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हन्नान मोल्लाह बोले - CAB असंवैधानिक, AASU का विरोध सरकार की सबसे कठिन चुनौती

मार्क्सवादी कम्यूनिष्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता हन्नान मोल्लाह ने नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) को असंवैधानिक करार दिया है. इस मुद्दे पर ईटीवी भारत से बातचीत में मोल्लाह ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उसे AASU के विरोध का सामना भी करना पड़ेगा.

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Published : Dec 7, 2019, 9:59 PM IST

Updated : Dec 7, 2019, 10:27 PM IST

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सीपीएम के वरिष्ठ नेता हन्नान मोल्लाह

नई दिल्ली : सीपीएम के वरिष्ठ नेता हन्नान मोल्लाह ने नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) की आलोचना करते हुए इसे देश को विभाजित करने वाला बताया है. साथ ही उन्होंने कहा कि सीएबी के खिलाफ ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) द्वारा शुरू किया गया विरोध सरकार के लिए सबसे कठिन चुनौती साबित होगा.

गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधयेक पेश करेंगे, इस दौरान विधेयक पर चर्चा की जाएगी और उसे पास करने पर विचार किया जाएगा.

सरकार के सूत्रों ने कहा कि नागरिकता अधिनियम, 1955 में कुछ संशोधनों के साथ विधेयक को 'नए प्रारूप' में पेश किया जाएगा.

सूत्रों ने कहा कि सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा के सदस्यों के बीच नागरिकता संशोधन मसौदे की एक प्रति प्रसारित की है.

ऐसा माना जाता है कि इस विधेयक में असम, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर और त्रिपुरा के जनजातीय क्षेत्रों को बाहर रखा गया है, जैसा कि संविधान की छठी अनुसूची में शामिल है और बंगाल पूर्वी सीमा विनियमन, 1873 के तहत अधिसूचित "इनर लाइन" के तहत आने वाला क्षेत्र शामिल है.

हालांकि, ईटीवी भारत से बात करते हुए हन्नान मोल्लाह ने इस बिल को असंवैधानिक करार दिया.

मोल्लाह ने कहा, 'नागरिकता धर्म के आधार पर नहीं दी जा सकती. मुस्लिम समुदाय को नागरिकता के लिए आवेदन करने की अनुमति नहीं देने से यह बिल पुराने स्वरूप में आ रहा है.'

उन्होंने कहा कि म्यांमार और श्रीलंका में अल्पसंख्यक भी धार्मिक अभियोजन का सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा, 'सरकार ने बिल के दायरे में म्यांमार और श्रीलंका को शामिल क्यों नहीं किया. क्या वे मानते हैं कि इससे रोहिंग्याओं को भी नागरिकता मिल सकती है.'

पढ़ें- CAB पर बोले शाही इमाम - सियासत को धर्म के नाम पर चलाना चाहती है सरकार

मोल्लाह ने जनजातीय क्षेत्रों और इनर लाइन परमिट (ILP) वाले राज्यों को सीएबी से बाहर करने के सरकार के कदम पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, 'भाजपा सरकार एक राष्ट्र और एक कानून की बात करती है, लेकिन अब वह एक राष्ट्र दो कानून बना रही है.'

नए नागरिकता संशोधन विधेयक के बारे में माना जाता है कि हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, या बांग्लादेश, अफगानिस्तान या पाकिस्तान से आए ईसाई समुदाय से संबंधित किसी भी व्यक्ति के, जो 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले से भारत में रह रहा है, साथ अवैध प्रवासी का व्यवहार नहीं किया जाएगा.

सूत्रों के अनुसार विधेयक में यह भी कहा गया है कि इन छह विशेष समुदाय के व्यक्ति को भारत में नागरिकता प्राप्त करने के लिए न्यूनतम पांच साल से भारत का निवासी होने चाहिए.

हालांकि, आम सहमति के बिना बिल लाने के लिए सरकार को अपनों की आलोचना को भी आमंत्रित किया है.

पढ़ें- नागरिकता संशोधन बिल : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी मंजूरी

एनडीए के सहयोगी, जनता दल (यूनाइटेड) ने यहां तक ​​सुझाव दिया है कि बिल को फिर से देखने और आम सहमति के लिए संसदीय स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए.

इस बीच, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) के साथ-साथ नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन (NESO) ने बिल के विरोध में मंगलवार को पूर्वोत्तर बंद का आह्वान किया है.

नई दिल्ली : सीपीएम के वरिष्ठ नेता हन्नान मोल्लाह ने नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) की आलोचना करते हुए इसे देश को विभाजित करने वाला बताया है. साथ ही उन्होंने कहा कि सीएबी के खिलाफ ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) द्वारा शुरू किया गया विरोध सरकार के लिए सबसे कठिन चुनौती साबित होगा.

गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधयेक पेश करेंगे, इस दौरान विधेयक पर चर्चा की जाएगी और उसे पास करने पर विचार किया जाएगा.

सरकार के सूत्रों ने कहा कि नागरिकता अधिनियम, 1955 में कुछ संशोधनों के साथ विधेयक को 'नए प्रारूप' में पेश किया जाएगा.

सूत्रों ने कहा कि सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा के सदस्यों के बीच नागरिकता संशोधन मसौदे की एक प्रति प्रसारित की है.

