressed print media.
         Participating in the debate on the Union Budget, the
independent member said this was the highest-ever custom
duty slapped on newsprint.
         Kumar also raised the issue of central government
"ignoring" demands of Kerala government for rebuilding
infrastructure after the southern state was hit by floods.
         "Let me bring before the government one grievance of the
print media in the country. This budget has introduced a 10
per cent customs duty on newsprint, both uncoated paper and
for used newspapers, as well as coated paper used for
magazines.
         "This is the highest ever customs duty slapped on the
newspaper industry. There was no customs duty for newsprint
since 2009," he said.
         Kumar said the customs duty on newsprint has come at a
time when the print media is already reeling under severe
financial pressure due to many factors like lower
advertisement revenue, high costs and digital onslaught from
technological giants.
         "Small and medium newspapers will go into deeper losses
and many of them will be forced to close down. So, I request
the finance minister to withdraw the customs duty slapped on
the newspaper industry," he stressed.
         Kumar said though the move is touted as an effort to
provide a level-playing field, there is no advantage in
reality for the domestic newsprint industry.
         He said the Indian newsprint industry has a total
capacity of one million tonne and this is only up to 40 per
cent of the annual demand in India at present.
         The country does not have an advantage in installing
fresh newsprint capacity as the prime inputs cause a huge
environmental burden, he said.
         To enhance newsprint production, one was required to cut
trees for pulp and increase quality recycled fibre power, he
said.
         He pointed out that even China recently shut many
newsprint factories due to environmental hazards.
         "Another disadvantage of Indian newsprint is that the
quality of paper is not suitable for running on high-speed
modern printing machines. No manufacturer in India is
producing uncoated glazed and light weight coated paper.
         "So there is no role at present left for Indian newsprint
industry to play in the area," he said.
          Raising the issue of Kerala floods, the independent
member from the state alleged the the Union government has
ignored Kerala's request for reconstruction efforts after the
state faced an unprecedented deluge last year.
         "The floods devastated the entire state throwing
thousands of people in distress and large stretches of
land and crops were washed away," he noted.
         At the outset, Kumar congratulated Nirmala Sitharaman for
presenting her maiden budget as first full-time woman finance
minister. PTI SKC
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