ऐसा माना जाता है कि इस विधेयक में असम, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर और त्रिपुरा के जनजातीय क्षेत्रों को बाहर रखा गया है, जैसा कि संविधान की छठी अनुसूची में शामिल है और बंगाल पूर्वी सीमा विनियमन, 1873 के तहत अधिसूचित "इनर लाइन" के तहत आने वाला क्षेत्र शामिल है.

हालांकि, ईटीवी भारत से बात करते हुए हन्नान मोल्लाह ने इस बिल को असंवैधानिक करार दिया.

मोल्लाह ने कहा, 'नागरिकता धर्म के आधार पर नहीं दी जा सकती. मुस्लिम समुदाय को नागरिकता के लिए आवेदन करने की अनुमति नहीं देने से यह बिल पुराने स्वरूप में आ रहा है.'

उन्होंने कहा कि म्यांमार और श्रीलंका में अल्पसंख्यक भी धार्मिक अभियोजन का सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा, 'सरकार ने बिल के दायरे में म्यांमार और श्रीलंका को शामिल क्यों नहीं किया. क्या वे मानते हैं कि इससे रोहिंग्याओं को भी नागरिकता मिल सकती है.'

पढ़ें- CAB पर बोले शाही इमाम - सियासत को धर्म के नाम पर चलाना चाहती है सरकार

मोल्लाह ने जनजातीय क्षेत्रों और इनर लाइन परमिट (ILP) वाले राज्यों को सीएबी से बाहर करने के सरकार के कदम पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, 'भाजपा सरकार एक राष्ट्र और एक कानून की बात करती है, लेकिन अब वह एक राष्ट्र दो कानून बना रही है.'

नए नागरिकता संशोधन विधेयक के बारे में माना जाता है कि हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, या बांग्लादेश, अफगानिस्तान या पाकिस्तान से आए ईसाई समुदाय से संबंधित किसी भी व्यक्ति के, जो 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले से भारत में रह रहा है, साथ अवैध प्रवासी का व्यवहार नहीं किया जाएगा.

सूत्रों के अनुसार विधेयक में यह भी कहा गया है कि इन छह विशेष समुदाय के व्यक्ति को भारत में नागरिकता प्राप्त करने के लिए न्यूनतम पांच साल से भारत का निवासी होने चाहिए.

हालांकि, आम सहमति के बिना बिल लाने के लिए सरकार को अपनों की आलोचना को भी आमंत्रित किया है.

पढ़ें- नागरिकता संशोधन बिल : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी मंजूरी

एनडीए के सहयोगी, जनता दल (यूनाइटेड) ने यहां तक ​​सुझाव दिया है कि बिल को फिर से देखने और आम सहमति के लिए संसदीय स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए.

इस बीच, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) के साथ-साथ नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन (NESO) ने बिल के विरोध में मंगलवार को पूर्वोत्तर बंद का आह्वान किया है.

Intro:New Delhi: Senior CPM leader Hannan Mollah on Saturday said that the protest launched by All Assam Students Union (AASU) against Citizenship Amendment Bill (CAB) would be the toughest hurdle for the Governmnet evenas the the business advisory list of Lok Sabha mentioned instroduction of the contentious bill on Monday.


Body:Union Home Minister Amit Shah will introduce the CAB for consideration and passage in the Lok Sabha on Monday.

Governmnet sources said that the bill will be introduced in a 'new format' with some amendments to the Citizenship Act, 1955.

Sources said, the government on Friday circulated a copy of the draft CAB amongst the members of Lok Sabha.

It is believed that the bill has excluded tribal areas of Assam, Meghalaya, Mizoram, Manipur and Tripura as included in the Sixth Schedule to the Constitution and the area covered under "The Inner Line" notified under the Bengal Eastern Frontier Regulation, 1873.

Talking to ETV Bharat, CPM leader Hannan Mollah, however, termed the bill as unconstitutional.

"Citizenship can't be given on the basis of religion. The Bill is coming in its old format by not allowing the Muslim community to apply for citizenship," said Mollah.

He said that minorities in Myanmar and Sri Lanka are also facing religious prosecution. "Why the government has not included Myanmar and Sri Lanka in the ambit of the bill...do they believe that Rohingyas might also get citizenship!" Mollah said.

He raised question over Government's move to exclude Tribal areas and states with Inner Line Permit (ILP). "BJP government talks about one nation and one law, but now they are making one nationa two law," said Mollah.


Conclusion:The new CAB is believed to have stated that any person belonging to Hindu, Sikh, Buddhist, Jain, Parsi, or Christian community from Bangladesh, Afghanisthan or Pakistan, who entered into India on or before Dcember 31, 2014 shall not be treated as illegal migrant.

The bill, according to the sources, also stated that the person belong to these six particular community must reside in India for a minimum period of five years to get Citizenship.

However, government's move to bring the bill without a common consensus has also invited criticism from its allies.

NDA ally, Janata Dal (United) has even suggested that the bill should be sent to the Parliamentary Standing Committee for a re-look and common consensus.

Meanwhile, the All Assam Students Union (AASU) as well as North East Student Organisation (NESO) has called for a northeast bandh on Tuesday in protest against the bill.

Both AASU and NESO have opposed the bill in 'any format.'

end.
Last Updated : Dec 7, 2019, 10:27 PM IST
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